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MP: पूर्व मंत्री और कांग्रेसी नेता विधायक जीतू पटवारी को MP/MLA कोर्ट ने माना दोषी, शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला

जीतू पटवारी पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. पटवारी सहित उनके अन्य सहयोगियों कोर्ट ने को शासकीय कार्य में बाधा के मामले में दोषी ठहराया है. राजगढ़ में साल 2009 में किसानों को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन किया था. जिसमें गेंहू की फसल की एमएसपी को बढ़ाने की मांग की गई थी.

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जीतू पटवारी.
जीतू पटवारी.

शासकीय कार्य में बाधा के मामले में कांग्रेस नेता विधायक जीतू पटवारी पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. पटवारी सहित उनके अन्य सहयोगियों कोर्ट ने को शासकीय कार्य में बाधा के मामले में दोषी ठहराया है. जीतू पटवारी के खिलाफ राजगढ़ में साल 2009 में शासकीय कार्य में बाधा, बलवे समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज हुआ था. 

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दरअसल, राजगढ़ में साल 2009 में किसानों को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन किया था. जिसमें गेंहू की फसल की एमएसपी को बढ़ाने की मांग की गई थी. आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे. जब कांग्रेसी नेता राजगढ़ कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन देने जा रहे थे तो अचानक से पत्थरबाजी शुरू हो गई थी. इस पूरे मामले में दिग्विजय सिंह को चोट भी आई थी.

जब बजट सत्र के लिये सदन से निलंबित किए थे जीतू पटवारी

इसी साल मार्च महीने में कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी (Jitu Patwari) को पूरे बजट सत्र के लिये सदन से निलंबित कर दिया गया था, जिसके बाद सदन में खूब हंगामा हुआ था और कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी (BJP) सरकार और स्पीकर मध्य प्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh) के अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ जमकर नारे लगाये थे.

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सत्ता पक्ष ने आरोप लगाया था कि जीतू पटवारी गलत जानकारी देकर सदन को गुमराह कर रहे हैं. वहीं, जीतू पटवारी का आरोप था कि बीजेपी के राज में सरकारी पैसे से भाजपा के दफ्तर में पार्टी कार्यकर्ताओं को खाना खिलाया जा रहा है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जीतू पटवारी से अपने कथन के पक्ष में सबूत सदन के पटल पर रखने की मांग की थी. जीतू पटवारी ने सरकार की तरफ से पहले दिये गये जवाबों के साथ जो दस्तावेज़ पटल पर रखे उन्हें स्पीकर ने पर्याप्त नहीं माना था.

इस मामले पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा था कि जीतू पटवारी को बजट सत्र से निलंबित करना अलोकतांत्रिक कदम है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से निलंबन पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा था कि एकतरफा निलंबन की कार्रवाई विधानसभा की उच्च परंपराओं के अनुकूल नहीं है.

जीतू पटवारी के निलंबन को बताया था लोकतंत्र की हत्या

 वहीं, कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने जीतू पटवारी के निलंबन को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए कहा था कि साढ़े तीन लाख करोड़ के कर्ज में प्रदेश को डूबा दिया. जब हमने यह प्रश्न किया कि यह पैसा जा कहां रहा है तो हमें पता चला कि भाजपा के लोगों को रैलियों के लिए खाना खिलाया जा रहा है. हमारे पास जीतू पटवारी द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब थे. जब हमने कहा कि जवाब सदन के पटल पर रखते हैं तो पूरी सरकार स्पीकर के कमरे में भाग गई. 

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