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इंदौर में 6 दिन में 20 नवजात बच्चों की मौत, परिजन बोले- अस्पताल में दूषित दूध देने से गई जान

इंदौर के MTH अस्पताल में गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ. परिजन ने आरोप लगाया कि अस्पताल में नवजात बच्चों की लगातार मौतें हो रही हैं. इसका कारण, बच्चों को दूषित दूध दिया जा रहा है. वहीं, अस्पताल प्रशासन ने सफाई दी है और बताया कि सोशल मीडिया पर एक दिन में 15 बच्चों की मौत होना भ्रामक है.

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इंदौर के अस्पताल MTH में बच्चों की मौत होने पर परिजन ने डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया. (वीडियो ग्रैब)
इंदौर के अस्पताल MTH में बच्चों की मौत होने पर परिजन ने डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया. (वीडियो ग्रैब)

मध्य प्रदेश के इंदौर में सरकारी अस्पताल में 6 दिन में 20 नवजात बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. पिछले 24 घंटे में ही दो नवजातों की जान गई है. घटना को लेकर परिजनों ने अस्तपाल में हंगामा किया है. उनका कहना है कि दूध खराब दिया जा रहा है, जिसे पीने के बाद बच्चों की हालत बिगड़ रही है. वहीं, अस्पताल प्रबंधन ने इस पूरे मामले में सफाई दी है.

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मामला महाराजा तुकोजीराव अस्पताल का है. गुरुवार को यहां 24 घंटे के भीतर दो नवजात शिशुओं की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया. परिजन ने आरोप लगाया कि बच्चों को दूषित दूध दिया गया. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने इस आरोप से इनकार किया है. कमल जाटव नाम के शख्स ने बताया कि मेरी बेटी ने कुछ दिन पहले एक बच्चे को जन्म दिया था. एक नर्स ने बच्चे को दूध पिलाया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.

'बच्चों को नहीं पिलाया दूषित दूध'

वहीं, स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट के प्रभारी डॉ. सुनील आर्य ने दावा किया है कि किसी भी बच्चे को दूषित दूध नहीं पिलाया गया है. उन्होंने बताया कि मरने वाले दोनों शिशुओं की हालत पहले से ही गंभीर थी. उन्होंने बताया कि उनमें से एक का जन्म पांच दिन पहले और दूसरे का जन्म 17 दिन पहले हुआ था.

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'24 घंटे में दो नवजातों की गई है जान'

उन्होंने बताया कि यहां बच्चे गंभीर हालत में आते हैं. आज की तारीख में सिर्फ दो मौतें हुई हैं. ये भ्रामक खबरें हैं कि एक दिन में 15 की जान गई है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में पिछले 6 दिन में 64 बच्चे भर्ती हुए थे. इनमें से अधिकतर गंभीर हालत में थे. कई बच्चे दूसरे जिलों के अस्पताल से रिफर होकर आते हैं. पिछले 6 दिन में जो 20 बच्चों की मौत हुई है, उनमें 11 बच्चे बाहरी अस्पताल से रिफर होकर आए थे. यहां उनकी डिलीवरी नहीं हुई थी. अफवाहें ना फैलाई जाएं.

'बच्चों का पोस्टमार्टम कराया जाए'

उन्होंने बताया कि घटना की जांच के लिए भी पुलिस से कहा है. हम चाहते हैं कि बच्चों का पोस्टमार्टम कराया जाए, इससे घटना का कारण स्पष्ट हो जाएगा. बिना पीएम के सही कारण का पता नहीं चल सकेगा. प्री मैच्योर डिलीवरी हुई हैं. 1.4 किलो के बच्चे पैदा हुए हैं. यह बहुत लो वेट हो जाता है. नवजात बच्चे का सामान्य वजन 2.5 से 3 या 3.5 किलो तक का होता है. मरने वाले बच्चे गंभीर हालत में ही आए हैं.

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'राइस ट्यूब से दिया जाता है नवजात को दूध'

अस्पताल में बच्चे को दूध राइस ट्यूब से दिया जाता है. ये सीधे पेट में जाता है. स्वांस नली में नहीं जाएगा. अगर डायरेक्ट दूध दिया जाता है तो दिक्कत आती है. पुलिस जांच में सच सामने आएगा. 

'बच्ची के लंग्स में चला गया था दूध'

अस्पताल अधीक्षक पीएस ठाकुर का कहना है कि फिलहाल बच्चों की मौत का आंकड़ा जो सोशल मीडिया पर चल रहा है वह भ्रामक है. सवाल बच्चे की मौत की जांच हो और पोस्टमार्टम में इसका खुलासा हो लेकिन यह बच्चे के माता-पिता तय करेंगे उनको किस तरह से जांच कराना है. 6 दिन में 20 बच्चों की मौत हुई है लेकिन कारण सामान्य मौत है. एक अन्य डॉक्टर ने बताया कि प्री-मैच्योर बच्ची की मौत हुई है. उसे इंफेक्शन हो गया था. दूध लंग्स में चला गया था. खराब दूध के कारण मौत होने की बात गलत है. सोशल मीडिया पर 24 घंटे में 15 बच्चों की मौत होना भ्रामक है. 

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डॉक्टर्स का कहना है कि MTH में रोजाना 100 से ज्यादा बच्चे भर्ती होते हैं. जिन 6 दिनों में 20 बच्चों की मौत हुई है, वो सभी डेथ नेचुरल के मामले हैं. गुरुवार को जिन दो बच्चों की जान गई है, उन दोनों का वजन कम था, इसलिए गंभीर हालत थी. बच्चों को दूध पिलाया गया था. वहीं, परिजन के हंगामे और आरोप के बाद कलेक्टर ने एडीएम को जांच के आदेश दिए हैं.

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'घटना के लिए सरकार और व्यवस्था जिम्मेदार'

घटना के बाद परिजन के हंगामा करने पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने पूरी जानकारी ली और डॉक्टर्स से बात की. पटवारी ने कहा, यहां ना सफाई है, ना बच्चों को बचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं. ना स्टाफ है, ना डॉक्टर के रेशियो को ठीक किया गया. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा है. पूरी मजिस्ट्रीयल जांच की मांग करेंगे. कांग्रेस एक प्रतिनिधि मंडल सीएम, हेल्थ मिनिस्टर और प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पास भेजेगा. कांग्रेस जांच की मांग करेगी. इसके लिए सरकार और व्यवस्था जिम्मेदार है.

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