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जबलपुर में 100 करोड़ की लागत से रानी दुर्गावती स्मारक को तैयार करने के लिए MP सरकार ने बनाई कमेटी

गोंडवाना की रानी रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर जबलपुर में 100 करोड़ की लागत से भव्य मेमोरियल और उद्यान बनकर तैयार होगा. इसके लिए सरकार की ओर से एक कमेटी का गठन कर दिया गया है, जिसमें कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद पटेल, राकेश सिंह, कुंवर विजय शाह और धर्मेंद्र लोधी शामिल होंगे.

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जबलपुर में रानी दुर्गावती स्मारक तैयार करने के लिए बनी कमेटी
जबलपुर में रानी दुर्गावती स्मारक तैयार करने के लिए बनी कमेटी

मध्य प्रदेश कैबिनेट ने शनिवार को 100 करोड़ रुपये की लागत से रानी दुर्गावती को समर्पित एक स्मारक और उद्यान विकसित करने के लिए एक पैनल के गठन को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में जैन कल्याण बोर्ड के गठन को भी मंजूरी मिल गई है. 

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गोंडवाना की महान योद्धा रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती के उपलक्ष्य में, मंत्रिपरिषद ने बुंदेलखण्ड क्षेत्र में दमोह जिले के सिंग्रामपुर गांव में उनके पूर्ववर्ती राज्य का दौरा किया. रानी दुर्गावती स्मारक एवं उद्यान जबलपुर में बनेगा. 

इस कमेटी में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री एवं दमोह के पूर्व सांसद प्रहलाद पटेल, लोक निर्माण विभाग मंत्री राकेश सिंह, जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह और संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री धर्मेन्द्र लोधी शामिल होंगे. राज्य सरकार ने कहा कि स्मारक और उद्यान जबलपुर में मदन महल पहाड़ी पर 24 एकड़ में फैले क्षेत्र में विकसित किया जाएगा. 

रानी दुर्गावती ने मुगलों से की थी गोंडवाना की सुरक्षा

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रानी दुर्गावती गोंडवाना की गोंड रानी संरक्षिका थीं, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में अपने बेटे वीर नारायण के अल्पवयस्क होने के दौरान गोंडवाना की संरक्षिका के रूप में कार्य किया था. उन्हें मुख्य रूप से मुगल साम्राज्य के खिलाफ गोंडवाना की रक्षा करने के लिए याद किया जाता है.  

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एमपी में जैन कल्याण बोर्ड का गठन

2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में 1.53 से अधिक मूल आदिवासी थे जो कुल जनसंख्या का 21.08 प्रतिशत हैं. प्रस्तावित जैन कल्याण बोर्ड समुदाय के प्रतिभाशाली बच्चों और युवाओं की शिक्षा के लिए राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा. बोर्ड में एक अध्यक्ष और दो सदस्य होंगे. जैन समुदाय की मध्य प्रदेश की पश्चिमी सीमा राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे बुन्देलखण्ड में बड़ी आबादी है.

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