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MP News: देवास शहर के हृदय स्थल में स्थित माता टेकरी पर हजारों साल पुराना मां तुलजा भवानी और मां चामुण्डा देवी का मंदिर मालवा या मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में प्रसिद्ध है. इसे माता टेकरी के नाम से जाना जाता है. यहां टेकरी पर पहाड़ के दोनों ओर देवी मां के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं. इन दोनों स्वरूपों को बड़ी माता- मां तुलजा भवानी और छोटी माता- मां चामुण्डा देवी के नाम से जाना जाता है.
देवी-देवताओं का वास होने की वजह से ही शहर का नाम 'देवास' पड़ा. शारदीय नवरात्रि पर्व और चैत्र नवरात्रि पर यहां श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है. यहां देवी मां की पूजा अर्चना का सिलसिला सैकड़ों वर्षों से सुबह-शाम लगातार चला आ रहा है. मान्यता है कि सच्चे मन से यहां आकर जो भी मनोकामना की जाती है वह जरूर पूरी होती है.
टेकरी पर प्राक्रतिक सौंदर्य की छटा एवं पूरे शहर का नजारा देखते ही बनता है. साथ ही टेकरी की पूर्ण परिक्रमा भी परिक्रमा मार्ग पर भक्तों द्वारा अपने आप पूर्ण हो जाती है. भक्त टेकरी के जिस स्थान से अपनी यात्रा प्रारंभ करता है परिक्रमा पूर्ण होने के बाद फिर से वहीं पहुंच जाता है.
टेकरी पर मां तुलजा भवानी बड़ी माता और मां चामुंडा छोटी माता के अलावा श्री हनुमान, भैरव गुफा, कालका माता, अन्नपूर्णा माता, कुबेर देव, जैन मंदिर, खो खो माता आदि के स्थान भी धार्मिक मान्यताओं और सिद्ध स्थान के रूप में मौजूद है.
'पृथ्वीराज रासो' में भी दोनों ही माताओं का वर्णन
तकरीबन हजार वर्ष पूर्व चंदबरदाई द्वारा लिखित महाकाव्य 'पृथ्वीराज रासो' में भी देवास की दोनों ही माताओं का वर्णन है. जो कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर लिखा गया है. बताया जाता है कि पृथ्वीराज चौहान अपने राजकवि चंदबरदाई के साथ यहां आए थे.
यहां पर उज्जैयनी के राजा भर्तहरी ने तपस्या की थी कि उन्हें यहीं से ज्ञान की प्राप्ति हुई और फिर कई ग्रंथों की रचना की. माता टेकरी नाथ सम्प्रदाय की तपोभूमि रही. महान तपस्वी शीलनाथ जी महाराज ने भी यहां साधना की.
पान के बीड़ा का महत्व
ऐसी मान्यता है कि जिस महिला को संतान नहीं होती है अगर वह महिला यहां आकर सच्चे मन से माथा टेके तो उसकी गोद भर जाती है. मान्यता के मुताबिक, बड़ी माता तुलजा भवानी और छोटी माता चामुंडा मां के मुंह में पान का बीड़ा देने पर अगर वह महिला भक्त की झोली में आकर गिर जाता है तो उसे माताजी के आशीर्वाद स्वरूप संतान की प्राप्ति होती है.
यहां पर शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि के आलावा भी वर्ष भर देश के कोने-कोने से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है. माता अपना रूप भी दिन में तीन बार परिवर्तित करती है और यह साक्षात चमत्कार भक्त महसूस भी करते हैं. सुबह बाल स्वरूप में मां अपने भक्तों को दर्शन देती है. दोपहर में युवा स्वरूप मां का दिखाई देता है, और शाम को वृद्ध स्वरूप में मां के दर्शन होते हैं.
मंदिर को लेकर मान्यता
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बड़ी मां और छोटी मां के मध्य बहन का रिश्ता था. एक बार दोनों में किसी बात पर विवाद हो गया. विवाद से क्षुब्द दोनों ही माताएं अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं. बड़ी मां तुलजा भवानी पाताल में समाने लगीं और छोटी मां चामुंडा अपने स्थान से उठ खड़ी हो गईं और टेकरी छोड़कर जाने लगीं. माताओं को कुपित देख माताओं के साथी (माना जाता है कि बजरंगबली माता का ध्वज लेकर आगे और भेरूबाबा मां का कवच बन दोनों माताओं के पीछे चलते हैं) हनुमानजी और भेरूबाबा ने माताओं से क्रोध शांत कर रुकने की विनती की. इस समय तक बड़ी मां का आधा धड़ पाताल में समा चुका था. वे वैसी ही अवस्था में टेकरी में रुक गईं. वहीं छोटी माता टेकरी से नीचे उतर रही थीं. वे मार्ग अवरुद्ध होने से और भी कुपित हो गई और जिस अवस्था में नीचे उतर रही थीं, उसी अवस्था में टेकरी पर रुक गईं. यानि आज भी माता चामुंडा पहाड़ में समाई हुई हैं.
इस तरह आज भी दोनों ही माताएं अपने इन्हीं स्वरूपों में विराजमान हैं. ये मूर्तियां स्वयंभू हैं और जागृत स्वरूप में हैं. सच्चे मन से यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है. हमेशा पूरी होती है. शहरवासी हिन्दू - मुस्लिम भाईचारे को माता जी का आशीर्वाद मानते हैं.
इसके साथ ही देवास के संबंध में एक और लोक मान्यता यह है कि यह एक ऐसा शहर है, जहां दो शासक राज करते थे. बड़ी माता तुलजा भवानी देवास जूनियर रियासत की कुलदेवी हैं, तो वहीं छोटी माता चामुंडा देवी देवास सीनियर राजघराने की कुलदेवी है. देवास की छोटी माता यहां के पवार राजघराने की कुलदेवी होकर आस्था और अटूट विश्वास का प्रमुख केंद्र है. छोटी माता प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत तुकोजीराव पवार के घराने की कुल देवी हैं. आज भी राजघराना माताजी टेकरी पहुंचकर पूरे श्रद्धा भाव से दोनों ही माता रानी की पूजा अर्चना करता है.
टेकरी में दर्शन करने वाले श्रद्धालु बड़ी और छोटी मां के साथ-साथ भेरूबाबा के दर्शन अनिवार्य मानते हैं. नवरात्रि पर्व के दौरान यहां दिन-रात लोगों का तांता लगा रहता है. इन दिनों यहां माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. श्रद्धालु अपनी मन्नतें मांगने और उनके पूरी होने पर कोई नंगे पैर तो कोई घुटने के बल माता रानी के दरबार में चला आता है.
पहाड़ी पर स्थित मां का यह प्रसिद्द स्थान जग प्रसिद्द होने के साथ-साथ सिद्ध भी है. नवरात्रि के नौ दिन यहां आस्था और श्रद्धा का अटूट सैलाब उमड़ता हैं . देश-प्रदेश और अंचल से लाखों की तादाद में भक्त पैदल या अपने वाहनों से माता के दर्शन को आते हैं . इस दौरान यहां जिला पुलिस प्रशासन के द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के पुख़्ता बंदोबस्त किए जाते हैं.
वैसे तो नवरात्रि पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें पश्चिम बंगाल का ख़ास स्थान है, लेकिन बंगाल के दुर्गा पूजन महोत्सव की तरह ही मप्र के देवास में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. प्रसिद्ध माता टेकरी पर मां तुलजा भवानी-चामुंडा माता विराजित है ही. मगर शहर के चौराहों पर आकर्षक पंडाल सजाकर माता प्रतिमाएं विराजित की जाती हैं.
इस दौरान दिन-रात पूरा शहर शक्ति की भक्ति में लीन रहता है. चारों ओर जय माता दी के जयकारे सुनाई देते हैं और माता भजनों से वातावरण भक्तिमय होता है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने माताजी टेकरी पहुंचकर दर्शन किए.
कलेक्टर ऋषव गुप्ता,एसपी सम्पत उपाध्याय की नई टीम ने इस बार भी बाहर से आने वाले श्रद्धालु सुलभ दर्शन कर सकें, इसके लिए जिला पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात प्रबन्धन की दृष्टि से पुख्ता बंदोबस्त किए.