मध्य प्रदेश के दमोह में सात लोगों की मौत के बाद चर्चा में आए तथाकथित कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. पुलिस जांच में पता चला है कि आरोपी डॉक्टर की केवल MBBS की डिग्री ही असली है, जबकि उसके पास मौजूद MD और कार्डियोलॉजी की डिग्रियां फर्जी हैं. पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या ये डिग्रियां मोबाइल ऐप के जरिए तैयार की गईं या फिर किसी जालसाज गिरोह की मदद से हासिल की गईं.
दमोह के एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी के नेतृत्व में पुलिस आरोपी डॉक्टर से पूछताछ कर रही है. कोर्ट से मिली 5 दिन की रिमांड पर पुलिस ने आरोपी के मोबाइल की जांच की तो उसमें कई फोटोशॉप और फर्जी दस्तावेज बनाने वाले ऐप्स मिले, इससे शक गहरा गया है कि शायद इन ऐप्स के जरिए ही डॉक्टर ने फर्जी डिग्रियां तैयार की होंगी.
पूछताछ में आरोपी नरेंद्र यादव ने खुद माना है कि उसने भीड़ से अलग और ‘विशेष’ दिखने के लिए अपना नाम एन. जॉन. केम रखा था. वह जब भी किसी अस्पताल में काम करने जाता, तो उसके विदेशी नाम के कारण उसे अन्य डॉक्टरों से ज्यादा महत्व और सम्मान मिलता था. यही वजह थी कि वह इस नाम का इस्तेमाल करता रहा और खुद को सुपर स्पेशलिस्ट बताकर मरीजों का इलाज करता रहा.
आरोपी डॉक्टर के पास से जांच के दौरान पुलिस को एक पासपोर्ट भी मिला है, जिसमें विदेश यात्रा की एंट्री दर्ज है. पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि विदेश यात्रा का मकसद क्या था और कहीं यह किसी अंतरराष्ट्रीय फर्जी डिग्री गिरोह से जुड़ाव तो नहीं है. दमोह में जिस तरह से सात लोगों की जान गई और अब आरोपी की असलियत सामने आ रही है, उससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. पुलिस का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद डॉक्टर नरेंद्र यादव पर और भी गंभीर धाराएं जोड़ी जा सकती हैं. फिलहाल, आरोपी की हर गतिविधि की बारीकी से पड़ताल की जा रही है.