मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी भले ही एक साल का वक्त बाकी है, लेकिन सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. ऐसे में बीजेपी की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बगावती रुख चुनाव में पार्टी की चिंता बढ़ा सकती है, क्योंकि उनकी तल्खियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. अब तो उन्होंने अपने लोधी समाज के लोगों से यह तक कहना शुरू कर दिया है कि वह अपने हितों का ध्यान रखकर चुनाव में वोट करें. ऐसे में बीजेपी का सियासी खेल कहीं गड़बड़ा न जाए, क्योंकि इससे लोधी वोट छिटक सकता है.
उमा भारती का लोधी समुदाय के कार्यक्रम का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वो कह रही हैं कि मेरे कहने पर बीजेपी को वोट देने की जरूरत नहीं है. मैं कभी नहीं कहती हूं कि लोधी हो तो तुम बीजेपी को ही वोट दो. हम प्यार के बंधन में बंधे हैं, लेकिन राजनीति के बंधन से आप (लोधी समाज) मेरी तरफ से स्वतंत्र हैं. अपना वोट खुद का मान-सम्मान और हित देखकर देना. उमा भारती का यह बयान बीजेपी के लिए आगामी चुनाव में सियासी चिंता बढ़ा सकता है, क्योंकि पार्टी का यह परंपरागत वोटर माना जाता है.
उमा भारती और कल्याण सिंह लोधी समाज के बड़े नेता
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती खुद लोधी समुदाय से आती हैं और मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक में लोधी समुदाय बीजेपी का वोटबैंक माना जाता है. मंडल और कमंडल की सियासत के दौर में लोधी समुदाय ओबीसी का एकलौता वोटबैंक था, जो बीजेपी के साथ खड़ा था. इसके पीछे लोधी समुदाय से आने वाले बीजेपी की दिग्गज नेता कल्याण सिंह और उमा भारती की अहम भूमिका रही थी. कल्याण सिंह यूपी में तो उमा भारती एमपी में पार्टी का ओबीसी चेहरा थी. दोनों ही नेता अपने-अपने राज्य में मुख्यमंत्री भी बने.
कल्याण सिंह के बाद उमा भारती लोधी समाज की सबसे बड़ी नेता हैं और उन्हें पार्टी में इस आधार पर महत्व भी खूब मिला, लेकिन अब ऐसा नहीं है. उमा भारती इन दिनों बीजेपी में अपना पुराने राजनीतिक कद को हासिल करने के लिए शराबबंदी से लेकर तमाम मुद्दे उठा रही हैं, लेकिन उन्हें सियासी अहमियत नहीं मिल पा रही है. वहीं, उमा भारती के करीबी रिश्तेदार प्रीतम सिंह लोधी को बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया है और उनके भतीजे राहुल लोधी की विधायकी पर सियासी संकट गहराया हुआ हुआ है.
प्रीतम सिंह पर एक्शन से लोधी समाज नाराज
प्रीतम सिंह लोधी ने पहले से ही बीजेपी के खिलाफ मध्य प्रदेश में मोर्चा खोल रखा है और अपने लोधी समुदाय को बीजेपी से दूरी बनाए रखने की नसीहत दे रहे हैं. माना जा रहा है कि प्रीतम सिंह पर बीजेपी के एक्शन से लोधी समाज पहले से ही नाराज है. ऐसे में उमा भारती का लोधी समाज के सम्मेलन में यह कहना कि अब समाज के लोगों से यह नहीं कहेंगी कि वो बीजेपी के पक्ष में मतदान करें. मतदान से पहले वे अपने हितों का जरूर ख्याल रखें. इससे लोधी समुदाय की बीजेपी से दूरी बढ़ सकती है और आगामी चुनाव में मुसीबत बढ़ सकता है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में भले ही चार से पांच फीसदी लोधी समुदाय के वोटर्स हैं, लेकिन राज्य की 232 विधानसभा सीटों में से करीब पांच दर्जन सीटों पर सियासी प्रभाव रखते हैं. ऐसे ही एक दर्जन लोकसभा सीट पर भी वह प्रभावी हैं. मध्य प्रदेश के हौशंगाबाद, जबलपुर, खजुराहो, सागर, नरसिंगपुर, भांदरा, मंडला, छिंदवाडा और दमोह आदि जिलों में लोधी समुदाय बड़ी संख्या में हैं. इसी तरह लोधी महाकौशल, बुंदलेखंड और ग्वालियर-चंबल के इलाके में निर्णायक भूमिका में नजर आते हैं.
2003 में उमा भारती बनी थीं मुख्यमंत्री
बता दें कि मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 2003 में उमा भारती को आगे करके कांग्रेस को सत्ता से बेदखल किया था. इस चुनाव में लोधी समुदाय ही नहीं बल्कि ओबीसी की तमाम जातियों ने एकमुश्त बीजेपी के पक्ष में मतदान किए थे और मुख्यमंत्री का ताज उमा भारती के सिर सजा था. दो साल के अंदर ही बीजेपी ने उमा भारती को हटाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी शिवराज की झोली में डाल दी.
उमा भारती ने नाराज होकर बीजेपी छोड़ दी थी और अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली थी. हालांकि, कुछ दिनों के बाद में वह घर वापसी कर गई थी और केंद्रीय राजनीति में कदम रखा. वहीं, दूसरी तरफ 2005 से शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की सत्ता की कमाम अपने हाथो में संभाले हुए हैं. कांग्रेस से विधायकों को तोड़कर 2020 में सत्तापलट कर वापस सत्ता में आने के बाद भी शिवराज सिंह को ही मुख्यमंत्री पद मिला.
उमा भारती केंद्र में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी रहीं, लेकिन 2019 में पार्टी ने न तो उन्हें टिकट दिया और न ही वो संगठन में सक्रिय हैं. ऐसे में उमा भारती सियासी हाशिए पर हैं तो उनके करीबी नेताओं का भी कद घटता जा रहा. प्रीतम सिंह लोधी को ब्राह्मणों पर टिप्पणी किए जाने के बाद बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया है. इसके बाद से भी लोधी समाज बीजेपी से नाराज चल रहा है और अब उमा भारती का बयान उस आग में घी डालने का काम कर सकता है. उमा भारती अपने बयान पर कायम हैं और कह रही हैं कि उसके खंडन की जरूरत नहीं. एमपी में ओबीसी के लोधी समूह का छिटकना बीजेपी पर भारी पड़ सकता है.