
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एमपी के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करने आ रहे हैं. उज्जैन में 'महाकाल लोक' का निर्माण 856 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है. पीएम की सुरक्षा के मद्देनजर इंदौर में डेढ़ हजार जवानों को तैनात किया गया है. उज्जैन पुलिस के साथ ही इंदौर मे भी पुलिस प्रशासन एक्टिव हो गया है. उद्घाटन में पीएम यहां आमसभा को भी संबोधित करेंगे. पीएम उज्जैन में करीब तीन घंटे तक रहेंगे.
इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा है कि पीएम मोदी इंदौर होते हुए उज्जैन के लिए रवाना होंगे. उनके आगमन से पहले शहर में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है. इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में करीब डेढ़ हजार से अधिक जावानों को तैनात कर दिया गया है. पीएम मोदी की सुरक्षा में किसी भी तरह की चूक ना हो इसके लिए कड़े बंदोबस्त भी किए गए है.
महाकाल कॉरिडोर के उद्घाटन में पीएम मोदी के आने को लेकर सीएम शिवराज सिंह ने स्वयं तैयारियों का जायजा लिया है.
900 मीटर से अधिक लंबा गलियारा
900 मीटर से अधिक लंबा कॉरिडोर - 'महाकाल लोक' - भारत में सबसे बड़े ऐसे कॉरिडोर में से एक है, जो पुरानी रुद्रसागर झील के चारों ओर है, जिसे प्राचीन महाकालेश्वर मंदिर (12 'ज्योतिर्लिंगों' में से एक) के आसपास पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में भी पुनर्जीवित किया गया है. राजसी द्वार - नंदी द्वार और पिनाकी द्वार, गलियारे के शुरुआती बिंदु के पास बनाए गए हैं, जो प्राचीन मंदिर का प्रवेश द्वार और रास्ते में सौंदर्य के दृश्य प्रस्तुत करता है.
गलियारे में लगाए गए रुद्राक्ष, बकुल, कदम और बेलपत्र
मंदिर कॉरिडोर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखने के लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर बनाया गया है. उज्जैन स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक ने कहा कि उज्जैन एक प्राचीन और पवित्र शहर है और पुराने हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास महाकाल वन की मौजूदगी का वर्णन है.
उन्होंने बताया कि परियोजना उस प्राचीनता को पुनर्स्थापित नहीं कर सकती जो सदियों पहले थी, लेकिन हमने गलियारे में स्तंभों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली पुरानी, सौंदर्य वास्तुकला के माध्यम से उस गौरव को फिर से जगाने का प्रयास किया है, और कालिदास के अभिज्ञान शकुंतलम में वर्णित बागवानी प्रजातियों को भी गलियारे में लगाया है. इसलिए धार्मिक महत्व वाली लगभग 40-45 ऐसी प्रजातियों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें रुद्राक्ष, बकुल, कदम, बेलपत्र, सप्तपर्णी शामिल हैं.