रंग और गुलाल लगने पर किसी मुसलमान का रोजा नहीं खराब होता है. इस देश में क्रिश्चियन लोगों का त्योहार क्रिसमस जिस तरह धूम धाम से मनाया जा रहा है उस तरह से ईद भी मनाया जा सकता है. पर दिक्कत यह है कि हिंदू-मुसलमान अगर एक साथ ईद और होली मनाने लगे तो सियासतदानों का क्या होगा?
धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर सरकार अपनी बिहार यात्रा में हिंदू राष्ट्र का नारा बुलंद कर रहे हैं. वैसे तो यह कोई पहली बार नहीं है कि वो हिंदुओं को जाति पाति से दूर रहने और हिंदू हितों और हिंदू राष्ट्र की चर्चा कर रहे हैं. पर बिहार मे इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए ये आरोप लगेगा ही कि बाबा बिहार में बीजेपी की जमीन तैयार कर रहे हैं.
परिसीमन के मुद्दे पर केंद्र सरकार ही नहीं घिर गई है. सबसे बड़ी मुश्किल इंडिया गठबंधन के दलों के लिए हो गई है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, टीेेएमसी आदि के लिए बहुत मुश्किल हो गई है कि वो किस तरह अपने सहयोगी डीएमके के साथ इस मुद्दे पर खड़े हों?
राहुल गांधी कहते हैं कि कांग्रेस रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है और बारात के घोड़े को रेस में भेज देती है. पार्टी में नेताओं की कमी नहीं है लेकिन वे बंधे हुए हैं. राहुल गांधी की यह सार्वजनिक फटकार किसके लिए थी?
कहा गया है कि समय बहुत बलवान होता है. एक समय था कि भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी मीनार-ए-पाकिस्तान और जिन्ना की मजार पर जाते थे. वहीं अब एक कांग्रेस नेता रमजान के महीने में पाकिस्तान जाता है और भगवान राम के पुत्र लव की समाधि पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित करता है.
सफाई देने से पहले भैयाजी जोशी ने मराठी भाषा को ज्यादा महत्व न दिये जाने की बात कही थी, जो महाराष्ट्र में बीजेपी के पांव जमाने की कोशिशों के खिलाफ जाती है. बीजेपी को तो महाराष्ट्र की राजनीति खुद को बाहरी होने के ठप्पे से अलग करना है, और ये सब तो मुश्किलें बढ़ाने वाला ही है.
बोफोर्स अब कोई मुद्दा नहीं है. जनता को पता है कि हथियारों की खरीद में बिचौलिये पैसे लेते हैं. और बिना बिचौलियों के जरिए आज एक फ्लैट भी नहीं खरीदा जा सकता. पब्लिक की नजर में अब दलाली कोई मुद्दा नहीं रह गया है. न राजीव गांधी रहे न विश्वनाथ प्रताप सिंह और न क्वात्रोची, अब इस जांच से सरकार क्या हासिल करेगी देखना होगा?
मायावती अब तक कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ ही हमलावर नजर आई हैं, लेकिन बड़े दिनों पर मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर बीजेपी की केंद्र और यूपी सरकार को लेकर सख्त लहजे में रिएक्ट किया है - और वो भी गरीबों की दुश्मन और अमीरों की हितैषी बताते हुए.
धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद पंकजा मुंडे के निशाने पर सीधे सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आ गये हैं - पंकजा मुंडे को तो अरसा बाद मौका मिला है, और वो टूट पड़ी हैं.
ट्रंप की व्यापार नीति के कुछ पहलू भारत के लिए नकारात्मक हो सकते हैं पर बहुत से ऐसे तथ्य भी हैं जो फायदे की उम्मीद दिखा रहे हैं. शायद यही कारण है कि ट्रंप की टैरिफ दीवानगी को लेकर भारत हाय तौबा नहीं मचा रहा है.
बिहार विधानसभा चुनावों में इस बार जनता के सामने सबसे बड़ा मुद्दा लालू-राबड़ी के 15 साल बनाम नीतीश के 19 साल बनने वाला है. एनडीए ही नहीं महागठबंधन भी शायद इस मुद्दे को लेकर गंभीर है. तेजस्वी यादव ने पूरी तैयारी के साथ सामने आ रहे हैं.
बीजेपी पहले ही साफ कर चुकी है कि जातीय जनगणना से उसे परहेज नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार के सर्वे को हिंदुत्व के लिए नुकसानदेह साबित करने के लिए नया तरीका खोज लिया है.
संसदीय सीटों के परिसीमन को लेकर दक्षिण के राज्यों की चिंता वाजिब है. पर इसका हल अधिक बच्चे पैदा करके जनसंख्या बढ़ाना भी नहीं है. न ही दक्षिण के राज्यों को रिलेक्सेशन देना समस्या का हल है. इससे तो एक व्यक्ति -एक वोट- एक समान मूल्य की विचारधारा ही खत्म हो जाएगी.
कांग्रेस नेतृत्व औरंगजेब मुद्दे से दूरी बनाए हुए हैं. पर अखिलेश यादव की क्या मजबूरी थी अबू आजमी का समर्थन करने की. अखिलेश बोल सकते थे कि अबू आजमी का बयान पार्टी के विचार नहीं है. आखिर आजमी खुद अपने बयान वापस ले चुके हैं.
फिल्म 'छावा' ने छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन और बलिदान को पूरे देश के सामने लाया. लेकिन इसमें कई ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है. फिल्म में कुछ दृश्य वास्तविक इतिहास से मेल नहीं खाते.
गुजरात में विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, और कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन अप्रैल में ही होने जा रहा है - और उससे भी पहले 7-8 मार्च को राहुल गांधी गुजरात के दौरे पर जा रहे हैं.
आकाश आनंद को बीएसपी से बाहर करने के बाद भी मायावती एक्शन मोड में ही हैं. ताजा शिकार आनंद कुमार हुए हैं, जो आकाश आनंद के पिता और मायावती के भाई हैं - क्या अब भी आपको लगता है कि बीएसपी में जो हो रहा है उसके पीछे आकाश आनंद ही हैं?
बिहार विधानसभा में मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर कम, जातियों पर चर्चा अधिक हुई. जाहिर है कि विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर सभी नेता और दल अपनी समर्थक जातियों को गोलबंद करने में जुटी हुई हैं.
अरविंद केजरीवाल विपश्यना के लिए ऐसे समय पंजाब पहुंचे हैं, जब आम आदमी पार्टी पहले ही चौतरफा चुनौतियों से जूझ रही है, जिसमें सरकार और पार्टी दोनो को बचाये रखना भी शामिल है - किसानों का विरोध तेज होता जा रहा है, और मुख्यमंत्री भगवंत मान सख्ती से पेश आ रहे हैं.
समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के औरंगजेब के महिमामंडन करने के बाद विपक्ष विशेषकर कांग्रेस नेताओं में होड़ लगी हुई है कि कौन इस मुगल शासक को कितना महान और उदार शासक बता सकता है. जाहिर है कि यह सब बीएमसी चुनावों और बिहार विधानसभा चुनावों को आधार मानकर रणनीति बनाई जा रही है.
कांग्रेस अपनी खोई हुई ताकत हासिल करने में जुट गई है, और लगता नहीं कि अब वो हार और जीत की कोई परवाह करने वाली है. सफर का अगला पड़ाव बिहार चुनाव है. और, जो लक्षण सामने नजर आ रहे हैं, वहां भी दिल्ली दोहराये जाने के प्रबल संकेत मिल रहे हैं.