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अखिलेश यादव की गंगा में डुबकी लगाने वाली तस्वीर का कोई मिल्कीपुर कनेक्शन भी है क्या?

महाकुंभ को लेकर अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पहले से ही मोर्चा खोल रखा है. हमले तो अब भी जारी हैं. बिल्कुल राम मंदिर उद्घाटन के पहले जैसे. और, अचानक वो मकर संक्रांति के मौके पर गंगा में डूबकी लगाने की तस्वीर शेयर कर देते हैं - तब अयोध्या की लड़ाई थी, अब मिल्कीपुर की है.

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अखिलेश यादव ने हरिद्वार जाकर गंगा में डूबकी लगाकर मिल्कीपुर के लोगों को अपना संदेश दे दिया है.
अखिलेश यादव ने हरिद्वार जाकर गंगा में डूबकी लगाकर मिल्कीपुर के लोगों को अपना संदेश दे दिया है.

महाकुंभ के शुरू होने से पहले अखिलेश यादव निमंत्रण दिये जाने से खफा थे. और अब वहां की व्यवस्था की खामियों को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर हैं.  

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अखिलेश यादव को बीजेपी की तरफ से लगातार जवाब भी दिये जाते रहे हैं, और ताने भी. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, और इसी बीच सोशल मीडिया के जरिये अखिलेश यादव की गंगा में डूबकी लगाते हुए तस्वीर सामने आई है.

ये तस्वीर खुद अखिलेश यादव ने ही शेयर की है, लेकिन ये ऐसे मौके पर सामने आई है, जब मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं - यही वजह है कि अखिलेश यादव के करीबियों की तरफ से उनकी हरिद्वार यात्रा को निजी बताये जाने के बावजूद उसमें सियासी महक महसूस की जा रही है. 

महाकुंभ पर सवाल, और गंगा में डूबकी

मिल्कीपुर उपचुनाव से पहले राजनीतिक माहौल करीब करीब वैसा ही हो गया है, जैसा लोकसभा चुनाव के पहले देखने को मिला था. फैजाबाद लोकसभा सीट से समाजवादी नेता अवधेश प्रसाद के सांसद बन जाने से खाली हुई मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को मतदान होने जा रहा है.

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उपचुनाव से पहले प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है, और तब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था - समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव का रुख महाकुंभ के दौरान भी बिल्कुल वैसा ही महसूस किया जा रहा है, जैसा राम मंदिर उद्घाटन के दौरान देखने को मिला था. 

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से महाकुंभ का नियंत्रण दिये जाने पर अखिलेश यादव ने कड़ा ऐतराज जताया था. योगी और उनकी सरकार पर हमलावर तो वो पहले से ही हैं, हाल फिलहाल सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर वो व्यवस्थागत खामियों के लिए सरकार को कठघरे में खड़ा करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. 

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल साइट X पर गंगा स्नान की तीन तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा है, ‘मकर संक्रांति के पावन पर्व पर लिया मां गंगा का आशीर्वाद.’ 

बताते हैं कि अखिलेश यादव 13 जनवरी को ही हरिद्वार पहुंचे थे, जिस दिन प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हुआ. उनकी हरिद्वार यात्रा निजी बताई जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश यादव अपने चाचा राजपाल यादव की अस्थियां विसर्जित करने गये हुए हैं.

मान लेते हैं, ये यात्रा निजी है, लेकिन तस्वीरें तो अखिलेश यादव ने ही शेयर की है. मौका भी मकर संक्रांति का चुना है - और ये सब ऐसे दौर में हो रहा है जब मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर बने माहौल के बीच सवाल किया जा रहा है कि वो महाकुंभ नहाने जाएंगे या नहीं? ये सवाल भी वैसे ही है, जैसे पिछले साल पूछा जा रहा था कि निमंत्रण मिला तो राम मंदिर उद्घाटन में जाएंगे या नहीं. सवाल का जवाब अब अखिलेश यादव अलग तरीके से दे रहे हैं, मुमकिन है अयोध्या में समाजवादी पार्टी की जीत का भी असर हो. 

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महाकुंभ स्नान के सवाल पर अखिलेश यादव बताते हैं, मैं हर बार कुंभ गया हूं… अगर आप लोग कहेंगे तो वो फोटो भी शेयर कर दूंगा… समय-समय पर मैंने गंगा में स्नान भी किया है. साथ ही, अखिलेश यादव बीजेपी नेताओं को अपनी तरफ से चैलेंज करते हैं, वो लोग भी फोटो शेयर करें, जो दूसरों को गंगा में नहाने के लिए कह रहे हैं.

और फिर समझाते हैं कि कोई कुंभ नहाने क्यों जाता है. अखिलेश कहते हैं, कुछ लोग पुण्य कमाने के लिए गंगा स्नान करने के लिए जाते हैं, कुछ लोग दान करने के लिए जाते हैं… और कुछ लोग अपने पाप धोने जाते हैं… हम लोग पुण्य और दान के लिए जाएंगे. हालांकि, अखिलेश यादव ने ये नहीं बताया है कि वो कुंभ नहाने कब जाएंगे?

वैसे अपनी तरफ से हरिद्वार जाकर गंगा में डूबकी की तस्वीरें तो शेयर कर ही दी है, अगर मिल्कीपुर में बीजेपी की तरफ से सवाल उठाया गया, तो तस्वीरें जवाब में कुछ न कुछ तो बोलेंगी ही.  

किधर जा रही है मिल्कीपुर की लड़ाई

अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी के भी उम्मीदवार घोषित कर देने से लड़ाई दिलचस्प हो गई है. बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को टिकट दिया है. अयोध्या सांसद के नाम से शोहरत बटोर रहे अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पहले ही घोषित किये जा चुके हैं. 

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एक ही जाति के दोनो उम्मीदवार हो जाने से मुकाबला जोरदार तो होगा ही, बाकी दलित और ओबीसी वोटर निर्णायक भूमिका निभाएंगे. जो उनका वोट अपने हिस्से में जुटा लेगा, पलड़ा तो उसका ही भारी होगा. 

मिल्कीपुर लंबे अर्से से समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है, खासकर 90 के दशक से. इस बीच दो बार बीजेपी और एक बार बीएसपी को भी कामयाबी मिली है. यही वजह है कि बीजेपी ने काफी सोच विचार के बाद पेशे से वकील चंद्रभान प्रसाद का नाम फाइनल किया है. उनकी पत्नी और पिता भी राजनीति में ही हैं. वो खुद भी बीजेपी की जिला कार्यकारिणी के सदस्य हैं, और कुछ दिनों से मिल्कीपुर में खासतौर पर सक्रिय देखे गये हैं. 

मिल्कीपुर में 3.50 लाख से ज्यादा वोटर हैं, जिनमें सबसे ज्यादा आबादी दलितों की है. करीब 1.25 लाख. दलितों में भी 50 हजार से ज्यादा पासी हैं. दोनो दलों के एक ही जाति के उम्मीदवार पर दांव लगाये जाने की वजह भी यही है. जाहिर है, बाकी दलित निर्णायक भूमिका में होंगे. 

मिल्कीपुर के मैदान से बीएसपी ने तो पहले ही दूरी बना ली है, लेकिन नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अपनी आजाद समाज पार्टी का उम्मीदवार जरूर खड़ा किया है. 

जीत के दावे तो दोनो ही तरफ से किये जा रहे हैं. अखिलेश यादव के साथ साथ अवधेश प्रसाद भी बढ़ चढ़कर जीतने की बात कर रहे हैं. फर्क ये है कि योगी आदित्यनाथ और बीजेपी नेता 9 सीटों पर हुए उपचुनावों में 7 सीटें जीतने के बाद कर रहे हैं, और समाजवादी पार्टी अपने हिस्से की भी एक सीट गवांकर - बाकी हकीकत तो 8 फरवरी को सामने आ ही जाएगी.

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