मध्य प्रदेश की सियासत में एक बार फिर से विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. कांग्रेस कमलनाथ की अगुवाई में फिर से चुनावनी जंग फतह करने का सियासी तानाबाना बुन रही है तो बीजेपी ने भी कमलनाथ को मात देने के लिए खास प्लान बनाया है. पीएम मोदी के नाम और काम, शिवराज सिंह चौहान के चेहरे, हिंदुत्व के एजेंडे और गुजरात की तरह नो रिपीट जैसे पांच फॉर्मूले के सहारे मध्य प्रदेश चुनाव जीतने का रोडमैप बीजेपी ने तैयार किया है. ऐसे में अब देखना है कि बीजेपी अपनी इस रणनीति से क्या कमलनाथ के सियासी दांव के फेल कर पाएगी?
शिवराज का चेहरा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में है. इस बार शिवराज की छवि का मेकओवर कर बीजेपी उन्हें आगे चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी की है. सूत्रों की मानें तो पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने तय किया है कि शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा जाएगा और पार्टी ने उन्हें अपनी छवि को पूरी तरह से बदलकर मतदाताओं को पहुंचने का खाका तैयार किया है. शिवराज की एमपी में मामा वाली छवि का पूरा इस्तेमाल किया जाएगा. इस लोकप्रियता के दम पर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश रहेगी, क्योंकि पार्टी में फिलहाल शिवराज के जैसा कोई दूसरा चेहरा नहीं है, जिसे पार्टी आगे कर चुनावी मैदान में उतर सके. इसीलिए बीजेपी शिवराज के चेहरे पर ही दांव लगाना बेहतर समझ रही है.
पीएम मोदी का नाम
बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम को लेकर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरने का रोडमैप तैयार किया है. देश में ब्रांड मोदी की चमक अभी भी बरकरार है और बीजेपी की यही सबसे बड़ी ताकत है. इसीलिए बीजेपी पीएम मोदी के नाम, काम और चेहरे पर चुनाव लड़ती है और वोट मांगती है. पीएम मोदी भी चुनावी फिजा को अपने मुताबिक मोड़ना जानते हैं और हारती हुई बाजी को जीत में तब्दील करने का हुनर आता है. केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए लाभार्थियों का एक नया वोटबैंक बीजेपी ने तैयार किया है तो महिलाओं के बीच भी पीएम मोदी का अपनी लोकप्रियता है. बीजेपी पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़कर उनकी लोकप्रियता को भुनाने की कवायद कर रही है.
बीजेपी की नो रिपीट थ्योरी
बीजेपी मध्य प्रदेश में भी 'नो रिपीट थ्योरी' के फॉर्मूले को आजमाने की तैयारी में है. मोदी-शाह के इस अचूक प्लान से पार्टी गुजरात में 27 वर्षों से सत्ता में लगातार बनी हुई है. बीजेपी अब मध्य प्रदेश के चुनाव में भी सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए अपने कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है. बीजेपी टिकट बंटवारे में सिर्फ और सिर्फ जीतने की क्षमता रखने वाले नेताओं पर ही दांव लगाएगी. नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट नहीं मिल सकेगा. सूत्रों के अनुसार, पार्टी कई मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है और उनकी जगह नए चेहरों को उतारा जा सकता है. एमपी में मौजूदा जिन विधायकों के खिलाफ उनके ही क्षेत्र में माहौल सही नहीं है या फिर जिनकी उम्र 70 प्लस हो रही है, उन विधायकों की जगह नए चेहरे को टिकट दिए सकते हैं.
हिंदुत्व का एजेंडा
बीजेपी के हिंदुत्व की काट कोई भी पार्टी तलाश नहीं सकी है. बीजेपी के लिए सियासी तौर पर यह मुद्दा काफी मुफीद माना जाता है. ऐसे में बीजेपी मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे को धार देगी. उज्जैन में महाकाल कॉरीडोर और तीर्थ दर्शन जैसी अन्य धार्मिक योजनाओं को उपलब्धि के तौर पर चुनाव में पेश करने का प्लान बनाया है. शिवराज सिंह इन दिनों हिंदुत्व के रंग में पूरी तरह से नजर आ रहे हैं, जिसके संदेश साफ हैं.
बीजेपी का बूथ प्रबंधन
मध्य प्रदेश में पार्टी गुजरात मॉडल वाला फॉर्मूला अपनाएगी. एमपी में बीजेपी ने 65 हजार बूथों पर सघन संपर्क की रणनीति तैयारी की है. इसके तहत 65 हजार बूथ कमेटियों के सदस्यों से सीधा संवाद कार्यक्रम चल रहा है. पार्टी ने हर बूथ समिति को मतदाता सूची, पिछले दो विधानसभा और दो लोक सभा चुनावों के उस बूथ पर परिणामों का विश्लेषण दिया. साथ ही, उस बूथ पर राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की सूची भी सौंपी है ताकि उनसे सीधा संपर्क साधा जा सके. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने हर बूथ समिति को उस बूथ पर प्रभावी व्यक्तियों की पहचान करने और उनसे संपर्क करने को कहा गया जो मतदाताओं पर असर डाल सके.
बीजेपी का टारगेट
बीजेपी ने इस बार मध्य प्रदेश में 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पिछले चुनाव में हारी हुई 100 सीटों को जीतने का प्लान भी तैयार हो चुका है. हारी हुई 100 सीटों पर कमल खिलाने के लिए प्रभारी तय किए जा चुके हैं. साथ ही शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी नेताओं को आपसी गुटबाजी खत्म करने के दिशा-निर्देश दे दिए हैं. इसके अलावा, कांग्रेस से कई मौजूदा विधायकों को पार्टी में शामिल कराने के लिए भी पार्टी ने खास रणनीति बनाई है.
गुजरात विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर कांग्रेस के लगातार जीत रहे मौजूदा विधायकों को पार्टी में शामिल कराकर जीत का परचम फहराया था. उसी तरह से मध्य प्रदेश में भी बीजेपी जिन सीटों को नहीं जीत पा रही है, उन सीटों पर कांग्रेस विधायकों को पार्टी में लेने की रणनीति है. ऐसे में देखना है कि क्या बीजेपी इस फॉर्मूले से जीत दर्ज कर सकेगी?