scorecardresearch
 

थलपति विजय और उनकी नई पार्टी TVK तमिलनाडु में BJP के विस्तार में मददगार बनेंगे या रुकावट? | Opinion

तमिलनाडु की राजनीति में एक्टर विजय की धमाकेदार एंट्री कुछ कुछ वैसे ही हुई है, जैसे बिहार में प्रशांत किशोर और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की. विजय ने जो पॉलिटिकल लाइन पकड़ी है, उसमें सनातन के विरोध की ध्वनि नहीं सुनाई देती - और ये बात तमिल पॉलिटिक्स में उनको बिलकुल अलग पेश करती है.

Advertisement
X
एक्टर विजय ने तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीति के ईश्वर के विरोध से आगे का रोड मैप पेश किया है.
एक्टर विजय ने तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीति के ईश्वर के विरोध से आगे का रोड मैप पेश किया है.

तमिलनाडु में एक्टर विजय की राजनीति में एंट्री करीब करीब वैसी ही है जैसी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की, और बिहार में प्रशांत किशोर की हुई है - कॉमन बात ये है कि तीनो ही अपने अपने राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. 

Advertisement

अपनी राजनीतिक पार्टी TVK यानी तमिलगा वेट्ट्री कजगम के पहले सम्मेलन में ही एक्टर विजय ने तमिलनाडु की सत्ता पर काबिज डीएमके, और केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को एक साथ ही निशाने पर लिया है. और भले ही परिवारवार की राजनीति के नाम पर डीएमके को निशाना बनाया है, लेकिन उसके दायरे में कांग्रेस भी आ ही जाती है.

विल्लुपुरम जिले के विक्रवंडी में आयोजित विजय की पहली राजनीतिक रैली थी में 3 लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने की बात मानी जा रही है. थलपति विजय कह कर बुलाये जाने वाले एक्टर विजय ने अपना विजन पहले ही साफ करने की कोशिश की है, और एक मेटाफर के जरिये अपनी दशा और दिशा भी लोगों की नजर में साफ करने की कोशिश की है. 

अपने भाषण के शुरू में विजय ने अपनी तुलना एक ऐसे बच्चे से की, जो सांप का सामना कर रहा था, और उसे देखकर जोरदार तालियां बज रही थीं. बोले, मैं राजनीति में बच्चा हूं... मैं मानता हूं, लेकिन ये बच्चा सांप को अपनी मुट्ठी में लेने को तैयार है. अपनी तरफ से ये भी समझाने की कोशिश की कि उनकी राजनीतिक योजना पक्का व्यावहारिक है.

Advertisement

डीएमके को टारगेट करते हुए विजय ने कहा कि एक स्वार्थी परिवार द्रविड़ मॉडल के नाम पर तमिलनाडु को लूट रहा है. और वैसे ही बीजेपी को लेकर कहा कि बंटवारे की राजनीति से देश को खराब करने वाले लोग टीवीके यानी उनकी पार्टी के सबसे बड़े वैचारिक दुश्मन हैं - एक और बात पर काफी जोर दिखा, टीवीके द्रविड़म और तमिल राष्ट्रवाद को अलग-अलग नहीं मानता.

कैसी होगी तमिलगा वेट्ट्री कजगम 

एक्टर विजय टीवीके की विचारधारा को तमिल नेताओं की विरासत पर ही आधारित ही मानते हैं, लेकिन एक बड़ा फर्क भी खुद ही बताते हैं. विजय के मुताबिक, टीवीके भी द्रविड़ नेता ईवी रामासामी पेरियार, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के. कामराज और बीआर आंबेडकर की विरासत को ही आगे बढ़ाने वाली है. 

विजय ने पहले से ही साफ कर दिया है, हम केवल पेरियार की कही हुई एक बात को ही नहीं अपनाएंगे, जो उनका ईश्वर विरोधी रुख है. कहते हैं, ईश्वर को नकारने वाली राजनीति में हमारा कोई हित नहीं होने वाला है.

देखा जाये तो एक्टर विजय राजनीति में अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर के ही लेटेस्ट अपडेटेड वर्जन लगते हैं. राजनीति में धर्म खासकर हिंदुत्व को लेकर जो चीजें अरविंद केजरीवाल बहुत बाद में समझ और सीख सके, विजय कदम बढ़ाने से पहले ही समझ चुके हैं. 

Advertisement

और भी कुछ बाते हैं, जिन पर विजय ने अपना रुख साफ किया है. मसलन, वो चाहते हैं कि तमिलनाडु के लिए 2 भाषा नीति लागू हो, और तमिलनाडु को नशामुक्त भी बनाना चाहते हैं. कास्ट सेंसस पर भी वो अपना रुख साफ करते हैं, लेकिन एक बात नहीं समझ में आती कि वो राज्यपाल का पद क्यों खत्म किया जाना चाहते हैं.

बीजेपी के लिए फायदेमंद या नुकसानदेह?

विजय के भाषण पर गौर करें तो तमिलनाडु में वो DMK के लिए बड़ा खतरा, और BJP के लिए बड़े मददगार बनते नजर आ रहे हैं - और ऐसा मानने के पीछे ईश्वर के अस्तित्व को लेकर द्रविड़ राजनीति से अलग उनका स्टैंड है. 

अव्वल तो विजय बीजेपी को भी वैसा ही बता रहे हैं, जैसे डीएमके को. मायावती भी तो बीजेपी और कांग्रेस को नागनाथ और सांपनाथ बताती रही हैं, लेकिन बीएसपी की रणनीतियों का फायदा किसको होता है, सभी जानते हैं. 

विजय कहते हैं कि वो पेरियार की एक बात से इत्तेफाक नहीं रखते, और वो है उनका ईश्वर विरोधी रुख. तो क्या वो ये नहीं समझाना चाहते कि वो डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन पर स्टैंड से बिलकुल सहमत नहीं हैं, बल्कि वैसी राजनीति के कट्टर विरोधी हैं. 

Advertisement

और जो भी सनातन का कट्टर विरोधी नहीं है, वो तो बीजेपी के साथ कभी न कभी आ ही सकता है - और ये उम्मीद इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि विजय की तरफ से ये संकेत भी साफ है कि वो गठबंधन की राजनीति के विरोधी नहीं हैं. 

AIADMK वाले स्पेस में फिट होने की कोशिश लगती है.

जे. जयललिता के बाद तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़ा स्पेस खाली हो गया है. ओ. पन्नीरसेल्वम और ई. पलानीसामी के झगड़े में AIADMK का प्रभाव क्षेत्र सिकुड़ता चला जा रहा है. बीजेपी ने AIADMK के साथ मिलकर तमिलनाडु की राजनीति में पांव जमाने की काफी कोशिश की, लेकिन अन्नामलाई के अड़ियल रुख के चलते रिश्ता ही टूट गया - और लोकसभा चुनाव में वो कोई छाप भी नहीं छोड़ सके.

विजय उसी AIADMK के असर वाली जगह को भरने की कोशिश कर रहे हैं, बस फर्क ये है कि वो जयललिता की तरह शंकराचार्य की गिरफ्तारी के पक्ष में बिलकुल नहीं लगते - और सनातन के प्रति सकारात्मक रुख दिखाकर बीजेपी के लिए भविष्य में मददगार होने के संकेत भी देते हैं. 

Live TV

Advertisement
Advertisement