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MA में पढ़ने वाली छात्रा नहीं बता पाई विषयों के नाम, हाईकोर्ट ने कहा- पढ़ाई पर ध्यान दो

घर से भाग कर शादी रचाने वाली युवती बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के चलते हाईकोर्ट में पेश हुई थी. कोर्ट ने युवती से MA के विषयों के नाम बताने को कहा, लेकिन युवती नहीं बता सकी. इसके बाद कोर्ट ने तृतीय सेमेस्टर के विषयों के नाम पूछे तो भी वह ठीक ढंग से जवाब नहीं दे सकी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (META AI)
प्रतीकात्मक तस्वीर (META AI)

पढ़ने की उम्र में एक युवती ने घर से भाग कर शादी रचा ली, लेकिन कुछ दिनों बाद युवती के परिजन उसे अपने घर ले आए. पति ने जब हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका लगाई तो, युवती को लेकर पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. यहां कोर्ट ने जब युवती से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी. जिस पर कोर्ट ने युवती को पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कही.

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दरअसल, एक युवक ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की थी. युवक ने याचिका में बताया था कि उसकी पत्नी को उसके ससुराल पक्ष के लोग मारपीट करके जबरन घर से ले गए हैं, जबकि उसने रजिस्टर्ड मैरिज की है.

याचिका हाईकोर्ट में पहुंची तो युवती को हाई कोर्ट में पेश किया गया. यहां कोर्ट ने जब युवती से उसकी शिक्षा के बारे में पूछा तो, युवती ने बताया कि वह MA की 4th सेमेस्टर की छात्रा है.

कोर्ट ने युवती से विषयों के नाम बताने को कहा, लेकिन युवती ठीक ढंग से जवाब नहीं दे सकी. इसके बाद कोर्ट ने तृतीय सेमेस्टर के विषयों के नाम पूछे तो भी युवती ठीक ढंग से विषयों के नाम भी नहीं बता सकी. इस पर कोर्ट ने युवती को पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कही.

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कोर्ट ने जब युवती से पूछा कि वह किसके साथ रहनी चाहती है तो, युवती ने पति के साथ रहने से इनकार कर दिया. हालांकि, युवती ने शादी की बात को तो स्वीकार किया, लेकिन युवती अपने पति के साथ जाने को तैयार नहीं थी. उसने अपने माता-पिता के साथ रहने पर सहमति जताई. जिसके बाद दायर की गई याचिका को कोर्ट ने निरस्त कर दिया.

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