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'धीरेंद्र शास्त्री घोड़ी पर कब बैठेंगे?' सवाल पर खिलखिला पड़े रामभद्राचार्य, दिया ये जवाब

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शादी का उनके गुरु मानस मर्मज्ञ तुलसी पीठ सेवा न्यास के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य जी महाराज को भी बेसब्री से इंतजार है. इसी कड़ी में चित्रकूट में उन्होंने कहा कि जब कोई लड़की मिल जाएगी तो गुरु होने के नाते सहमति जरूर प्रदान करेंगे.

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रामभद्राचार्य महाराज और धीरेंद्र शास्त्री. (फाइल फोटो)
रामभद्राचार्य महाराज और धीरेंद्र शास्त्री. (फाइल फोटो)

बागेश्वर धाम के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) सनातन धर्म को लेकर काफी मुखर रहते हैं. कई बार अपने मंच से वो भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कह चुके हैं. उनकी शादी को लेकर भी अक्सर चर्चा होती रहती है. कभी उनका नाम एक कथावाचक साध्वी से जोड़ा गया तो कभी उनके लिए किसी ने पदयात्रा भी की. एमबीबीएस छात्रा और साध्वी शिवरंजनी तिवारी तो उन्हें प्राणनाथ कहकर भी संबोधित करती हैं. हाल ही में वो उनसे मिलने के लिए गंगा कलश यात्रा पैदल पूरी कर बागेश्वर धाम तक पहुंची थीं.

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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शादी का उनके गुरु मानस मर्मज्ञ तुलसी पीठ सेवा न्यास के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य महाराज (Ramabhadracharya Maharaj) को भी बेसब्री से इंतजार है. इसी कड़ी में चित्रकूट में उन्होंने कहा कि जब कोई लड़की मिल जाएगी तो गुरु होने के नाते सहमति जरूर प्रदान करेंगे.

'क्या धीरेंद्र शास्त्री के लिए लड़की ढूंढ़ रहे हैं'

'क्या धीरेंद्र शास्त्री के लिए लड़की ढूंढ़ रहे हैं' इस सवाल के जवाब में रामभद्राचार्य खिलखिला पड़े और कहा कि गुरु लड़की नहीं ढूंढता राम ने सीता को चुना था. गुरु विश्वामित्र ने उनका अनुमोदन किया था. रामभद्राचार्य ने कहा, "जब उनके (धीरेंद्र शास्त्री) योग्य कोई कन्या मिल जाएगी तब मैं अनुमति दे दूंगा. वो तो मेरा चेला है. तुम लोगों की नजर में कोई कन्या हो तो बता देना".

'तो भारत को हिंदू राष्ट्र होने में आपत्ति क्या'

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उधर, रामभद्राचार्य ने एक बार फिर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की बात दोहराई. कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में अड़चनें बहुत हैं पर हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए. जब पाकिस्तान (Pakistan) मुस्लिम राष्ट्र हो सकता है तो भारत को हिंदू राष्ट्र होने में आपत्ति क्या है. जानता हूं कि कठिनाइयां आएंगी.

'मुसलमानों को पाकिस्तान चला जाना चाहिए था'

उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान भी मजहब के आधार पर बना. मजहब कारण नहीं होता बंटवारा नहीं होता. जब मजहब के आधार पर बंटवारा हुआ ही था तो सभी मुसलमानों को पाकिस्तान चला जाना चाहिए था. फिर भी हमारी सहिष्णुता थी कि हमने स्वीकार लिया. अब हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए.

 

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