
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव नए मुख्यमंत्री होंगे. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में नए सीएम का चयन किया गया. विधायक दल की बैठक में शिवराज ने विधायक दल के नेता के लिए मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव दिया और मौजूद सभी विधायकों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. बीजेपी विधायक दल की बैठक के बाद जैसे ही सीएम के लिए मोहन यादव के नाम का ऐलान हुआ सभी चौंक गए. निवर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान का क्या होगा? चर्चा इसे लेकर शुरू हो गई.
चर्चा ये शुरू हो गई कि मध्य प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर जारी सफर समाप्त होने के बाद अब मामा का क्या होगा? क्या शिवराज केंद्र सरकार में कृषि मंत्री बनेंगे, लोकसभा चुनाव लड़ेंगे या संगठन के काम में जुट जाएंगे, शिवराज के सामने अब क्या विकल्प हैं? तमाम कयासों के बीच सीएम शिवराज का एक बयान आया है. मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने कहा है कि मैं अपने लिए कुछ मांगने की अपेक्षा मरना पसंद करूंगा. पार्टी ने मुझे सब कुछ दिया, अब मेरी बारी है कि पार्टी को दूं. शिवराज का ये बयान क्या इशारा करता है?
शिवराज के बयान में क्या संदेश
सीएम शिवराज के बयान में पार्टी के प्रति निष्ठा तो है ही, भविष्य में संगठन के लिए काम करने का संकेत भी है. शिवराज पहले भी बार-बार यह कहते रहे हैं कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा. शिवराज मध्य प्रदेश चुनाव नतीजों के बाद कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा और दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ पहुंचकर रैली की. शिवराज नए सीएम के ऐलान से पहले लगातार इस तरह के संकेत देते रहे कि उनका लक्ष्य 2024 का चुनाव है. शिवराज ने यह भी कहा था कि 2024 में पीएम मोदी को 29 कमल का हार पहनाना चाहता हूं. अब ताजा बयान को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
शिवराज के लिए आगे की राह क्या होगी?
साल 2005 में पहली बार सत्ता की बागडोर संभालने के बाद से 2023 के चुनाव नतीजों के बाद हुई विधायक दल की बैठक तक, मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार के पर्याय रहे शिवराज सिंह चौहान इस बार सीएम नहीं होंगे. ऐसे में सवाल ये भी है कि अब शिवराज के लिए आगे की राह क्या होगी? क्या शिवराज केंद्र सरकार में मंत्री बनेंगे? क्या लाडली योजनाओं के ब्रांड एम्बेसडर को बीजेपी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ाएगी? क्या शिवराज को बीजेपी संगठन में बड़ा पद देगी? सवाल तमाम उठ रहे हैं.
संभावना-1: क्या केंद्र में कृषि मंत्री बनेंगे शिवराज?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में कृषि मंत्रालय हाल-फिलहाल तक नरेंद्र सिंह तोमर के पास था. विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने तोमर और प्रह्लाद सिंह पटेल के इस्तीफे के बाद केंद्रीय कैबिनेट में मध्य प्रदेश कोटे से दो पद रिक्त हुए हैं. तोमर को मध्य प्रदेश विधानसभा का स्पीकर बना दिया गया है. ऐसे में क्या शिवराज को केंद्र में कृषि मंत्री बनाया जा सकता है? ये चर्चा इसलिए भी है क्योंकि सूबे ने पिछले 10 साल में कृषि के क्षेत्र में जबरदस्त ग्रोथ दिखाई है. इस नाते भी शिवराज का दावा इस पद के लिए मजबूत बताया जा रहा है.
एक किताब में तो ये भी दावा किया गया था कि नरेंद्र मोदी अपनी पहली सरकार में ही शिवराज को कृषि मंत्री बनाना चाहते थे. लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि क्या पीएम मोदी किसी पॉपुलर चेहरे को केंद्र में लेंगे? क्या वे भविष्य में किसी पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में किसी दूसरे नाम की जरूरत पड़ी तो ऐसी स्थिति के लिए शिवराज का कद और बढ़ाने, बड़ा पद देने की गलती करेंगे? हालांकि, शिवराज भी बार-बार ये दोहरा रहे हैं- मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा.
संभावना-2: क्या लोकसभा चुनाव लड़ेंगे शिवराज?
शिवराज ने चुनावी राजनीति के शुरुआती दौर में ही लोकसभा चुनाव भी लड़ा था और वह भी अटल बिहारी वाजपेयी के इस्तीफे के कारण रिक्त हुई सीट विदिशा से. तब शिवराज का विधायी करियर महज एक साल का ही था. 1990 में बुधनी सीट से विधायक निर्वाचित हुए शिवराज 1991 में विदिशा से निर्वाचित हुए शिवराज के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे. हाल के विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद वे छिंदवाड़ा चले गए थे और कहा था कि पीएम मोदी को 29 कमल की माला पहनाना चाहेंगे. अभी बीजेपी के पास सूबे की 29 में से 28 लोकसभा सीटें हैं. एकमात्र छिंदवाड़ा की सीट है जिसे बीजेपी नहीं जीत पा रही है. बदली परिस्थितियों में क्या शिवराज छिंदवाड़ा से ही चुनाव लड़कर केंद्रीय राजनीति की मुख्यधारा में आने का प्रयास करेंगे?
संभावना-3: क्या संगठन में बड़ा पद मिल सकता है?
शिवराज सिंह चौहान को 2018 के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था. अब ऐसे कयास हैं कि शिवराज के कद को देखते हुए जेपी नड्डा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है. बीजेपी में पिछले दो लोकसभा चुनावों का पैटर्न देखें तो हर बार राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनाव के बाद केंद्र सरकार में गृह मंत्री का पद मिला है. 2014 चुनाव के समय राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह मोदी सरकार 1.0 में गृह मंत्री रहे तो मोदी 2.0 में 2019 चुनाव के समय राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह गृह मंत्री बने.
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अब अगर यही पैटर्न जारी रहा तो 2024 के चुनाव में बीजेपी की जीत की स्थिति में जेपी नड्डा की इस पद के लिए दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. ऐसे में संगठन से सरकार तक का अनुभव राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए शिवराज की दावेदारी को और मजबूत बनाता है. लेकिन यहां भी बात वहीं अटकती है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ शिवराज की ट्यूनिंग बहुत बेहतर नहीं है. ऐसे में क्या ऐसा होगा?
संभावना-4: क्या विधायक के तौर पर चुपचाप काम करते रहेंगे शिवराज?
अब सवाल ये भी है कि क्या शिवराज केंद्र सरकार या संगठन में बड़ा पद लेने की जगह शिवराज विधायक के रूप में चुपचाप काम करते रहेंगे? कहा तो ये भी जा रहा है कि शिवराज बतौर विधायक काम करते हैं तो नेपथ्य में चले जाएंगे. शिवराज की उम्र अभी 64 साल है और उनके पास सक्रिय राजनीति के लिए अभी बहुत समय बचा है. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि शिवराज ऐसे नेता नहीं हैं जो पार्टी के स्टैंड के खिलाफ जाए और ऐसे भी नहीं जो सियासी व्यूह में पटखनी खाने के बाद शांति से बैठ जाए. वह ऐसे नेता हैं जिसे एक कदम पीछे धकेला जाए तो वह और निखर कर तीन कदम आगे आ जाता है. ऐसा पहले भी हुआ है और आगे भी हो तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
उन्होंने ये भी कहा कि शिवराज की रणनीति अब मध्य प्रदेश में अधिक सक्रिय होंगे और साथ ही साथ ही साथ संघ में भी अपनी पिच मजबूत करने की होगी जिससे नरेंद्र मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी दावेदारी मजबूत हो. बीजेपी में अभी जिन चेहरों को पीएम मोदी के बाद पीएम का दावेदार माना जाता है, उनमें न तो यूपी के सीएम योगी ओबीसी हैं और ना ही अमित शाह ही. ऐसे में जातिगत जनगणना को लेकर बन रहा माहौल और ओबीसी को लेकर विपक्ष का आक्रामक रुख भी पीएम पद के लिए ओबीसी वर्ग से आने वाले शिवराज की दावेदारी को मजबूत करेगा. शिवराज की पैन इंडिया स्वीकार्यता, सरल-सहज-सुलभ नेता की इमेज, मामा और भैया के रिश्ते के सहारे महिलाओं-युवाओं के बीच लोकप्रियता और किसान पुत्र की इमेज भी चेरी ऑन द केक साबित हो सकते हैं.
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फिलहाल, मध्य प्रदेश के लिए शिव का राज अब इतिहास बन चुका है और प्रदेश अब मोहन राज की शुरुआता के मुहाने पर खड़ा है. मामा का क्या होगा, सूबे की सियासत और सरकार की तासीर-तस्वीर में कितना बदलाव होगा? इन सभी सवालों के जवाब वक्त ही देगा. बाकी सब कयास हैं और बीजेपी ने तीन राज्यों का नया सीएम देकर भी सबको चौंकाया ही है. ऐसे में पार्टी भविष्य में भी चौंकाएगी, इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता.