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माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचीं दो साल की सिद्धि मिश्रा, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

मध्य प्रदेश के भोपाल की दो वर्षीय सिद्धि मिश्रा माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय लड़की बन गई हैं. सिद्धि मिश्रा ने अपनी मां भावना मिश्रा के साथ यह चढ़ाई माइनस -16 डिग्री तापमान में पूरी की. आजतक से बातचीत में वो बेहद खुश दिखीं.

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भोपाल की सिद्धि मिश्रा ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है.
भोपाल की सिद्धि मिश्रा ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है.

मध्य प्रदेश के भोपाल की दो वर्षीय सिद्धि मिश्रा उर्फ गिन्नी 22 मार्च को माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची बन गई हैं. इस नन्हीं सी बच्ची ने अपनी मां भावना डेहरिया के साथ बेस कैंप तक पहुंचकर इतिहास रच दिया है. भावना खुद पर्वतारोही हैं. 

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सिद्धि ने अपनी मां के साथ एवरेस्ट बेस कैंप पर सबसे कम उम्र में चढ़ाई कर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है. हिमालय एक्सपीडिशन के निदेशक नबीन ट्रिटल के अनुसार, सिद्धि मिश्रा ने अपनी मां की पीठ पर सवार होकर समुद्र तल से 17,598 फीट की ऊंचाई पर नेपाल के दक्षिण की ओर चढ़ाई की. इस दौरान दोनों की पूरी यात्रा में नीमा शेरपा मार्गदर्शक रहे.

सिद्धि और उनकी मां भावना मध्य प्रदेश से 12 मार्च (2-4 डिग्री) को काठमांडू के लुक्ला पहुंचीं. उसके बाद दोनों ने एक ही दिन फाकडिंग (2 से -2 डिग्री) तक पैदल यात्रा की. अगले दिन 13 मार्च को उन्होंने फाकडिंग से नामचे बाजार तक ट्रैकिंग की, जो समुद्र तल से 3440 मीटर (2 से -6 डिग्री) की ऊंचाई पर है. एक्लीमेटाइजेशन के एक दिन के बाद 15 मार्च को उन्होंने माइनस 12 डिग्री तापमान वाली ठंडी हवाओं और 3860 मीटर की ऊंचाई पर नामचे बाजार से टेंगबोचे तक ट्रैकिंग की. अत्यधिक ठंडे मौसम का सामना करने वाली छोटी सी सिद्धि के लिए यह आसान सैर नहीं थी, इसलिए उसकी मां ने डेबोचे (3820 मीटर) में रहने का फैसला किया, क्योंकि टेंगबोचे में मौसम बहुत ठंडा था.

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Youngest Girl Child to reach at Everest Base Camp from MP
Two year Old Siddhi Mishra

भावना ने Aajtak.in से बातचीत में बताया, “एवरेस्ट बेस कैंप उतना आसान नहीं है जितना लगता है. हालांकि गिन्नी ने इसे वास्तव में अच्छी तरह से पूरा कर लिया और इसे करने का पूरा जुनून दिखाया. मौसम की कुछ प्रतिकूल परिस्थितियां थीं लेकिन सिद्धि के स्वास्थ्य और मनोदशा को देखने के बाद ही हम आगे बढ़े. 16 मार्च को ट्रैक का पांचवां दिन था, हमने देबोचे (3820 मीटर) से डिंगबोचे तक ट्रैक शुरू किया जो 4410 मीटर की ऊंचाई पर है. तापमान को माइनस 2 से 10 डिग्री तक देखते हुए मैंने डिंगबोचे में अनुकूलन के लिए एक दिन रुकने का फैसला किया. 18 मार्च को हमने सातवें दिन डिंगबोचे से लोबुचे तक ट्रैकिंग की. 4940 मीटर की ऊंचाई यानी माइनस 6 से माइनस 14 डिग्री तापमान पर होने के कारण हमें कई चैलेंज भी फेस किए.

भावना आगे बताती हैं, दूसरे दिन 19 मार्च (8वां दिन) को हम गोरक शेप पहुंचे, जो एवरेस्ट बेस कैंप के रास्ते पर आखिरी गांव है. ये 5146 मीटर की ऊंचाई पर रेत से ढकी एक जमी हुई झील के ऊपर स्थित है और तापमान था- 7 से -16 डिग्री. हम यहां एक रात रुके और दूसरे दिन मौसम बिगड़ गया और बर्फबारी हो गई इसलिए हमने अपने मिशन के अंतिम कार्य के लिए गोरेकशेप में दो दिन और रुकने का फैसला किया. यह पहली बर्फबारी थी गिन्नी के लिए और वो यह दृश्य देखकर बहुत खुश थी. 11 दिन यानी 22 मार्च को दोनों एवरेस्ट बेस कैंप पर 5164 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचे और सुबह 10:45 से 11:52 बजे तक यहां रुके और क्वालिटी टाइम बिताया. 12वें दिन भी हम गोरेकशेप में थे और दूसरे दिन हम लोबुचे से होते हुए वापस लुक्ला पहुंचे और काठमांडू के लिए उड़ान भरी. एक मां के रूप में यह मेरे लिए सबसे खूबसूरत स्मृति थी, अपने दो साल के बच्चे के साथ ट्रेक पर जाना.

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भावना का कहना था कि बेस कैंप पर सबसे आश्चर्यजनक और खुशी की बात ये थी कि बेस कैंप में नया मील का पत्थर था. आगंतुकों का स्वागत के लिए यहाँं एक नया साइनबोर्ड लग गया है. इसमें हिलेरी और तेनजिंग की छवियां, भित्तिचित्रों से ढकी चट्टानें शामिल थीं, जो वर्षों से खुंबू पसांग ल्हामू ग्रामीण नगर पालिका द्वारा बेस कैंप में आधिकारिक आगमन का प्रतीक थीं. इससे पहले वहां केवल लाल अक्षरों में 'एवरेस्ट बेस कैंप 5364 मीटर' का उल्लेख करने वाली एक बड़ी चट्टान थी. मैं वास्तव में इस नए बदलाव की सराहना करती हूं और हमने वहां कई तस्वीरें भी लीं.”

बता दें कि भावना डेहरिया मिश्रा एक पेशेवर पर्वतारोही हैं जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वालीं मध्य प्रदेश की पहली महिला पर्वतारोहियों में से एक हैं.

 

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