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'कभी राम राम, तो कभी हार नहीं मानूंगा...', कविता और ट्वीट से क्या मैसेज दे रहे हैं शिवराज?

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीतकर शानदार विजय हासिल करने वाली बीजेपी में अभी तक मुख्यमंत्री कैंडिडेट को लेकर फैसला नहीं हो सकता है. वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार लोगों से संपर्क कर रहे हैं और सोशल मीडिया के जरिए भी पोस्ट साझा कर रहे हैं.

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चुनाव जीतते ही 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं सीएम शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
चुनाव जीतते ही 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं सीएम शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

तीन राज्यों में शानदार जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों मुख्यमंत्री के नामों को लेकर गहन मंथन चल रहा है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तरह मध्यप्रदेश की सियासत पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं और सस्पेंस लगातार बना हुआ है. वहीं दूसरी तरफ प्रचंड जीत हासिल करने के बाद 'मामा' शिवराज लगातार लोगों से मिल रहे हैं और जनसभाएं भी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट, कविता और तस्वीरों के जरिए भी वह आला कमान को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो ही मध्यप्रदेश के लोकप्रिय नेता हैं और 2024 में बीजेपी के एजेंडे में फिट बैठते हैं.

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शिवराज सिंह चौहान लगातार उन इलाकों का दौरा कर रहे हैं जहां बीजेपी कमजोर है. पहले वो कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा गाए और फिर श्योपुर का दौरा किया जिसके बाद दिग्विजय के गढ़ राघौगढ़ पहुंचे. यहीं नहीं शनिवार को वह भोपाल में लाडली बहनों के बीच नजर आए.यानी आधी आबादी से लेकर 2024 के एजेंडे तक शिवराज कहीं ना कहीं खुद को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.

इसके अलावा शिवराज सिंह ने 7 दिसंबर को श्योपुर में लाड़ली बहना सम्मेलन में शिरकत की और पीएम मोदी तथा बहनों को जीत का क्रेडिट दिया.

सोशल मीडिया के जरिए संदेश देने की कोशिश

 इस दौरान शिवराज ने कार्यकर्ताओं के बीच अटलजी की कविता 'हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा.काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं,गीत नया गाता हूं' सुनाकर एक मैसेज दे दिया.शुक्रवार को उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'सभी को राम-राम.' राजनीतिक विश्लेषक इस राम-राम के भी अलग मायने निकाल रहे हैं. कुछ लोग इस पोस्ट का निहितार्थ ये निकाल रहे हैं कि शिवराज को केंद्रीय नेतृत्व से सीएम की रेस में शामिल नहीं होने के संकेत मिल गए हैं.

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दरअसल मध्यप्रदेश के हालात राजस्थान और छत्तीसगढ़ से जुदा है क्योंकि यहां बीजेपी की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री, लेकिन पार्टी की ओर से शिवराज के चेहरे पर मुहर नहीं लगी है. शनिवार को ही केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. इस मुलाकात के मायने इसलिए भी हैं क्योंकि पह्रालद पटेल को भी सीएम का दावेदार माना जा रहा है और दिल्ली से लौटने के बाद ही उन्होंने शिवराज सिंह से मुलाकात की.

सोमवार को साफ हो जाएगी तस्वीर

सोमवार की शाम चार बजे चीजें काफी कुछ साफ हो जाएंगी जब भोपाल में बीजेपी के नए चुने गए विधायकों की बैटक होगी. इस बैठक में दिल्ली से केंद्रीय पर्यवेक्षक भाग लेंगे और विधायकों से पूछेंगे कि वो किसको सूबे की कमान दिलवाना चाहते है. बीजेपी ने तीन पर्यवेक्षक तैनात किए हैं जिनमें हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर के लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लाकडा शामिल हैं. 

पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में बैठक के बाद सीएम के नाम पर से परदा उठ सकता है. हालांकि सबसे बड़ी बात मध्यप्रदेश से चुनाव जीतने वाले केंद्रीय मंत्री और सांसद इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में शिवराज के सामने चुनौती आसान नहीं हैं. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी जेपी नड्डा से मुलाकात की थी.ऐसे में दांव पेच का खेल जारी है जहां सीएम से पर्दा उठने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा.

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