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'भ्रम से रहें दूर, दुकान के बोर्ड पर मालिक का नाम लिखना जरूरी नहीं...', नेम प्लेट विवाद के बीच MP सरकार का बयान

Name Plate Controversy: एक विज्ञप्ति जारी कर सरकार की ओर से कहा गया है कि 'मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017' के तहत दुकानों पर बोर्ड लगाए जा सकते हैं. इन बोर्डों पर दुकान मालिक का नाम प्रदर्शित करने की कोई अनिवार्यता नहीं है. 

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(फाइल फोटो)
(फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश सरकार ने साफ किया है कि नगरीय क्षेत्र के तहत कांवड़ यात्रियों के मार्ग में आने वाली दुकानों के बोर्ड पर दुकान मालिक के नाम लिखने संबंधित कोई भी निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. राज्य सरकार ने यह बयान सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले जारी कर दिया था. 

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प्रदेश के नगरीय विकास और आवास विभाग ने कहा कि कुछ निकायों से इस तरह की खबरें आ रही थीं कि वहां कांवड़ यात्रियों के मार्ग में दुकानों पर दुकान मालिक के नाम अनिवार्य रूप से लिखवाए जा रहे हैं. विभाग ने समस्त नगरीय निकायों को निर्देश दिए कि भ्रम से दूर रहें. 

एक विज्ञप्ति जारी कर सरकार की ओर से कहा गया है कि 'मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017' के तहत दुकानों पर बोर्ड लगाए जा सकते हैं. इन बोर्डों पर दुकान मालिक का नाम प्रदर्शित करने की कोई अनिवार्यता नहीं है. 

पता हो कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने के सामान का व्यवसाय करने वाले होटल, रेस्तरां, ढाबा, रेहड़ी-ठेली वालों को साइनबोर्ड लगाकर मालिक का नाम, पता और मोबाइल नंबर लिखने का आदेश दिया है. इसके बाद से मध्य प्रदेश में भी इसकी मांग की जा रही थी. 

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राज्य के छतरपुर जिले में आने वाले प्रसिद्ध बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी अपने धाम के सभी दुकानदारों को अल्टीमेटम देकर 10 दिन के भीतर दुकानों पर नाम-परिचय के बोर्ड टांगने कहा है. 

यह भी पढ़ें: '10 दिन के अंदर नेम प्लेट टांग लें बागेश्वर धाम के सभी दुकानदार...', धीरेंद्र शास्त्री का अल्टीमेटम, बोले- ताकि राम और रहमान वालों की पहचान हो सके

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी है. इन निर्देशों में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों में मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया था. 

जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी कर निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब मांगा है. 

बेंच ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को तय करते हुए कहा, "हम उपरोक्त निर्देशों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझते हैं. दूसरे शब्दों में, खाद्य विक्रेताओं को खाद्य पदार्थ की किस्म प्रदर्शित करने की जरूरत हो सकती है, लेकिन उन्हें मालिकों या कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए."

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इस मामले में राज्य सरकारों की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ. शीर्ष अदालत एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अन्य द्वारा निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. 

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में मोइत्रा ने दोनों राज्य सरकारों द्वारा पारित आदेशों पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा था कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच मतभेद बढ़ाते हैं।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने आदेश जारी कर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों से मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा था।

इसके अलावा, भाजपा शासित मध्य प्रदेश की उज्जैन नगर निगम ने शहर में दुकान मालिकों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपने नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया था।

उज्जैन के मेयर मुकेश टटवाल ने कहा कि उल्लंघन करने वालों को पहली बार अपराध करने पर 2,000 रुपये और दूसरी बार इस आदेश की अवहेलना करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. महापौर ने कहा कि यह आदेश सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से है और मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने के लिए नहीं है.

उज्जैन अपने पवित्र महाकाल मंदिर के लिए जाना जाता है, जो दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है. जहां खासकर सावन के महीने में लाखों की भीड़ उमड़ती है.

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हिंदू कैलेंडर के सावन महीने की शुरुआत के साथ सोमवार को शुरू हुई कांवड़ यात्रा के लिए कई राज्यों में व्यापक व्यवस्था की गई है, जिसके दौरान लाखों शिव भक्त हरिद्वार में गंगा से पवित्र जल अपने घरों को ले जाते हैं और रास्ते में शिव मंदिरों में इसे चढ़ाते हैं. 

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