अंगदान और देहदान को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया है. प्रदेश में अंगदान और देहदान करने वालों के परिवारों को सरकार अब गार्ड ऑफ ऑनर देगी. साथ ही 26 जनवरी और 15 अगस्त को सम्मानित भी किया जाएगा. CM ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रदेश में एक संस्थान भी खोला जाएगा.
CM यादव ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में भोपाल एम्स में भर्ती एक मरीज को ब्रेन डेड शख्स के अंगदान से नया जीवन मिला. उन्होंने कहा कि अंगदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ये नई पहल शुरू करने जा रही है, ताकि दुर्घटना, बीमारी या अन्य वजह से जो लोग ब्रेन डेड घोषित हों या जिनके जीवन की आशा नहीं बची हो, उनके परिवारों की सहमति से किसी दूसरे व्यक्ति को जीवनदान मिल जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस भी परिवार की ओर से देहदान किया जाएगा, उनको राजकीय सम्मान सरकार की ओर से दिया जाएगा. सभी मेडिकल कॉलेजों में आजकल बॉडी की आवश्यकता पड़ती है, ऐसे में देहदान के माध्यम से चिकित्सकों की नई फोर्स तैयार होगी.
इसको प्रोत्साहन देने के लिए इस बात का निर्णय कर रहे हैं कि देहदान करने वाले व्यक्ति की बॉडी को योग्य चिकित्सक संस्थान तक पहुंचाएंगे और उस अवसर पर राजकीय सम्मान भी किया जाएगा. गृह विभाग से से तालमेल कर इसकी व्यवस्था करेंगे.
अंग प्रत्यारोपण संस्थान बना है, कोशिश करेंगे एक राज्य स्तरीय संस्थान स्थापित करें और एम्स बहुत अच्छा स्थान है, लेकिन बहुत बड़ा राज्य है, इसलिए कोशिश करेंगे एक बड़ा संस्थान बनाया जाए. 15 अगस्त और 26 जनवरी राष्ट्रीय अवसरों पर सम्मानित करने का काम हमारी सरकार द्वारा किया जाएगा.
दरअसल, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश की राजधानी भोपाल एम्स पहुंचे थे, जहां प्रदेश का पहला सफल हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है. PM श्री एम्बुलेंस से सागर ज़िले से मरीज को एयरलिफ़्ट कर भोपाल एम्स लाया गया था. उसका आयुष्मान योजना के तहत पहला सफल हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सफल हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद मरीज़ का हाल जाना. ट्रांसप्लांट को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ये सेंट्रल इंडिया का पहला प्रयोग था. एम्स के डॉक्टर्स ने सफल ऑपरेशन किया है.
CM मोहन यादव ने कहा कि मैं मरीज से मिला वह स्वस्थ है. अंगदान करने का ये एक उदाहरण है. हेल्थ डिपार्टमेंट ने इसको प्राथमिकता से लिया. एयर एंबुलेंस की व्यवस्था भी की. हर दिन कई उदाहरण आ रहे हैं और मरीज़ों की जान बचाई जा रही है.
बता दें कि सागर जिले के ग्राम मानक्याई के रहने वाले 61 साल के बलिराम कुशवाहा को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था, जो जबलपुर के अस्पताल में भर्ती थे. डॉक्टरों से बलिराम के स्वास्थ्य की जानकारी लगते ही परिजनों ने उनके अंगदान का संकल्प लिया.
दूसरी ओर, जबलपुर में ब्रेन डेड मरीज की सूचना मिलते ही मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल कार्रवाई की. CM मोहन यादव के निर्देशों पर एम्स भोपाल के डॉक्टरों की टीम रातों-रात जबलपुर पहुंची. प्रक्रिया शुरू की. इस पूरी प्रक्रिया में जबलपुर, भोपाल और इंदौर में 3 ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए. पुलिस और चिकित्सा विभाग ने बेहतरीन समन्वय से अंगों का समय पर परिवहन हुआ. हार्ट को एयर एंबुलेंस की मदद से जबलपुर से भोपाल एम्स भेजा गया था.