दिल्ली में वायु प्रदूषण के बाद अब मध्य प्रदेश में वायु प्रदूषण को लेकर सामने आई जानकारी ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया. जानकारी के अनुसार खेतों में पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश देश में सबसे अग्रणी राज्य बन गया है. इसके बाद से वहां किसान निशाने पर आ गए हैं. एक तरफ शासन प्रशासन द्वारा पराली जलाने वाले किसानों पर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. वहीं दूसरी तरफ अब मध्य प्रदेश हाइकोर्ट बार एसोसिएशन ने ऐलान किया है कि किसी किसान पर पराली जलाने का मामला दर्ज हुआ तो बार एसोसिएशन से जुड़ा कोई भी वकील उसकी पैरवी नहीं करेगा.
यानी इसका सीधा मतलब है कि अगर किसी किसान पर पराली जलाने का कोई प्रकरण दर्ज होता है तो उसे कोई वकील नहीं मिलेगा.
अब बार एसोसिएशन के इस ऐलान और पराली जलाने में MP के नंबर 1 होने के मामले को भारतीय किसान संघ ने आड़े हाथों लिया है.संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह ने कहा कि 'पराली जलाने से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है , इस सर्वे का आधार क्या है? जबकि राष्ट्रीय स्तर पर हुए अन्य सर्वे के अनुसार 51 प्रतिशत प्रदूषण उद्योगों से होता है, 27 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों से होता है और 17 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाने के कारण होता है.इसके बावजूद किसानों को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जो कहीं ना कहीं किसानों को बदनाम करने की साजिश है।'
बार एसोसिएशन के पैरवी ना करने के फैसले पर किसान संघ का कहना है कि वकीलों ने यह एक तरफा फैसला लिया है, उन्हें किसानों की समस्याओं को समझना चाहिए.बहरहाल पराली जलाने का यह मुद्दा अब तूल पकड़ रहा है.
इधर गंभीर प्रदूषण झेल रहे दिल्ली एनसीआर की बात करें तो केंद्र ने पराली जलाने पर जुर्माने को दोगुना कर दिया है. नए लिए गए सख्त फैसले के मुताबिक, दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को 5,000 रुपये, 2 से 5 एकड़ जमीन वाले किसानों को 10,000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को पराली जलाने पर 30,000 रुपये जुर्माना देना होगा. बता दें कि बीते महीने के आखिरी में सुप्रीम कोर्ट ने भी पराली जलाने से प्रभावित राज्य सरकारों को कम जुर्माने के लिए फटकारा था, इसके बाद केंद्र ने जुर्माने की राशि बढ़ाई है.