अजित पवार ने अपने बूते डिप्टी सीएम बनने की हैट्रिक भी अब पूरी कर ली है. और, इसमें तीन दिन की वो पारी भी शामिल है जब वो एक छोटी सी बगावत के बाद देवेंद्र फडणवीस के साथ सुबह-सुबह महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लिये थे, और शाम तक घर लौट आये थे. अजित पवार अब तक कुल छह बार डिप्टी सीएम बने हैं, जिसमें शुरुताई तीन बार उनको महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार का भतीजा होने की वजह से कुर्सी मिली थी.
और इसीलिए ये सवाल उठ रहा है कि क्या अजित पवार अपने चाचा और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार की छत्रछाया से बाहर आ चुके हैं?
अभी तो बस इतना ही कहा जा सकता है कि शरद पवार की छत्रछाया से करीब करीब वो बाहर आ चुके हैं. चाचा की छत्रछाया से पूरी तरह बाहर आना अब भी बाकी है - और आगे की तरक्की की प्रक्रिया वैसे ही होने वाली है, जैसे उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच बंटवारे का फाइनल बीएमसी के चुनाव में होना है.
किस मोड़ पर खड़ी है अजित पवार की राजनीति?
अगर चुनाव आयोग से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का नाम और चुनाव निशान मिल जाना अजित पवार की शुरुआती उपलब्धि थी, तो बगावत के बाद बारामती विधानसभा सीट पर शरद पवार के युगेंद्र पवार चैलेंज के बाद भी चुनाव जीत लेना नया अचीवमेंट है, जिसमें शरद पवार से ज्यादा विधानसभा सीटें हासिल कर लेना भी शामिल है.
लोकसभा चुनाव में अजित पवार बुरी तरह लुढ़क गये थे, और पूरी ताकत झोंक कर भी महज एक ही लोकसभा सीट जीत पाये थे. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे अजित पवार के लिए बूस्टर डोज जैसे हैं.
बारामती लोकसभा सीट अजित पवार के लिए शक्ति प्रदर्शन जैसा था, जहां चुनाव में वो शरद पवार को सीधे चैलेंज कर दिये थे. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार ने पत्नी सुनेत्रा पवार को मैदान में उतार दिया था. तमाम अथक प्रयासों के बावजूद अजित पवार पत्नी की हार नहीं टाल सके, क्योंकि सुप्रिया सुले ने बारामती सीट अपने पास बरकरार रख ली थी.
विधानसभा चुनाव अजित पवार के लिए बड़ा इम्तिहान था, खासकर बारामती में, लेकिन वो पास हो गये. और इतना ही नहीं, अपनी हौसलाअफजाई के लिए शरद पवार के हिस्से वाली एनसीपी से ज्यादा सीटें भी जीत ली. अजित पवार को महायुति में चुनाव लड़ने के लिए 59 सीटें ही मिली थीं, जिनमें से वो 41 विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब रहे. दूसरी तरफ, शरद पवार महाविकास आघाड़ी में 80 सीटों पर चुनाव लड़े थे, लेकिन वो महज 10 सीटों पर ही जीत पक्की कर सके.
अजित पवार का मामला एकनाथ शिंदे से बिल्कुल अलग है. एकनाथ शिंदे एक बार मुख्यमंत्री तो बन गये, लेकिन अब उनको मजबूरन डिप्टी सीएम बनना पड़ा है. अजित पवार कभी मुख्यमंत्री तो नहीं बने, लेकिन सरकारें आती जाती रहीं, और जब भी मौका आया डिप्टी सीएम बन जाते रहे.
अजित पवार को हाल ही में देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के साथ ठहाके लगाते देखा गया था, जबकि वो अक्सर सीरियस नजर आते हैं. मुस्कुराते हुए भी कभी कभार ही नजर आते हैं. अब उनको मुस्कुराने के साथ साथ ठहाके लगाने की वजह भी मिल गई है. बस इसे हैबिट का हिस्सा बनाने के लिए वजह की तलाश बची है - और वो तलाश जारी है, लेकिन इरादे काफी खतरनाक लग रहे हैं.
क्या अजित पवार फिर शरद पवार को झटका देने वाले हैं?
भिवंडी के सांसद सुरेश जी. म्हात्रे हाल ही में देवेंद्र फडणवीस से मिलने गये थे, और उसके बाद से ही महाराष्ट्र नई चर्चा शुरू हो गई. ये चर्चा इसलिए भी गंभीर लगने लगी, क्योंकि मामला शरद पवार और अजित पवार से सीधे सीधे जुड़ा हुआ है.
बाल्या मामा के नाम से मशहूर सुरेश जी. म्हात्रे असल में शरद पवार वाली एनसीपी के सांसद हैं. लेकिन, देवेंद्र फडणवीस से उनके मिलते ही चर्चा ये चल पड़ी की वो पाला बदल कर अजित पवार के खेमे में जाने वाले हैं. बात फैल जाने के बाद बाल्या मामा खुद मीडिया के सामने आये और सफाई दी कि वो कहीं नहीं जा रहे हैं. वो शरद पवार के साथ ही हैं.
बोले, मैं निजी काम से देवेंद्र फडणवीस से मिला... मेरी मुलाकात के पीछे कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं था... राजनीतिक मुद्दा होता तो फिर दोपहर में 2 बजे उनसे मिलने कौन जाता?
बात तो सही है. सुरेश जी. म्हात्रे जब तक खुद कोई जानकारी नहीं देते, तब तक उनको शरद पवार के साथ ही माना जाएगा. चूंकि, शुरुआती लक्षण ऐसे ही होते हैं, इसलिए सवाल भी खड़े होते हैं. अब अगर दोपहर के बाद किसी शाम या कोई सुबह सुरेश जी. म्हात्रे की फिर से देवेंद्र फडणवीस या ऐसे किसी नेता से मुलाकात नहीं होती तब तक तो उनका बयान ही वैलिड माना जाना चाहिये.
फिलहाल अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के एकमात्र लोकसभा सांसद सुनील तटकरे हैं, जबकि शरद पवार वाली एनसीपी के पास 8 लोकसभा सांसद हैं, जिनमें बारामती सांसद सुप्रिया सुले भी शामिल हैं.
सुरेश जी. म्हात्रे ने लोगों के सामने अपना पक्ष जरूर रख दिया है, लेकिन उनके साथ साथ शरद पवार खेमे के कई और सांसदों के अजित पवार वाली एनसीपी में शामिल होने की जोरदार चर्चा है - और, लगे हाथ ये बात भी चल रही है कि मिशन सफल हुआ तो प्रफुल्ल पटेल केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बन सकते हैं. हालांकि, सुनने में आया है कि एनसीपी-AP का ये मिशन किसी महिला नेता को दिया गया है, लेकिन इनाम प्रफुल्ल पटेल को मिल सकता है.
ये चर्चाएं अगर हकीकत बन जाती हैं, तब तो मानना ही पड़ेगा कि अजित पवार अब चाचा शरद पवार के साये से बाहर निकल चुके हैं, नहीं तो ऐसे ही किसी और निर्णायक मोड़ का इंतजार रहेगा. सत्ता का हिस्सेदार बन जाने के बाद अजित पवार का पलड़ा तो भारी है ही.