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मध्य प्रदेश: पूर्व मंत्री इमरती देवी ने पूछा कैसे हारी चुनाव? पंडोखर सरकार बोले- आपकी पार्टी के नेता ने हराया

डाबरा की पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री इमरती देवी ग्वालियर में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी की कथा सुनने पहुंची थीं. इसी बीच पंडोखर सरकार भी वहां पहुंचे और उनका दरबार लग गया. बस फिर क्या था, अपने मन के सवाल पूछने के लिए इमरती देवी भी दरबार में पहुंच गईं.

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प्रसिद्ध पंडोखर सरकार के दरबार में पूर्व मंत्री इमरती देवी
प्रसिद्ध पंडोखर सरकार के दरबार में पूर्व मंत्री इमरती देवी

मध्य प्रदेश की 'बाबा पॉलिटिक्स' एक बार फिर से चर्चाओं में आ गई है. राज्य के चुनाव पास आते ही अब नेताओं का बाबाओं के धाम पर तांता लगने का सिलसिला शुरू हो गया है. इस क्रम में पर्ची पर लोगों का भविष्य लिखने के लिए प्रसिद्ध पंडोखर सरकार के दरबार में सिंधिया समर्थक और पूर्व मंत्री इमरती देवी पहुंचीं. जहां उन्होंने पंडोखर सरकार से पूछा कि वह चुनाव कैसे हारीं, तो इसका जवाब मिला- उनकी वर्मतान पार्टी यानी भाजपा के ही नेता की वजह से. पूर्व मंत्री और पंडोखर सरकार के बीच बातचीत का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

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दरअसल, डाबरा की पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री इमरती देवी ग्वालियर में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी की कथा सुनने पहुंची थीं. इसी बीच पंडोखर सरकार भी वहां पहुंचे और उनका दरबार लग गया. बस फिर क्या था, अपने मन के सवाल पूछने के लिए इमरती देवी भी दरबार में पहुंच गईं. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे स्वच्छ राजनीति करती हैं, फिर भी हार गईं, उन्हें किसने हराया है? इसके जवाब में पंडोखर सरकार ने बताया कि उन्हें उनकी वर्तमान पार्टी के ही एक नेता ने हराया है, लेकिन वे उसका अभी नाम नहीं बताएंगे. वे उसका नाम डबरा में होने वाले कार्यक्रम में बताएंगे. 

पंडोखर सरकार ने आगे कहा कि उनका (इमरती देवी) राजनीतिक भविष्य काफी अच्छा होगा और उसमें विस्तार होगा. यही वजह है कि चुनाव हारने के बाद भी सरकार ने उन्हें निगम का अध्यक्ष बनाया है और मंत्री का दर्जा दिया है. इमरती देवी ने एक और सवाल पूछा था कि उनकी नातिन 3 साल की है और बोल नहीं पाती. इस पर पंडोखर सरकार ने कहा कि नातिन को जवान दी गई है, अब नातिन बोलेगी, लेकिन उसे पंडोखर धाम पर लाना और दर्शन कराना, इससे लाभ मिलेगा.

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उपचुनाव में मिली थी हार 

बता दें कि इमरती देवी 2018 में कांग्रेस के टिकट से डबरा से विधानसभा का चुनाव जीती थीं. वे कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में मंत्री बनी थीं। लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर उनके 22 समर्थकों के साथ इमरती देवी ने भी इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी का दामन थाम लिया था. इसके बाद वे शिवराज सरकार में मंत्री बनाई गईं, लेकिन 2020 में हुए उपचुनाव में डबरा से वह चुनाव हार गईं. इसके बाद इमरती देवी को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था.

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