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पैर की जगह गैंडे जैसा सींग, मल-मूत्र द्वार भी नहीं, MP में जन्मा अनोखा बच्चा

MP के शिवपुरी जिले में एक महिला ने अनोखे बच्चे को जन्म दिया है, जिसके पैर की जगह सींग हैं. साथ ही मल-मूत्र द्वार भी नहीं है. नवजात के सामान्य न होने की वजह से उसे शिवपुरी जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया है. फिलहाल नवजात को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है.

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नवजात को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. (सांकेतिक तस्वीर)
नवजात को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. (सांकेतिक तस्वीर)

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में पैर की जगह सींग वाला बच्चा जन्मा है. नवजात का मल-मूत्र द्वार भी नहीं है. बावजूद इसके 24 घंटे बीतने के बाद भी बच्चा स्वस्थ है. नवजात के सिर और दो हाथ आम इंसान की ही तरह हैं. लेकिन दोनों पैर एक दूसरे से गैंडे के सींग की तरह जुड़े हुए हैं. मनपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने जच्च-बच्चा दोनों को शिवपुरी जिला अस्पताल रेफर कर दिया. अस्पताल के एसएनसीयू में नवजात को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है.

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जिले के पिछोर ब्लॉक के भोड़न गांव की रहने वाली भावना पाल को प्रसव पीड़ा के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मनपुरा में भर्ती कराया गया था. प्रसूता भावना ने एक नवजात को जन्म दिया. लेकिन जन्मा नवजात न ही सामान्य और न पूर्ण रूप से विकसित पैदा हुआ. नवजात के सामान्य न होने की वजह से उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मनपुरा में पदस्थ डॉक्टर ने शिवपुरी जिला अस्पताल रेफर कर दिया.  

जिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि नवजात अविकसित पैदा हुआ है. साथ ही नवजात के मल-मूत्र द्वार भी नहीं है.

इससे पहले रतलाम में जावरा की रहने वाली महिला ने एक अनोखे बच्चे को जन्म दिया था, जिसके दो सिर और तीन हाथ हैं. बच्चे को देखते ही डॉक्टर भी हैरान रह गए. डॉक्टरों ने बताया कि इस तरह के केस करोड़ों में एक होते हैं, इनको साइंस का चमत्कार भी कहा जाता है. साइंस की भाषा में इस तरह की स्थिति को पोलीसेफली कंडीशन कहते हैं.

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एक ही धड़ से निकले दो सिर

बता दें कि मासूम के ही धड़ से दो सिर जुड़े हुए हैं. तीन हाथों में से दो तो सामान्य जगह पर हैं, वहीं तीसरा हाथ दोनों चेहरों के बीच पीठ की तरफ निकला हुआ है. नवजात का इलाज करने वाले डॉक्टर ने बताया कि इस तरह के केस में कई बच्चे या तो गर्भ में खत्म हो जाते हैं और अगर बच्चे का जन्म हो भी जाता है तो ज्यादा समय तक वह जीवित नहीं रह पाते हैं. हालांकि, ऐसे मामलों में सर्जरी का विकल्प भी रहता है, लेकिन फिर उनके बचने की उम्मीद बहुत कम होती है.

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