मध्य प्रदेश सरकार ने लाड़ली बहना योजना के लिए आवंटित फंड में 315 करोड़ रुपए की कटौती की है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में लाड़ली बहना योजना के लिए 18 हजार 669 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 18 हजार 984 करोड़ रुपए था. वहीं, सरकार ने महिलाओं को दी जाने वाली किस्त में भी इजाफा नहीं किया है.
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि लाड़ली बहना योजना के तहत मिलने वाली राशि को बढ़ाया नहीं गया है, बल्कि महिला लाभार्थियों को केंद्र सरकार की PM जीवन ज्योति बीमा योजना, PM जीवन सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना से जोड़ा जाएगा. इससे महिलाओं को अतिरिक्त सुरक्षा कवरेज मिलेगा.
बता दें कि लाड़ली बहना योजना के तहत 1.27 करोड़ आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को लाभ मिलता है, जिन्हें सितंबर 2023 से 1250 रुपए मासिक सहायता दी जा रही है. यह योजना 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत का अहम कारक रही थी.
वहीं, सरकार ने लाड़ली बहना की राशि नहीं बढ़ाई है. 1.27 करोड़ महिला लाभार्थियों को 1250 प्रति माह मिलते रहेंगे. बीजेपी ने इसे 3000 रुपए तक करने का वादा किया था.
मासिक राशि में बढ़ोतरी का वादा अधूरा
बता दें कि बीजेपी ने 2023 के चुनाव में वादा किया था कि लाड़ली बहना योजना के तहत मासिक सहायता को 2028 तक धीरे-धीरे बढ़ाकर 3000 रुपए किया जाएगा. मई 2023 में शुरू हुई इस योजना में शुरुआत में 1000 रुपये मासिक सहायता दी गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 1250 रुपये कर दिया गया.
हालांकि, वित्त मंत्री ने यह नहीं बताया कि अगली बढ़ोतरी कब होगी, जिससे लाभार्थियों में असमंजस बना हुआ है. इस योजना का लाभ 21 से 60 साल की विवाहित महिलाओं को मिलता है.
महाराष्ट्र में भी कटौती
इसी बीच, महाराष्ट्र सरकार ने अपनी समान योजना 'लाड़की बहन' के बजट में 10 हजार करोड़ रुपए की कटौती की है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अब इस योजना का आवंटन 36,000 करोड़ रुपए रह गया है. वहां भी सहायता राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 1250 रुपये की गई थी, लेकिन वित्तीय संकट के चलते नई घोषणाएं नहीं की गईं. महाराष्ट्र 9.3 लाख करोड़ रुपए के ऋण और 45 हजार 891 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे से जूझ रहा है, जिसके चलते वहां चुनावी वादे जैसे 2100 रुपये मासिक सहायता और कृषि ऋण माफी लागू नहीं हो सके.
महिलाओं पर प्रभाव
लाड़ली बहना जैसी योजनाएं महिलाओं के लिए आर्थिक सहारा रही हैं. मध्य प्रदेश में बजट में मामूली कटौती और मासिक राशि बढ़ाने पर अनिश्चितता से लाभार्थियों में चिंता है.
दूसरी ओर, बीमा और पेंशन कवरेज का विस्तार सरकार का सकारात्मक कदम माना जा रहा है. मध्य प्रदेश सरकार के इस बजटीय फैसले पर अब विपक्ष और लाभार्थियों की नजरें टिकी हैं, जो यह देखना चाहते हैं कि आने वाले समय में यह योजना कितना प्रभावी साबित होती है.