मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाले 77 साल के डॉ. मुनीश्वर चंद्र डावर को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए चुना गया है. डॉ. डावर जबलपुर में सिर्फ 20 रुपये में लोगों का इलाज करते हैं. वे रोजाना करीब 200 मरीजों को देखते हैं और उनका उपचार करते हैं. इसके साथ ही महंगाई के इस दौर में फीस के रूप में 20 रुपये की मामूली राशि स्वीकार करते हैं.
बता दें कि 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर बुधवार शाम पद्मश्री पाने वालों की सूची जारी की गई है. उसमें एक नाम जबलपुर में रहने वाले डॉ. डावर का भी है. डॉ. डावर का जन्म 16 जनवरी, 1946 को पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ था. विभाजन के बाद वे भारत आ गए. 1967 में उन्होंने जबलपुर से एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) का कोर्स पूरा किया. उन्होंने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लगभग एक वर्ष तक भारतीय सेना में भी काम किया, उसके बाद 1972 से वे जबलपुर में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं.
'सिर्फ लोगों की सेवा करना है मकसद'
डॉ. डावर बताते हैं कि उन्होंने 2 रुपये में लोगों का इलाज शुरू किया था और वर्तमान में वह अपनी फीस के रूप में सिर्फ 20 रुपये लेते हैं. न्यूज एजेंसी से बातचीत में डॉ. डावर ने कहा- इतनी कम फीस लेने को लेकर सदन में चर्चा जरूर हुई, लेकिन इसे लेकर कोई विवाद नहीं हुआ. हमारा मकसद सिर्फ लोगों की सेवा करना था, इसलिए फीस नहीं बढ़ाई गई. डॉ. डावर कहते हैं कि सफलता का मूल मंत्र है- अगर आप धैर्य से काम लेते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलती है और सफलता का सम्मान भी होता है.
'कड़ी मेहनत रंग लाती है'
पद्मश्री से सम्मानित होने पर डावर ने कहा कि कड़ी मेहनत कभी-कभी रंग लाती है, भले ही इसमें देरी हो. उसी का परिणाम है और लोगों का आशीर्वाद है कि मुझे यह पुरस्कार मिला है.
'जमीन पर काम करने वाले को दिया पुरस्कार'
डावर के पुत्र ऋषि ने कहा- हम सोचते थे कि पुरस्कार सिर्फ राजनीतिक पहुंच के कारण दिए जाते हैं, लेकिन सरकार जिस तरह से जमीन पर काम करने वाले लोगों को खोज रही है और उन्हें सम्मानित कर रही है, यह बहुत अच्छी बात है और हमारे पिता को यह पुरस्कार मिला है. डावर की बहू सुचिता ने कहा कि यह हमारे लिए, हमारे परिवार के लिए और हमारे शहर के लिए बहुत ही गर्व की बात है.