अपर्णा यादव और शिवपाल यादव की ताजा मुलाकात की खूब चर्चा है. दोनों नेता भले ही अलग अलग राजनीतिक दलों में हों, लेकिन परिवार तो एक ही है, और परिवार के लोग तो एक दूसरे से मिल ही सकते हैं - लेकिन चर्चा की वजह अपर्णा यादव की बीजेपी से नाराजगी मानी जा रही है.
अपर्णा यादव को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया है. कहा जाने लगा है कि अपर्णा यादव के अभी तक कामकाज नहीं संभालने के पीछे भी यही वजह है - और शिवपाल यादव से उनकी मुलाकात को घर-वापसी से जोड़ कर देखा जा रहा है.
लेकिन क्या मुलाकात की खास वजह सिर्फ यही हो सकती है, ऐसा भी तो हो सकता है कि अपर्णा यादव बीजेपी की तरफ से कोई ऑफर लेकर शिवपाल यादव से मिलने गई हों.
ये मुलाकात संयोग है या प्रयोग?
अपर्णा यादव, यूपी के सबसे बड़े समाजवादी परिवार की छोटी बहू हैं. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं - और 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं.
बीजेपी की तरफ अपर्णा यादव का झुकाव तब सामने आया जब परिवार की एक शादी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे हुए थे, और अपर्णा यादव ने मोदी के साथ सेल्फी ली थी. वो सेल्फी वायरल हो गई. हालांकि, बाद में एक इंटरव्यू में अपर्णा यादव ने बताया था कि सेल्फी तो परिवार में कई लोगों ने ली थी, लेकिन सेल्फी लेते उनकी तस्वीर वायरल हो गई. तभी अपर्णा यादव का कहना था कि सेल्फी तो डिंपल भाभी ने भी ली थी, और एक और भाभी जिनका नाम वो बताना नहीं चाह रही थीं.
अपर्णा यादव को बीजेपी में पहली बार कोई जिम्मेदारी मिली है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि वो उनको अपने कद के माफिक नहीं लग रहा है. अपर्णा यादव 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं, लेकिन जीत नहीं मिल सकी.
यूपी महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाये जाने से पहले अपर्णा यादव को बीजेपी की तरफ से न तो कोई जिम्मेदारी दी गई थी, न ही किसी चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है. हो सकता है, बीजेपी नेतृत्व को अब तक अपर्ण यादव पर भरोसा न बना हो, या उनकी खास उपयोगिता न समझ आई हो.
मोदी के अलावा अपर्णा यादव, 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद मिलने भी गई थीं. मिलने तो शिवपाल यादव भी गये थे, और उनके भी बीजेपी में जाने की चर्चा हुई थी, लेकिन कभी बात बनी नहीं.
आखिर में शिवपाल यादव लौट कर अखिलेश यादव के साथ ही चले गये. 2022 का चुनाव साथ लड़ने के बाद फिर से नाराज हो गये थे, लेकिन मैनपुरी उपचुनाव के पहले डिंपल यादव और अखिलेश यादव के मनाने पर मान भी गये - लेकिन उनको भी अब तक ऐसा कुछ नहीं मिला है जिससे वो खुश हों, सिवा बेटे के बदायूं से सांसद बन जाने के. जो नेता बहुतों को सांसद बना चुका हो, उसके लिए अपनी पसंद की सीट से चुनाव लड़ने को भी न मिले तो क्या कहा जाये.
ऐसे में ये भी हो सकता है अपर्णा यादव बीजेपी की तरफ से कोई ऑफर लेकर शिवपाल यादव के पास पहुंची हों? उपचुनावों से पहले योगी आदित्यनाथ भी तो हर हाल में मिल्कीपुर और करहल विधानसभा सीटें जीतने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हों.
डिंपल-अखिलेश भी मिलेंगे क्या?
शिवपाल यादव से मुलाकात के बाद एक और भी चर्चा शुरू हो चुकी है. चर्चा ये है कि चाचा शिवपाल यादव के बाद अपर्णा यादव की मुलाकात डिंपल यादव और अखिलेश यादव से भी होने वाली है. और जिस मौके पर मुलाकात की बात हो रही, वो खास संयोग भी है.
ये भी सुनने में आया है कि जुलाई में ही अखिलेश यादव और डिंपल यादव, अपर्णा के पति प्रतीक यादव से मिलने गये थे. असल में उस समय उनकी तबीयत खराब थी और वो अस्पताल में भर्ती थे.
और अब एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पूरा परिवार सैफई में मुलायम सिंह यादव की श्रद्धांजलि सभा में इकट्ठा होने वाला है. 10 अक्टूबर को मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि है. उस मौके पर भेंट तो होगी, लेकिन कोई राजनीतिक बातचीत भी होगी क्या?
इस बीच, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की एक सोशल मीडिया पोस्ट आई है. अखिलेश यादव ने सोशल साइट X पर लिखा है कि बीजेपी में सारे पद अपनों को ही दिये जाते हैं, औरों को योग्य नहीं समझा जाता.
“46 में 56” का हास्यास्पद और अपुष्ट दावा करनेवाले, ऊपर से लेकर नीचे तक सभी प्रमुख पदों पर ‘100 में 100’ अपने ही लोग बैठाए हुए हैं। क्या वो अपने से इतर ‘औरों’ को इन पदों के लिए योग्य नहीं समझते हैं या फिर सिर पर लटकी हुई दिल्ली की तलवार की वजह से किसी को विश्वास योग्य नहीं समझते…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 6, 2024
अखिलेश यादव की पोस्ट को अपर्णा यादव को महिला आयोग का अध्यक्ष न बनाये जाने से जोड़ कर देखा जाने लगा है - कुछ तो खिचड़ी पक रही है, लेकिन तस्वीर अभी साफ नहीं है.