Mandla encounter case: पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में बैगा समुदाय के हीरन सिंह पार्थ (38) की मौत को लेकर मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया और सदन से वॉकआउट कर दिया. कांग्रेस ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार देते हुए भाजपा सरकार पर आदिवासियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए. यह मुद्दा मंगलवार को भी विधानसभा में गूंजने की उम्मीद है.
प्रश्नकाल के बाद डिंडोरी से चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने यह मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, "बीजेपी सरकार में आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं. हीरन बैगा को नक्सली बताकर उसका एनकाउंटर किया गया. यह आदिवासियों को बदनाम करने की साजिश है."
कांग्रेस विधायक सदन के वेल में उतर आए और नारेबाजी करते हुए इसकी विस्तृत चर्चा की मांग की. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस ने बहिर्गमन किया और सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.
सरकार का जवाब
मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने aajtak से कहा, "मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जांच से साफ होगा कि हिरन बैगा नक्सली था या नहीं. मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता दिखाते हुए परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता दी है. यदि जांच में वह नक्सली नहीं पाया गया, तो परिवार को 1 करोड़ रुपये और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी. जांच रिपोर्ट का इंतजार करें."
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 9 मार्च को मंडला के खटिया इलाके में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें हीरन सिंह पार्थ मारा गया. 13 मार्च को पुलिस ने उसकी पहचान एक बैगा आदिवासी के रूप में की.
बालाघाट जोन के आईजी संजय कुमार ने मीडिया को बताया, "हीरन नक्सलियों के साथ जंगल में था, लेकिन वह वहां क्या कर रहा था, यह जांच का विषय है. उसके माओवादी होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है."
मुठभेड़ में 205 राउंड फायरिंग हुई, जिसमें 125 राउंड नक्सलियों ने दागे. मंडला कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने बताया कि 12 मार्च को मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए थे.
विपक्ष की मांग
टिमरनी-एसटी सीट से विधायक अभिजीत शाह ने कहा, "हमारी मांग है कि हत्या के लिए दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हो."
आगे की चर्चा की उम्मीद
इस घटना ने आदिवासी समुदाय और विपक्ष में आक्रोश पैदा किया है. विधानसभा में इस पर और बहस होने की संभावना है. जांच रिपोर्ट इस विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभाएगी, जो यह तय करेगी कि यह एनकाउंटर जायज था या नहीं.