MP News: हरदा जिले में एक पटाखा फैक्ट्री में सिलसिलेवार विस्फोटों में कई लोगों की मौत की सूचना पर एनएचआरसी ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है. लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाए गए कदमों सहित विस्तृत रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर मांगी गई है
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि 6 फरवरी को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के बाहरी इलाके में एक आतिशबाजी कारखाने में विस्फोटों की एक सीरीज में लगभग 12 लोगों की मौत हो गई और लगभग 200 लोग घायल हो गए. .
धमाके का असर फैक्ट्री के आसपास कई किलोमीटर तक आसपास के इलाकों में महसूस किया गया. कथित तौर पर, वायरल वीडियो में पीड़ितों के शव सड़कों और खेतों में बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं.
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सच है, तो मानवाधिकारों का उल्लंघन है. तदनुसार, उसने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
रिपोर्ट में एफआईआर की स्थिति, विस्फोट के पीड़ितों और उनके पीड़ित परिवारों को प्रदान किए गए स्वास्थ्य और चिकित्सा उपचार पर अद्यतन जानकारी शामिल होने की उम्मीद है. आयोग दोषी और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानना चाहेगा.
7 फरवरी, 2024 को आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फैक्ट्री में 32 हॉल थे जो विस्फोटकों से भरे हुए थे, जिनमें ज्यादातर सुतली बम थे. जब सिलसिलेवार विस्फोट हुए तो फैक्ट्री में 200 से अधिक लोग काम करते थे, जिनमें से लगभग 70 लोग सुबह की पाली में काम करते थे. यह फैक्ट्री पहले भी कुछ अवैधताओं के चलते जांच के दायरे में रही है. साल 2015 में फैक्ट्री के अंदर हुए विस्फोट में दो श्रमिकों की मौत के बाद वर्ष 2022 में इसे बंद करने का आदेश दिया गया था और साल 2021 में मालिक को 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उन्होंने आदेश को चुनौती दी थी.
मृतकों की संख्या हुई 12
हरदा के पटाखा इकाई में विस्फोट में मरने वालों की संख्या 12 तक पहुंच गई. गुरुवार को घटनास्थल के पास एक घर से एक अज्ञात महिला का शव मिला, जबकि सात लोग अभी भी लापता हैं.
हरदा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) एचपी सिंह ने बताया कि हादसे में 200 से अधिक लोग घायल हुए थे, जिनमें से 90 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि 45 को भोपाल, इंदौर और नरमदपुरम के अस्पतालों में रेफर किया गया है.