6 दिनों से कूनो नेशनल पार्क के निकले चीते ओबान का गुरुवार को रेस्क्यू कर लिया गया. उसे शिवपुरी जिले के जंगल से पार्क की टीम ने रेस्क्यू किया और वापस कूनो लेकर आई. ग्रामीण इलाकों में बार-बार नजर आने के चलते ग्रामीणों में दहशत थी. कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन के मुताबिक, सभी मादा और नर चीता पार्क में ही मौजूद हैं.
दरअसल, मध्यप्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल मे छोड़े गए नामीबियाई 4 चीतों में से एक नर चीता ओबान एक अप्रैल को पार्क से निकलकर ग्रामीण इलाके में चला गया था. इसके चलते ग्रामीणों में दहशत का माहौल था और कूनो प्रबंधन और वन विभाग के लिए भी सिरदर्द बना हुआ था.
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शनिवार को पार्क से निकला था ओबान
ओबान पार्क के क्षेत्र को छोड़कर शनिवार की रात से ही लगातार बाहरी इलाकों के वन क्षेत्रों और गांवों में नजर आ रहा था. इस दौरान उसने शिकार भी किया था. रविवार की सुबह कूनो पार्क से 15 किमी दूर झार बड़ौदा और गोलीपुरा गांवों से होते हुए खेतों में जा पहुंचा था, फिर दूसरे दिन सोमवार को पार्वती बड़ौदा गांव में क्वारी नदी के किनारे पर पानी पीते नजर आया था.
मंगलवार को वह कुछ देर के लिए पार्क की हद में लौटा, लेकिन फिर नहाड-सिलपुरा गांव के पास बफर जोन में जा पहुंचा था. यहां से होते हुए वह दो दिनों से शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील के पिपरवास के जंगल में ट्रेस हो रहा था.
किया था ब्लैक बक का शिकार
बुधवार सुबह चीते ने एक ब्लैक बक का शिकार कर अपनी भूख मिटाई थी. ओबान को आगरा वन रेंज सहित कूनो की दूसरी टीमें लगातार फॉलो कर रही थीं, लेकिन ओबान पांच दिन बाद भी पार्क में लौटने को तैयार नहीं था. ऐसे में वन विभाग की टीम ने गुरुवार देर शाम शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील के रामपुरा गांव से सटे जंगल पहुंची.
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ओबान को किया ट्रेंकुलाइज
यहां टीम को ओबान नजर आया और फिर कड़ी मशक्कत के बाद उसे ट्रेंकुलाइज किया गया. फिर बड़ी ही सावधानी के साथ उसे पिंजरे में बंद किया और फिर गाड़ी के जरिए पिंजरे में बंद ओबान को कूनो पार्क वापस पहुंचाया.
ग्रामीणों और अधिकारियों ने ली राहत की सांस
ओबान के रेस्क्यू के बाद ग्रामीणों से लेकर वन विभाग और कूनो प्रबंधन ने राहत की सांस ली. बीते 6 दिन से ओबान पर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं. ग्रामीणों को डर था कि कहीं चीता उन पर हमला न कर दे. घायल न हो जाए.
कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने आजतक से फोन कॉल पर चर्चा करते हुए बताया कि हमारी टीम ने शिवपुरी जिले के पोहरी के जंगल से ओबान का रेस्क्यू कर उसे कूनो पार्क पहुंचा दिया. मादा चीता आशा और नर एल्टन, फ्रेडी कूनो नेशनल पार्क में ही मौजूद हैं. सभी सामान्य व्यवहार कर रहे हैं.
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11 मार्च को खुले जंगल में छोड़ा गया था ओबान
बता दें कि, पिछले साल सितंबर माह में चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लाए गए 8 चीतों में से 4 चीतों को बाड़ों में से निकाल कर खुले जंगल में रिलीज किया गया है. नर चीता ओबान और मादा चीता आशा को 11 मार्च को जबकि, एल्टन और फ्रेडी को 22 मार्च को जंगल में रिलीज किया गया.
वहीं, मादा चीता साशा की बीती 27 मार्च को किडनी बीमारी से मौत हो गई, जबकि दूसरी मादा सियाया ने 29 मार्च को 4 शावकों को जन्म दिया था, इसके अलावा पिछले दिनों 18 फरवरी को साउथ अफ्रीका से 7 नर और 5 मादा सहित 12 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में लाकर बसाया गया है. जिन्हें अब क्वारंटीन पीरियड खत्म होने के बाद बड़े बाडे में छोड़ने की तैयारियां की जा रही है.