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उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी के 17 वर्षीय बेटे की हार्ट अटैक से मौत, रंग पंचमी की गेर में कर रहा था कलाबाजी

उज्जैन में रंग पंचमी के अवसर पर पूरा शहर पर्व मना रहा था. इस दौरान हर साल की तरह ही इस बार भी महाकालेश्वर मंदिर की गेर जोरों-शोरों से निकाली जा रही थी. इसमें 17 साल का मयंक तलवार से कलाबाजी दिखा रहा था. घबराहट होने पर वह घर चला गया. परिवार के लोग अस्पताल ले गए, जहां उसकी मौत हो गई.

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रंग पंचमी की गेर में तलवार से कलाबाजी दिखाने के दौरान मयंक को होने लगी थी घबराहट.
रंग पंचमी की गेर में तलवार से कलाबाजी दिखाने के दौरान मयंक को होने लगी थी घबराहट.

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी के 17 साल के बेटे की अचानक मौत हो गई. कल उज्जैन में रंग पंचमी के अवसर पर पूरा शहर पर्व मना रहा था. इस दौरान हर साल की तरह ही इस बार भी महाकालेश्वर मंदिर की गेर जोरों-शोरों से निकाली जा रही थी. 

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महाकालेश्वर मंदिर के सहायक पुजारी मंगेश गुरु का बेटा मयंक भी गेर में शामिल था. बताया जा रहा है कि सुबह से ही मयंक की तबीयत ठीक नहीं लग रही थी. वह गेर में तलवार के साथ अपनी कलाबाजी का प्रदर्शन कर रहा था. गेर में कलाबाजी दिखाते हुए उसे घबराहट महसूस हुई. 

देखें वीडियो... 

घबराहाट होने पर घर चला गया था

इसके बाद उसने जूस पिया और फिर गेर में शामिल हो गया. थोड़ी देर बाद दोबारा मयंक की तबीयत बिगड़ी और फिर वह घर चला गया था. वहां पर थोड़ी देर आराम किया, लेकिन आराम नहीं मिला. घबराहट ज्यादा होने पर घर वाले उसे अस्पताल ले गए. वहां डॉक्टरों ने उसकी जांच की लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मामले में डॉक्टर्स ने साइलेंट अटैक की आशंका जताई है. 

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मंदिर के पुजारियों में गहरा शोक

अचानक हुई मयंक की मौत के बाद महाकाल मंदिर के पुजारियों में गहरा शोक है. इतनी कम उम्र में दुनिया को अलविदा कहने से मयंक के परिवार में दुख का माहौल है.

सबसे पहले महाकाल मंदिर में हुई थी होली 

बताते चलें कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले होलिका दहन का भव्य कार्यक्रम 6 मार्च को हुआ था. शाम को महाकाल के आंगन में देश की सबसे पहली होली जलाई गई. साथ ही बाबा महाकाल की संध्या आरती में भक्तों ने रंग गुलाल के साथ होली खेली.

इस समय बड़ी संख्या में भक्त बाबा की भक्ति में रंगे हुए दिखाई दिए. संध्या आरती के बाद महाकाल में होलिका दहन किया गया. इसके बाद अब कल सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शेष स्थानों पर होलिका दहन किया जाता है. महाकाल में सर्वप्रथम आज बाबा का शृंगार किया गया, उसके बाद संध्या आरती की गई. फिर बाबा को गुलाल और फूल अर्पित किए गए.

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