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अखिलेश यादव का भारत जोड़ो यात्रा से 'जुड़ाव' जयंत चौधरी से मिले झटके का नतीजा है!

अखिलेश यादव को फिर से राहुल गांधी का साथ पसंद आने लगा है, 'यूपी को ये साथ पसंद' आता है या नहीं देखना होगा. लगता है, मायावती के बाद जयंत चौधरी से मिलने वाले संभावित झटके की आशंका ने अखिलेश यादव को अंदर तक झकझोर दिया है - ये साथ फायदेमंद तो राहुल गांधी के लिए भी है.

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अखिलेश यादव और राहुल गांधी का साथ आना फायदेमंद तो दोनों के लिए है
अखिलेश यादव और राहुल गांधी का साथ आना फायदेमंद तो दोनों के लिए है

अखिलेश यादव को फिर से राहुल गांधी का साथ पसंद आ गया है. समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने का न्योता स्वीकार कर लिया है - लेकिन न्याय यात्रा में अमेठी और रायबरेली में से कहां हिस्सा लेंगे, अभी ये पक्का नहीं किया है. 

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राहुल गांधी को अखिलेश यादव का साथ ऐसे वक्त मिल रहा है, जब वो भी सख्त जरूरत महसूस कर रहे होंगे. मणिपुर से भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले राहुल गांधी को पहली बार यूपी पहुंचने पर ऐसा मजबूत साथ मिलने जा रहा है. 

राहुल गांधी और अखिलेश यादव के आने में आरएलडी नेता जयंत चौधरी की भी बड़ी भूमिका लगती है. हाल फिलहाल एक जोरदार चर्चा है कि अखिलेश यादव का साथ छोड़ कर जयंत चौधरी आने वाले लोक सभा चुनाव में बीजेपी के साथ एनडीए में जा सकते हैं. 

2022 के यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान भी बीजेपी की तरफ से जयंत चौधरी पर डोरे डालने की कोशिशें हुई थीं. बीजेपी ने दिल्ली में यूपी के जाट नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई थी, और उसमें बीजेपी नेता अमित शाह का शामिल होना बता रहा था कि कोशिशें कितनी गंभीर चल रही थीं. तब दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा भी काफी सक्रिय देखे गये थे. अभी बात कहां तक पहुंची है, अभी देखना है.

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अव्वल तो अपना दल नेता अनुप्रिया पटेल ने जयंत चौधरी का एनडीए में स्वागत भी कर डाला है, लेकिन उनकी ये बात मैनपुरी सांसद डिंपल यादव के बयान से जुड़ा हुआ लगता है. डिंपल यादव ने जयंत चौधरी के एनडीए में जाने की खबरों को खारिज करने की कोशिश की है. उनका कहना है कि जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ कर नहीं जाने वाले हैं. अखिलेश यादव भी यही दोहराते हैं- 'जयंत पढ़े लिखे हैं. किसानों की राजनीति करते हैं और राजनीति समझते हैं. मुझे उम्मीद है कि किसानों की लड़ाई को वो कमजोर नहीं होने देंगे.'

ऐसा लगता है, मायावती के बाद जयंत चौधरी से मिलने वाले संभावित झटके की आशंका ने अखिलेश यादव को अंदर तक झकझोर दिया है, वैसे ये साथ फायदेमंद तो राहुल गांधी के लिए भी लगता है. राहुल गांधी की न्याय यात्रा 16 फरवरी को उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पास चंदौली से दाखिल होने वाली है. 

अखिलेश यादव को फिर पसंद आया राहुल गांधी का साथ

स्वीकार तो अखिलेश यादव ने राम मंदिर का न्योता भी किया था, लेकिन अयोध्या नहीं गये. बाद में जाने के लिए कहा जरूर है. दिसंबर, 2022 में भी भारत जोड़ो यात्रा का निमंत्रण मिलने को लेकर मीडिया से अखिलेश यादव का कहना था, मुझे कोई निमंत्रण नहीं मिला है... हमारी विचारधारा अलग है... बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक हैं.

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4 फरवरी को पत्रकारों से बातचीत में कहा था, 'कई बड़े आयोजन होते हैं, लेकिन हमें आमंत्रित नहीं किया जाता'. अखिलेश की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि पार्टी गठबंधन सदस्यों का यात्रा में स्वागत करने के लिए तैयार है, लेकिन यूपी में इसका अंतिम कार्यक्रम अभी तय नहीं हुआ है.

'सादर प्रणाम' के साथ शुरू करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे अपने जवाबी खत में अखिलेश यादव लिखते हैं, हम व्यक्तिगत रूप से रायबरेली या अमेठी में शामिल होंगे.

समाजवादी पार्टी नेता को न्याय यात्रा में उम्मीदों की किरण भी नजर आने लगी है, आशा है या भारत जोड़ो न्याय यात्रा उत्तर प्रदेश में प्रवेश करके PDA की रणनीति से जुड़ेगी और हमारे सामाजिक न्याय और परस्पर सौहार्द के आंदोलन को आगे ले जाएगी... INDIA की टीम और PDA की रणनीति जीत का नया इतिहास लिखेगी.

यूपी के मुख्यमंत्री का पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अखिलेश यादव जब चुनावों में उतरने को हुए तो आत्मविश्वास कमजोर लग रहा था. वो भी तब जबकि 2012 के चुनाव कैंपेन का खुद ही नेतृत्व किया था, और समाजवादी पार्टी को सत्ता दिलाने में सफल हुए थे. शायद बीजेपी की बढ़त का अंदाजा अखिलेश यादव को लग चुका था. 

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चुनावों से काफी पहले ही अखिलेश यादव कहने लगे थे कि साइकिल पर अगर हाथ लग जाये तो स्पीड पकड़ लेगी. चुनाव नतीजे आये तो अखिलेश यादव सत्ता की रेस से बाहर हो चुके थे, और कांग्रेस का प्रदर्शन भी अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहा. वैसे 2022 के चुनाव से तो बेहतर ही था.

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में स्लोगन गढ़ा गया था, यूपी को ये साथ पंसद है. बाद में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ लिया. 2019 के लोक सभा चुनाव के लिए सपा-बसपा गठबंधन हुआ, लेकिन उसे मायावती ने तोड़ दिया. गठबंधन के बुरे अनुभवों से गुजरने के बाद 2022 में अखिलेश यादव ने सिर्फ छोटे दलों के साथ चुनावी गठबंधन किया था, और उसमें से भी ओम प्रकाश राजभर जैसे नेता साथ छोड़ चुके हैं.

कांग्रेस के लिए भी फायदेमंद है सपा का साथ

अखिलेश यादव 2022 में हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में नहीं शामिल हुए थे. क्षेत्रीय दलों के पास विचारधारा की कमी बताकर राहुल गांधी कई बार अखिलेश यादव को अपनी शर्तें सुना चुके हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता कमलनाथ के 'अखिलेश-वखिलेश' व्यवहार से भी अखिलेश यादव काफी नाराज थे.

राहुल गांधी की तरफ से बार बार विचारधारा के नाम पर बार बार ये सुनने के बाद कि कांग्रेस का नेतृत्व तो उनको स्वीकार करना ही पड़ेगा, सीटों के बंटवारे को लेकर भी अखिलेश यादव सख्त लहजे में पेश आये थे.

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बीच में कांग्रेस को सपा की तरफ से 11 सीटें दिये जाने की चर्चा हुई थी, लेकिन यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि सिर्फ बात हुई है, फाइनल नहीं है.

मणिपुर से निकली राहुल गांधी की न्याय यात्रा में INDIA ब्लॉक के साथी दलों के नेता शामिल तो हुए हैं, लेकिन अब तक किसी बड़े क्षेत्रीय नेता को यात्रा में नहीं देखा जा सका है. ममता बनर्जी ने तो यात्रा के पश्चिम बंगाल में प्रवेश से पहले ही पल्ला झाड़ लिया था. ठीक वैसे ही यात्रा के बिहार में दाखिल होने से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निकल लिये - और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को पूछताछ के लिए ईडी के सामने पेश होना पड़ा था, लिहाजा वो भी शामिल नहीं हो पाये थे.

ऐसा लग रहा है जैसे अखिलेश यादव को भी अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह कांग्रेस के साथ की जरूरत महसूस होने लगी है, लेकिन ऐन उसी वक्त राहुल गांधी के लिए भी ये बहुत बड़ा सपोर्ट है. 

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