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'रिक्वेस्ट कर लो या चालान कटवा लो', विधायक पुत्र को मिला घरवालों का दो टूक जवाब, बिना सीट बेल्ट लगाए चला रहा था कार

MLA पति ने कहा कि बेटा बिना सीट बेल्ट लगाए कार चला रहा था. पुलिस ने रोका तो उसने चालान से बचने की कोशिश की. हालांकि, मैंने किसी पुलिसवाले से बात नहीं की. मैंने बेटे से साफ कह दिया कि तुम रिक्वेस्ट (प्रार्थना) कर लो, नहीं तो फिर चालान भर दो. नियम सब के लिए सबके लिए बराबर हैं.  

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ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर चालानी कार्रवाई करती पुलिस.
ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर चालानी कार्रवाई करती पुलिस.

आमतौर पर होता यही है कि किसी विधायक या सांसद के परिजन का पुलिस चालान काट दे तो पुलिस को वर्दी उतारने की सीधे धमकी मिलती है. लेकिन यदि जनप्रतिनिधि समझदार हो तो वो चालान कटवाने में ही अपनी खैरियत समझते हैं. ऐसा ही मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ. जब विधायक पुत्र का सीट बेल्ट नहीं लगाने पर ट्रैफिक पुलिस ने चालान काटा तो बचाव में आए परिजनों ने उसे यही समझाइश दी कि बेटा रिक्वेस्ट कर लो या चालान कटवा लो.

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दरअसल, पुलिस चेकिंग के दौरान खंडवा से बीजेपी की महिला विधायक कंचन तनवे के बेटे को पुलिस ने बिना सीट बेल्ट लगाए कार चलाते हुए रोक लिया और उसका चालान काट दिया. इस पर विधायक पति मुकेश तनवे बेटे के पक्ष में कोतवाली थाने पहुंच गए. पिता ने पुलिस के अधिकारियों से चर्चा कर मामले को रफा-दफा कराया. देखें Video:-

MLA पति मुकेश तनवे ने कहा कि बेटा बिना सीट बेल्ट लगाए कार चला रहा था. पुलिस ने रोका तो उसने चालान से बचने की कोशिश की. हालांकि, मैंने किसी पुलिसवाले से बात नहीं की. मैंने बेटे से साफ कह दिया कि तुम रिक्वेस्ट (प्रार्थना) कर लो, नहीं तो फिर चालान भर दो. नियम सब के लिए सबके लिए बराबर हैं. देखें Video:-

बता दें कि जिस बेटे पर कार्रवाई हुई है उसकी मां कंचन तनवे बलाही (41 साल) समाज से आती हैं. 12वीं तक शिक्षित होने के बाद कंचन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रहीं. बाद में नौकरी छोड़ राजनीति में आईं और भाजपा की बागी प्रत्याशी के बतौर पंधाना जनपद सदस्य का चुनाव लड़कर जनपद अध्यक्ष बनीं और फिर जिला पंचायत की अध्यक्ष भी. उनके पति मुकेश तनवे भाजपा संगठन में सक्रिय हैं, जिन्हे सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल का समर्थक माना जाता है. 

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BJP ने बीते 2023 के विधानसभा चुनाव में कंचन मुकेश तनवे को अपना प्रत्याशी बनाया था. जमीनी पकड़ वाली नेता कंचन ने कांग्रेस उम्मीदवार को 37 हजार से ज्यादा वोटों से पराजित किया था. 

खास बात यह है कि विधायक बनने से पहले कंचन मुकेश तनवे भाजपा के समर्थन के बिना जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं, जिन्हें बाद में भाजपा ने शामिल कर लिया. राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि चुनाव के दौरान कंचन को बीजेपी का टिकट मिलने में भी तत्कालीन पार्टी विधायक देवेंद्र वर्मा ने रोढ़ा लगाया था, तभी से वे उनके खिलाफ खुलकर मैदान में आ गई थीं. 

गौरतलब है कि खंडवा जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रो में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी. सभी सीटों पर अपना कब्ज़ा बरक़रार रखा. सबसे बड़ी जीत हरसूद विधानसभा क्षेत्र से मंत्री विजय शाह की रही. शाह लगातार आठवीं बार विधायक चुने गए. इस बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को साठ हज़ार वोटों के बहुत बड़े अंतर से पराजित किया. 

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