MP News: खरगोन जिला मुख्यालय से 80 किमी बड़वाह केंद्रीय ओद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) बड़वाह में ट्रेनिंग लेने आए जवानों के निवासी प्रमाण पत्र जांच में फर्जी निकल रहे हैं. अब तक छह मामले सामने आए हैं. मामले का खुलासा होने पर प्रशिक्षण लेने आए जवानों को टर्मिनेट किया जा रहा है. साथ ही पुलिस ने जीरो पर मामला दर्ज कर लिया है. बड़वाह पुलिस ने अब तक इस तरह के सीआईएसएफ से मिले छह प्रकरणों में मामला दर्ज कर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई कर उनके स्थानीय पुलिस थाने को भी भेज चुकी हैं.
दरअसल, विभाग की ओर से कुछ समय पहले भर्ती निकाली गई थीं. इसमें आवेदकों को नियुक्ति पत्र जारी किया गया था. इस पत्र के अंतर्गत प्रशिक्षणार्थी को आरक्षक का पदभार ग्रहण करने और प्रशिक्षण के लिए क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र बड़वाह रिपोर्ट करना था. यहां प्रशिक्षणार्थी को बतौर आरक्षक नियुक्त कर दो वर्ष की परिवीक्षा अवधि में रखा गया. इसके बाद जब इनके दस्तावेजों की जांच की गई तो उसमें कुछ के निवासी प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए.
तहसीलदार ने जारी ही नहीं किए प्रमाण पत्र
जवानों ने आवेदन के दौरान मूल निवासी प्रमाण पत्र लगाया. सीआईएसएफ की ओर से वहां के संबंधित अधिकारियों को जांच के लिए लिखा. जब वहां जांच की गई तो प्रथम दृष्टया प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए. जब जांच रिपोर्ट सीआईएसएफ को मिली तो उनके द्वारा ऐसे लोगों के विरुद्ध पुलिस को कार्रवाई के लिए आवेदन लिखा गया. इसके बाद पुलिस ने इनके विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है. जांच में पता चला तहसीलदार ने जारी ही नहीं किया है.
जांच के बाद सेवा समाप्त की
प्रशिक्षणार्थी आरक्षक अनिल यादव त्रिपुरा राज्य के जिला वेस्ट त्रिपुरा के सीधिया आश्रम गांव के निवासी है. इनके निवास प्रमाण पत्र की जांच में जिलाधिकारी और कलेक्टर कार्यालय पश्चिम त्रिपुरा ने प्रमाणित कर बताया कि प्रशिक्षणार्थी के संबंध में मूल निवास प्रमाण पत्र की जांच तहसीलदार सदर ओर जिरानिया, पश्चिम त्रिपुरा से कराई गई. ये पाया गया कि अनिल यादव के संबंध में मूल निवास प्रमाण पत्र तहसीलदार सदर और जिरानिया पश्चिम त्रिपुरा द्वारा जारी नहीं किया गया है. रिपोर्ट के बाद सीआईएसएफ द्वारा उपरोक्त प्रशिक्षणार्थी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कर सेवा समाप्त कर दी गई है.
सीआईएसएफ ने लिखा पत्र
सीआईएसएफ ने थाना प्रभारी को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्रवाई के लिए लिखा. इसके बाद थाना प्रभारी द्वारा जीरो कायमी कर संबंधितों के थाना क्षेत्र को भेज दिया. 30 जनवरी से अब तक छह के खिलाफ दर्ज प्रकरण दर्ज हुए हैं. मामले सीआईएसएफ के पास आने लगे तो उन्होंने पुलिस की शरण ली.
30 जनवरी को बावड़ी रोड़ बलिया निवासी सुधीर कुमार पिता अवधेश पाठक, अंशुल कुमार पिता जोगेंद्र सिंह निवासी अशोक नगर थाना जसरथपुरा एटा उत्तरप्रदेश के विरुद्ध शिकायत मिली थी. इसके बाद 11 फरवरी को बिहार राज्य के सूरज कुमार पिता सुधांशु प्रसाद ग्राम नंदनामा थाना रामगढ़ जिला लखिसराय और बिहार के गोपाल पिता अभय नंदन सिंह निवासी ग्राम नंदनामा जिला लखिसराय के खिलाफ पुलिस को शिकायत मिली. वहीं, 13 फरवरी को गाजीपुर जिले के निवासी अनिल यादव पिता अंबिका यादव और उत्तर प्रदेश के ओरेया जिले के ग्राम कोठी निवासी पंकज कुमार पिता सुरेंद्रसिंह लौधी के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा गया.
इनका कहना
थाना इंचार्ज प्रीतम सिंह ठाकुर का कहना है कि सीआईएसफ में भर्ती के लिए विज्ञापन निकला हुआ था. उसे देखकर देश भर के नौजवानों ने आवेदन किया था. एक ने नॉर्थ ईस्ट की तरफ से आवेदन किया था और रहने वाले में उत्तर प्रदेश के हैं. उनके जब मूल निवासी प्रमाण पत्र वेरीफाई के लिए भेजे गए तो वे रिकॉर्ड में नहीं पाए गए. किस तरह से सीआईएसएफ ने पाया कि यह मूल निवासी प्रमाण पत्र कूट रचित है. प्रथम राष्ट्रीय फर्जी प्रमाण पत्र नजर आने पर उनके खिलाफ धारा 420, 68-68 की एफआईआर जीरो पर करके सबंधित थानों को भेजा गया है. अब तक हमारे पास इस तरह के छह मामले आए हैं.
पता हो कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ CISF) भारत में गृह मंत्रालय के अधीन एक संघीय पुलिस संगठन है. यह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में से एक है. सीआईएसएफ पूरे भारत में स्थित 356 से अधिक औद्योगिक इकाइयों, सरकारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और सुविधाओं और प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करता है.