मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक पुलिस एसएचओ को कड़ी फटकार लगाई. एक विवाहिता बेटी के लापता होने के मामले में पीड़ित पिता की तरफ से लगाई गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की.
दरसअल, 20 सितंबर 2023 को लापता हुई शादीशुदा सोनम शर्मा की खोजबीन में लापरवाही बरतने पर हाईकोर्ट ने सबलगढ़ एसएचओ से कहा, सितंबर से किसी की बेटी लापता है. जांच के नाम पर सिर्फ पुलिस ने ससुरालवालों और परिजनों के बयान ही दर्ज किए हैं. एक काम करते हैं कि तुम्हें फिर से कॉन्स्टेबल बना देते हैं. फिर तुम बड़े साहब के घर में सेवाएं देना. सख्त तरीके से फटकारते हुए कोर्ट ने पुलिस अफसर से कहा कि तुम्हें पोस्ट पर रहने का कोई अधिकार नहीं है.
अदालत ने एसएचओ को अल्टीमेटम दिया कि अगर सोमवार तक लापता महिला को खोजकर कोर्ट में पेश नहीं किया गया तो नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहना. अब इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 18 दिसंबर (सोमवार) तय की गई है.
क्या है पूरा मामला?
मुरैना जिले के रहने वाले याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्होंने करीब 6 साल पहले अपनी बेटी सोनम का विवाह जिले के ही भानू प्रकाश शर्मा के साथ किया था. इसी साल 18 सितंबर को सोनम अपने पति के साथ मायके आई थी. किसी बात को लेकर दोनों के बीच झगड़ा हुआ और भानू ने मायके में ही बेटी को मारा-पीटा और फिर दूसरे दिन ही अपने घर लेकर निकल गया.
रास्ते से लापता!
लेकिन इसी बीच दामाद भानू प्रकाश शर्मा ने कॉल पर बताया कि बीच रास्ते से सोनम लापता हो गई है. इसके बाद थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई गई, लेकिन पुलिस ने इस केस में अब तक कोई सफलता हासिल नहीं की. मतलब बयान दर्ज करने के अलावा लापता महिला को ढूंढ़ नहीं पाई.
इस मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट बृजेश कुमार और सरकार की ओर से हाईकोर्ट के एडिशनल एडवोकेट जनरल राजेश शुक्ला पैरवी कर रहे हैं. शासन के पैरवीकार ने इतना ही कहा कि पुलिस ने इस केस में चार लोगों के बयान दर्ज कर लिए हैं. आगे की जांच जारी है.