मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक गांव ऐसा है कि जहां हर घर में एक टीचर है. यहां पर शिक्षक के पेशे का स्तर इतना ऊंचा है कि चार-पांच पीढ़ियों से शिक्षक बनने का सिलसिला चला आ रहा है. सिंहपुर गांव के लिए कहावत बोली जाती है कि अगर आप यहां एक पत्थर भी उछालें, तो वह किसी शिक्षक पर ही गिरेगा. ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा ही वह ताकत है जो समाज को आगे बढ़ाती है.
यहां के शिक्षकों की कहानियां काफी प्रेरणादायक हैं, इनका समर्पण गांव को एक शिक्षा का केंद्र बना देता है. गांव के लोगों का कहना है कि वो चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां भी इसी राह पर आगे बढ़ें और शिक्षा के माध्यम से समाज को नई दिशा दें. गांव की आबादी 5500 के लगभग है, जिसमें 400-500 शिक्षक इस गांव में हैं. गांव के रहने वाले राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि उनके माता- पिता ने ऐसे संस्कार दिए कि उनके परिवार में 10 शिक्षक हैं.
गांव में है शिक्षक बनने की परंपरा
इसके अलावा आशीर्वाद शर्मा ने बताया कि उनके माता-पिता इसी स्कूल में टीचर थे और वो भी यहीं पढ़ीं. यहां बहुत से ऐसे शिक्षक हैं, जिन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिला.
पीढ़ियों से चली आ रही है शिक्षक बनने की परंपरा
बता दें, 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. यह दिन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस दिन शिक्षकों सम्मान देने के विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम्स का आयोजन किया जाता है.