इंदौर में 'डिजिटल अरेस्ट' के ताजा मामले में ठग गिरोह ने 65 साल की महिला को जाल में फंसाकर उससे 46 लाख रुपये ठग लिए. सूचना मिलने पर पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
'डिजिटल अरेस्ट' साइबर ठगी का नया तरीका है. ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में तब तक डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं, जब तक ऑनलाइन तरीके से रुपए नहीं ऐंठ लेते.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि ठग गिरोह के एक सदस्य ने 65 वर्षीय महिला को पिछले माह फोन किया और खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का अधिकारी बताया.
उन्होंने बताया, ठग गिरोह के सदस्य ने महिला को झांसा दिया कि नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त, आतंकी गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक व्यक्ति ने उसके बैंक खाते का दुरुपयोग किया है और इस शख्स से मिलीभगत के चलते महिला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. ठग गिरोह के सदस्य ने वीडियो कॉल के जरिये महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया और पांच दिन तक उससे फर्जी पूछताछ की।
एडीसीपी ने बताया कि इस पूछताछ के दौरान महिला को धमकी दी गई कि अगर उसने अपने बैंक खाते में जमा रकम गिरोह के बताए खातों में नहीं भेजी, तो उसे और उसके बच्चों को जान का खतरा हो सकता है. इस धमकी से घबराई महिला ने कुल 46 लाख रुपये गिरोह के बताए अलग-अलग बैंक खातों में दो किस्तों में भेज दिए.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि ठगी का अहसास होने पर महिला ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और पुलिस को शिकायत दर्ज कराई. अब पुलिस ने इस शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.