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सर्जरी के लिए चाहिए थे पैसे, तो बना फर्जी SDM! नौकरी का झांसा देकर छात्र से कर ली ठगी

मध्य प्रदेश के इंदौर में महाराष्ट्र के एक ठग ने खुद को डिप्टी कलेक्टर बताकर बीबीए छात्र से नौकरी के नाम पर ठगी कर ली. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. जांच में सामने आया कि आरोपी पहले भी इसी तरह की ठगी कर चुका है. पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा करते हुए आरोपी से पूछताछ की. आगे की कार्रवाई की जा रही है.

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पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार. (Representational image)
पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार. (Representational image)

मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) में चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां महाराष्ट्र के एक ठग ने खुद को एसडीएम बताकर एक छात्र से नौकरी के नाम पर एक लाख रुपये ठग लिए. इस मामले की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस का कहना है कि आरोपी महाराष्ट्र का रहने वाला है. पूछताछ में उसने बताया कि उसे सर्जरी के लिए पैसों की जरूरत थी, इसलिए उसने ऐसा किया.

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जानकारी के अनुसार, इंदौर के एक बीबीए छात्र सारांश मिश्रा के साथ यह ठगी तब हुई, जब आरोपी संकेत चव्हाण ने खुद को भोपाल में राजस्व विभाग का अपर कलेक्टर बताया. उसने बड़ी चतुराई से छात्र को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया और इस बहाने उससे एक लाख रुपये ऐंठ लिए.

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एडिशनल डीसीपी अमरेंद्र सिंह के अनुसार, आरोपी संकेत चव्हाण ने घर के बाहर ‘अपर कलेक्टर’ की नेम प्लेट लगा रखी थी, ताकि लोग उसकी बातों पर आसानी से भरोसा कर लें. उसने खुद को एक प्रभावशाली अधिकारी बताकर छात्र को विश्वास में लिया और पैसे वसूल लिए.

इस ठगी का खुलासा दो दिन पहले हुआ, जब छात्र सारांश मिश्रा को संदेह हुआ और उसने पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को ट्रेस किया और उसे गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला कि संकेत चव्हाण पहले भी इसी तरह की ठगी की घटनाओं को अंजाम दे चुका है और महाराष्ट्र में भी उसके खिलाफ धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं.

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एडिशनल डीसीपी अमरेंद्र सिंह ने कहा कि आरोपी ने खुद को एसडीएम के रूप में इंट्रोड्यूस किया और अपना बैच भी बताया कि वो 2011 बैच का है. उसके यहां रीडर का पद रिक्त है. इसी को लेकर उसने छात्र से 70 हजार रुपये ले लिए और कहा कि वो रीडर के पद का नियुक्ति पत्र जारी करके देगा. इसके बाद छात्र ने काफी दिनों तक इंतजार किया, लेकिन कोई नियुक्ति पत्र नहीं मिला तो उसने शिकायत थाने में की. 

आरोपी खजराना में रह रहा था. इस मामले में एक लाख रुपये की डील हुई थी, जिसमें 70 हजार रुपये छात्र ने दिए थे. आरोपी ने ऐसे कागजात तैयार किए थे, जिन्हें देखकर लगे कि शासकीय कागजात हैं. उन सबका परीक्षण किया जा रहा है. आरोपी को पैसे की जरूरत थी, इसको सर्जरी भी करानी थी. उसी को लेकर इसने ऐसा किया, पूछताछ में आरोपी ने ऐसा कबूल किया है.

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