
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बिजावर एसडीएम का एक आदेश सुर्खियों में है. बिजावर एसडीएम ने स्थानीय पटवारी, कोटवारों को नेशनल हाईवे से आवारा पशुओं को हटाकर गौशाला पहुंचाने का जिम्मा दिया है जिसका अब पटवारी संघ विरोध कर रहा है.
दरअसल, बिजावर एसडीएम विजय ने 6 कर्मचारियों को शाम 6 से रात 10 बजे तक नेशनल हाईवे पर देवगांव मौड़ और देवगांव टोल टैक्स के पास से आवारा पशुओं को हटाकर नजदीकी राजनगर पंचायत के अंतर्गत संचालित गौशाला पहुंचाने का आदेश जारी किया है. आदेश के साथ ही कर्मचारियों का नाम भी है. इनमें एक पटवारी, एक रोजगार सहायक, एक पंचायत सचिव और तीन कोटवार हैं.
इसके साथ ही आदेश में लिखा है कि पंचायत निरीक्षक जनपद पंचायत राजनगर एवं राजस्व निरीक्षक सर्किल इमदुली तहसील सटई को निर्देशित किया जाता है कि प्रतिदिन स्वयं उपरोक्त कार्य का निरीक्षण करेंगे एवं प्रगति से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपंचायत राजनगर एवं तहसीलदार सटई को अवगत कराएंगे. यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा.
पटवारी संघ ने जताया विरोध
आदेश के बाद मध्य प्रदेश पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह बघेल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि दिनभर सरकारी नौकरी करने के बाद शासकीय सेवकों को अब सड़कों से आवारा पशु भी हटाने होंगे जबकि टोल सिर्फ पैसा वसूलेंगे. यह आदेश गलत है और इसे वापस लिया जाना चाहिए.
ड्यूटी से राजस्व का काम प्रभावित नहीं होगा
मामले के तूल पकड़ने पर बिजावर एसडीएम ने कहा कि आदेश में कुछ गलत नहीं है क्योंकि पटवारियों के सड़क पर बैठे मवेशियों को गौशाला भेजने की ड्यूटी से राजस्व का काम प्रभावित नहीं होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए शाम छह बजे से रात दस बजे तक आवारा मवेशियों को पकड़कर गौशाला भेजने की जिम्मेदारी दी गई है. राजस्व का अमला और ग्राम पंचायत दोनों मिलकर काम करती हैं और सड़क पर बैठे मवेशियों की वजह से दुघर्टना को रोकने के लिए ही उन्हें गौशाला भेजने के लिए ड्यूटी लगाई गई है.