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'पीथमपुर में अभी नहीं जलेगा यूनियन कार्बाइड का कचरा', बवाल के बाद CM मोहन यादव का बड़ा फैसला

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जनता को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार उनके हितों और सुरक्षा को प्राथमिकता देती है और इसलिए निर्णय लिया गया है कि जनभावना को कोर्ट के सामने रखेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत का आदेश आने तक पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलाया जाएगा.

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पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के खिलाफ लोगों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया. (PTI Photo)
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने के खिलाफ लोगों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया. (PTI Photo)

धार जिले के पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया में यूनियन कार्बाइड से जुड़े 337 टन जहरीले कचरे के निपटान लेकर शुक्रवार को दिन भर विरोध प्रदर्शन और चक्काजाम हुआ. कई लोगों ने आत्मदाह तक की कोशिशें कीं. इसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने देर रात एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, चीफ सेक्रेटरी अनुराग जैन, एडवोकेट जनरल और लॉ सेक्रेटरी मौजूद थे.

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जनता को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार उनके हितों और सुरक्षा को प्राथमिकता देती है और इसलिए निर्णय लिया गया है कि जनभावना को कोर्ट के सामने रखेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत का आदेश आने तक पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'यूनियन कार्बाइड के कचरे पर फैलाए जा रहे भ्रम को लेकर पीथमपुर में एक जरूरी बैठक हुई. बैठक में उपस्थित सभी सदस्य इस बात पर एकमत हैं कि हमारा निर्णय न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं कि जनता को कोई नुकसान न हो.'

यह भी पढ़ें: भोपाल 1984 गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड न‍िकला जहरीला कूड़ा, द‍िखे बेहद खास इंतजाम

मोहन यादव ने कहा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर पूरी संवेदनशीलता से काम कर रही है. पीथमपुर की वर्तमान परिस्थितियों और व्यावहारिक कठिनाइयों के बारे में उच्च न्यायालय को पूरी जानकारी देंगे. इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने जनता से अफवाहों और भ्रमित करने वाली खबरों पर विश्वास न करने की अपील की है. आपको बता दें कि शुक्रवार को पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे को नष्ट करने के खिलाफ लोगों ने बंद का आव्हान किया गया था. लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और हाईवे पर जाम लगा दिया. इस दौरान पुलिस बल पर पथराव भी हुआ जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया. 

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इन सब के बीच दो लोगों ने खुद को आग लगा ली, जिनको अस्पताल में भर्ती कराया गया. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने अदालत के आदेश के अनुरूप सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए ही कचरे को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया में ट्रांसपोर्ट किया. कोर्ट ने डेडलाइन दी थी कि कचरे को 4 जनवरी से पहले तय जगह पर भेजा जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मौजूदा हालातों  का संज्ञान लिया है और ऐसे में अगर सुरक्षा के मापदंडों पर जनता के बीच किसी तरह का खतरा या भय की भावना पैदा होती है तो राज्य सरकार इस विषय को अदालत के समक्ष रखने का प्रयास करेगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोर्ट का आदेश आने के बाद ही आगे कोई कार्रवाई की जाएगी.

पीथमपुर में हुए बवाल के मामले में 5 एफआईआर दर्ज

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाए जाने को लेकर शुक्रवार को हुए उपद्रव के सिलसिले में पुलिस ने पांच मामले दर्ज किए हैं. फिलहाल शहर में स्थिति काबू में है. धार के एसपी मनोज कुमार सिंह ने कहा, 'यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने को लेकर पीथमपुर बंद के दौरान उत्पन्न स्थिति के मामले में पुलिस ने पांच अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. कुछ आरोपी अज्ञात हैं, वहीं कुछ नामजद आरोपी बनाए गए हैं. शनिवार को सुबह से ही पीथमपुर में जनजीवन सामान्य है, फैक्ट्रियां चालू हैं. सुबह की शिफ्ट में कर्मचारी फैक्ट्री पहुंच गए हैं ओर क्षेत्र की हालत सामान्य है.स्थिति पर नजर रखी जा रही है. लॉ एंड ऑर्डर की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात है.'

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यूनियन कार्बाइड गैस ​लीक कांड में गई थीं हजारों जानें

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुई त्रासदी को दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है. 2 और 3 दिसंबर, 1984 की मध्य रात्रि अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भोपाल स्थित कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई. भोपाल के लाखों लोग इस जहरीली गैस की चपेट में आ गए. सरकारी आंकड़ों में इस गैस रिसाव से 5479 लोगों की मौत का दावा किया जाता है, लेकिन सामाजिक संगठनों का दावा है कि इस त्रासदी में 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी. फैक्ट्री में कचरा 40 साल तक पड़ा रहा और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न अदालतों के निर्देशों के बावजूद इसे साफ नहीं करने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की थी.

हाई कोर्ट ने अधिकारियों को इस मामले में निष्क्रिय पड़े रहले के लिए फटकार लगाते हुए, यूनियन कार्बाइड फैक्टी से करीब 337 टन औद्योगिक कचरे को हटाने के लिए 4 सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की थी और सरकार से इस संबंध में 6 जनवरी को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था. कोर्ट के निर्देश पर मोहन यादव की सरकार ने यूनियन कार्बाइड से 12 ट्रकों में कचरा भरकर पीथमपुर पहुंचाया, जहां जलाकर इसका निपटान होना था. लेकिन स्थानीय लोगों और कुछ सामाजिक संगठनों ने पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी का कचरा जलाए जाने का उग्र विरोध किया. स्थानीय लोगों का कहना है कि पीथमपुर में कचरा जलाए जाने से आसपास के इलाके में गंभीर प्रदूषण फैल सकता है और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं.

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वेस्ट डिस्पोजल के लिए पीथमपुर को ही क्यों चुना गया?

अधिकारियों का कहना है कि पीथमपुर का वेस्ट डिस्पोजल प्लांट मध्य प्रदेश का एकमात्र अत्याधुनिक कचरा निपटान संयंत्र है. कचरे को जमीन से 25 फीट ऊपर एक विशेष लकड़ी के प्लेटफॉर्म पर जलाया जाएगा और यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त साइंटिफिक प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा कि कोई पर्यावरणीय प्रदूषण न हो. मौसम और तापमान जैसे कारकों के आधार पर कचरे को जलाने का सबसे अच्छा समय निर्धारित करने के लिए परीक्षण किए जाएंगे. 90 किग्रा/घंटा की गति से, 337 टन कचरे का निपटान करने में लगभग 153 दिन लगेंगे और यदि गति को 270 किग्रा प्रति घंटा तक बढ़ा दिया जाए तो 51 दिन लगेंगे.

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