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MP: मृत कर्मचारी के फंड को अपनी पत्नी के खाते में भेजता था दफ्तर का बाबू, 4 साल तक चलता रहा घोटाला

MP News: मामला उजागर कुछ इस प्रकार हुआ कि जब महालेखाकार ग्वालियर पूरे प्रदेश के डीडीओ की जांच कर रहे थे, तब उन्होंने देखा कि शाजापुर के विभागों में लेखापाल के व्यक्तिगत खाते में भारी मात्रा में राशि का लेन-देन किया गया है. जब इसकी जांच की गई, तो पूरा घोटाला पकड़ा गया.

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शाजापुर में पकड़ा गया बड़ा घोटाला.
शाजापुर में पकड़ा गया बड़ा घोटाला.

शाजापुर के पशु चिकित्सा विभाग में पदस्थ बाबू महेश मालवीय कर्मचारियों के पैसे को अपनी पत्नी के खाते में जमा करता था. विभाग की मृत महिला कर्मचारी का पैसा भी कर्मचारी के परिजनों को देने के बजाय पत्नी के खाते में जमा कर दिया. लगभग 70 से 80 लाख रुपए कर्मचारियों के एरियर, कई कर्मचारियों का वेतन को अपनी पत्नी के बैक ऑफ इंडिया के खाते में जमा करता था. जब महालेखा आयुक्त की नजर बाबू की पत्नी और बाबू के बैंक खाते पर पड़ी तो पता चला साल 2019 से लगातार बाबू का बैक बैंलेंस बढ़ रहा है. इसकी जांच कराई गई तो चौंकाने वाला घोटाला दिखा. 

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पशु चिकत्सा विभाग में पदस्थ बाबू महेश मालवीय ने आगर मालवा जिले के गौ अभ्यारण में अनुदान राशि को फर्जी तरीके से विड्रॉल कर पत्नी के खाते में जमा करता रहा. इसी के साथ शाजापुर के शिक्षा विभाग में भी राधेश्याम मगरोला बाबू ने मृतक शिक्षक को मिलने वाली बीमा राशि को अपने खाते में जमा कर लिया. लेकिन जैसे मामला उजागर हुआ तो शिक्षा विभाग के बाबू ने 7 लाख सरकारी खजाने में जमा कर दिया. 

शिक्षा विभाग में बाबू का ये खेल 2020 से चल रहा था. इस मामले में कलेक्टर ने जांच कमेटी गठित की. मामले में आगे जांच की जा रही है. यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2019 से लगातार जारी था. क्योंकि सरकार ने डीडीओ को आहरण-संवितरण के अधिकार दिए थे. इसलिए अधिकांश विभागों में जो अकाउंटेंट हैं, वे इस अधिकार का गलत फायदा उठाकर सरकारी पैसे को अपने खाते में जमा कर रहे हैं. 

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जिस प्रकार उज्जैन में जेलर का मामला हुआ था, उसी तरह का यह मामला है. मामला उजागर कुछ इस प्रकार हुआ कि जब महालेखाकार ग्वालियर पूरे प्रदेश के डीडीओ की जांच कर रहे थे, तब उन्होंने देखा कि शाजापुर के विभागों में लेखापाल के व्यक्तिगत खाते में भारी मात्रा में राशि का लेन-देन किया गया है. जब इसकी जांच की गई, तो मामला उजागर हुआ.

कैसे करते थे बाबू फर्जीवाड़ा?

पशु विभाग और शिक्षा विभाग में पदस्थ बाबू मृत कर्मचारियों की बीमा राशि, रिफंड, बिल, एरियर अन्य मदों में मिलने वाली राशि को अपने खाते में जमा कर लेते थे. DDO के लॉगिन से खाता नंबर बदल देते और गलत तरीके से राशि अपने खाते में जमा लेते थे.

80 लाख रुपए से ज्यादा का फर्जीवाड़ा हुआ

शिक्षा विभाग की शुरुआत की जांच में 10 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया. मगर जांच में ये राशि बढ़ने की उम्मीद है. वहीं, पशु विभाग में शाजापुर और आगर मालवा जिले को मिलाकर ये घोटाला 70 लखा रुपए से अधिक का है. मामले की जांच के लिए एक दल बनाया है.  कलेक्टर किशोर कन्याल का बयान:-

 

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