मध्य प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाए कि राज्य सरकार आयोग में काम नहीं करने दे रही है. सवा दो साल से पद पर होने के बावजूद महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए लिए कुछ नहीं सकी. सारे अधिकार छीन लिए गए हैं. अब दूसरे मंचों से महिलाओं की पीड़ा को आवाज देने के लिए संघर्ष किया जाएगा.
शोभा ओझा ने ट्विटर पर लिखा, 'शिवराज सरकार राज्य महिला आयोग को पंगु बना कर महिला सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है. लिहाजा मैंने आयोग के अध्यक्ष पद की संवैधानिक बाध्यताओं को त्याग कर पीड़ित और शोषित महिलाओं की वेदना को स्वर देने के अपने संघर्ष को अन्य मंचों से जारी रखने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.'
अपने इस्तीफे की जानकारी देते हुए शोभा ओझा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिख कर कहा, 'मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि राज्य महिला आयोग की संवैधानिक रूप से गठित कार्यकारिणी को भंग करने का प्रयास कर, उसे न्यायालयीन प्रक्रियाओं में उलझाकर, आपकी सरकार ने हजारों महिलाओं को न्याय से वंचित करने का अन्यायपूर्ण व अक्षम्य कार्य किया है. राजनीतिक स्वार्थों की खातिर महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों की बलि चढ़ाने का जो पाप आपकी सरकार ने किया है, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है.'
उन्होंने आगे लिखा कि अधिनियम-1995 की धारा-3 के तहत मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग, जो महिलाओं के शुभचिंतक, परामर्शदाता, मित्र, शिक्षक और श्रोता के रूप में कार्य करने के लिए एक संवैधानिक निकाय के रूप में गठित किया गया था, उसे अधिकार विहीन, शक्तिहीन और पंगु बनाने की आपकी सरकार की कोशिशें 'बेटी बचाओ' और 'नारी सुरक्षा' जैसे आपके ही नारों के खोखलेपन और वास्तविक मंशा को उजागर कर रहे हैं.
अपने त्यागपत्र में शोभा ओझा ने लिखा, 'इन परिस्थितियों में महिला आयोग के ऐसे अशक्त मुखिया की भूमिका में हूं, जिसके सारे अधिकार छीन लिए गए हैं. मैं चाहकर भी महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और उनके अधिकारों के लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं. लिहाजा मैं आयोग के अध्यक्ष पद की संवैधानिक बाध्यताओं को त्याग कर उन्मुक्त और खुले मन से पीड़ित, शोषित और दमित महिलाओं की व्यथा और वेदना को स्वर देने के अपने संघर्ष को अन्य मंचों से जारी रखने का संकल्प और पवित्र उद्देश्य लिए अपने पद से इस्तीफा देना चाहती हूं. कृपया इस पत्र को ही मेरा इस्तीफा समझें.'