यूं तो मानव समाज में किसी अपने के गुजर जाने के बाद अलग-अलग तरीकों से अंतिम कार्यक्रम आयोजित होता है. लेकिन मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में हिंदू धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार एक बंदर का दाह संस्कार किया गया. यही नहीं, तेरह दिन बाद देवी का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में आसपास के गांव के लोगों को भोजन कराया गया और बंदर की आत्मा शांति के लिए मौन धारण कर श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई.
शाजापुर जिले के लोंदिया गांव का यह मामला है. इस गांव में तेरह दिन पहले एक बंदर की कुत्तों के काटने से मौत हो गई थी. इसके बाद बंदर के शव को बाकायदा किसी मनुष्य के शव की तरह ही श्मशान घाट ले जाया गया और फिर पूरी परंपराओं के तहत उसका दाह संस्कार किया गया.
तेरह दिन बीतने पर तेरहवीं का भी आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में हजारों लोगों को बुलाया गया. ग्रामीणों ने बताया कि उनकी बंदर के प्रति गहरी आस्था रही है, जिसके चलते उन्होंने तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजित किया. देखें तेरह दिन पहले एक बंदर की कुत्तों के काटने से मौत हो गई थी. इसके बाद बंदर के शव को बाकायदा किसी मनुष्य के शव की तरह ही श्मशान घाट ले जाया गया और फिर पूरी परंपराओं के तहत उसका दाह संस्कार किया गया. देखें Video:-
रोडवेज बस में लंगूर का खौफ
उधर, राजस्थान के भीलवाड़ा से एक लंगूर के खौफ की घटना सामने आई है. राजस्थान रोडवेज की कोटा-भीलवाड़ा मार्ग पर चलने वाली बस में लाड़पुरा चौराहे पर यात्रियों के साथ एक इंडियन लंगूर घुस गया. यात्रियों ने बड़ी मुश्किल से लंगूर के बस से बाहर निकलने का इंतजार किया. बस में लंगूर के बैठने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
दरअसल, भीलवाड़ा से कोटा तक चलने वाली राजस्थान राज्य परिवहन निगम की बस जब लाड़पुरा चौराहे पर पहुंची, तब बस में यात्रियों के साथ-साथ लंगूर भी सवार हो गया. बस में लंगूर को देखकर यात्री डर के मारे सहम गये और हर कोई उसे बाहर निकलना की बात कहते हुए जतन करने लगा.
डर के मारे कुछ महिला यात्री तो बस से नीचे उतर गईं कुछ यात्री लकड़ी लेकर आए और उसे बाहर निकलने का जतन करने लगे. कुछ मिनट की मशक़्क़त के बाद यह लंगूर रोडवेज बस से जब बाहर निकला, तब जाकर यात्रियों की सांस में सांस आई. सभी को यह चिंता थी कि लंगूर किसी को जख्मी न कर दे.
लंगूर के बस से बाहर निकालने के बाद ही बस लाड़पुरा से रवाना हुई थी. लाड़पुरा के ग्रामीणों ने बताया कि चौराहे पर इन बंदरों के आतंक से हम भयभीत हैं. एक बंदर कुछ दिनों से चौराहे पर रहता है जो कई बार ग्रामीणों के पीछे पड़ जाता है. अब तक तीन लोगों को काट भी चुका है.