अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की तस्वीर अब काफी हद तक साफ होती जा रही है. तात्कालिक परिस्थितियां तो ऐसे ही इशारे कर रही हैं. ऐसी कई चीजें हो रही हैं, जो आम आदमी पार्टी के लिए अच्छी खबर तो कहीं से भी नहीं कही जाएंगी.
हाल फिलहाल अरविंद केजरीवाल के पक्ष में सिर्फ दो ही बातें हुई हैं. एक अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट से मदद मिलना - और दूसरी, राज्यसभा चुनाव में नामांकन और चुनाव जीत जाने के बाद संजय सिंह को शपथ लेने के लिए संसद जाने की कोर्ट से छूट दिया जाना. बाकी खबरें तो बुरी ही मानी जाएंगी.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज हो जाने पर सत्येंद्र जैन का फिर से तिहाड़ जेल पहुंच जाना. दिल्ली शराब केस में बीआरएस नेता के. कविता को ईडी का गिरफ्तार कर लेना - और दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया की जमानत का सीबीआई का विरोध और कोर्ट का जांच एजेंसी की दलील मान लेना.
सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दिल्ली शराब केस में जिस हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी की बात कही है, कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी नेताओं की तरफ से जताई जा रही आशंका सही लगने लगी है. AAP नेताओं का कहना था कि अरविंद केजरीवाल को भी मनीष सिसोदिया की तरह ही गिरफ्तार करने की साजिश रची जा रही है.
असल में, मनीष सिसोदिया को पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था - और बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने जेल से ही अरेस्ट कर लिया था. अब जबकि ईडी ने शराब नीति केस के साथ साथ दिल्ली जल बोर्ड के मामले में भी अरविंद केजरीवाल को समन भेजा है, AAP नेता आतिशी कह रही हैं, कोई नहीं जानता कि यह डीजेबी मामला किस बारे में है... ये किसी भी तरह अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने - और उनको लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने की एक बैकअप प्लान लगता है.
और अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं, जब कोर्ट ने जमानत दी हुई है तो फिर ईडी बार-बार समन क्यों जारी कर रही है? और फिर वो बीजेपी नेताओं के बयानों का हवाला देते हुए सवालों की बौछार कर देते हैं. फिर उधर से बीजेपी नेताओं का रिएक्शन आ जाता है. अरविंद केजरीवाल एक साथ राजनीतिक और कानूनी लड़ाई दोनों लड़ रहे हैं - सवाल है कि ये लड़ाई किस दिशा में बढ़ रही है, और क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी टाली जा सकती है?
गिरफ्तारी की परिस्थितिजन्य संभावनाएं
मनीष सिसोदिया की नियमित जमानत की अर्जी के साथ उनके वकील ने सीबीआई पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जांच में जानबूझ कर देर की जा रही है. और अपनी बात को सही साबित करने के लिए कई तर्क भी दिये थे.
सीबीआई का कहना है कि देरी की कोई खास वजह नहीं है, बल्कि उचित प्रक्रिया अपनाई जा रही है, इसलिए समय लग रहा है. सीबीआई ने ये भी बताया कि मामले की जांच महत्वपूर्ण दौर में पहुंच चुकी है.
जांच एजेंसी ने अदालत से कहा कि चूंकि जांच जारी है, मनीष सिसोदिया जमानत पर छूट जाते हैं, तो जांच प्रभावित हो सकती है, क्योंकि वो दिल्ली शराब केस के मुख्य आरोपियों में से एक हैं.
और उसी क्रम में सीबीआई की तरह से कोर्ट को बताया गया, "हमारी जांच जारी है. कुछ हाई प्रोफाइल लोग या कोई भी गिरफ्तार हो सकता है."
सीबीआई की यही वो बात है, जिसमें अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का सबसे मजबूत संकेत मिलता है - और परिस्थितियां भी बिलकुल वैसी ही बन गई हैं, जिसमें मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई थी. अरविंद केजरीवाल एक बार सीबीआई के सामने पेश भी हो चुके हैं - और वो अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास में हुए नवनिर्माण के मामले भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच कर रही है.
मनीष सिसोदिया की जमानत का सीबीआई की तरफ से विरोध, के. कविता को शराब नीति केस में भी ईडी का गिरफ्तार कर लेना एक जैसे घटनाक्रम जारी रहने का भी संकेत देता है.
क्या ED ने कोर्ट का रुख कर अपने हाथ बांध लिये?
अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में 16 मार्च को व्यक्तिगत तौर पर पेश होना था. हुए भी, और फौरन ही उनको जमानत भी मिल गई. कोर्ट ने 15 हजार के मुचलके पर जमानत मंजूर कर ली - और आगे के लिए व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से छूट भी दे दी.
अब इस केस में 1 अप्रैल को सुनवाई होनी है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान जो कुछ हुआ, उसके बाद निश्चित तौर पर प्रवर्तन निदेशालय को अफसोस हुआ होगा. अब अगर अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि जब ईडी के अफसर खुद कोर्ट गये, और कोर्ट ने जमानत भी दे दी तो दिक्कत क्या है? अब पेशी के लिए समन भेजने का मतलब क्या है?
दिल्ली शराब नीति केस में अब तक 9 समन भेजने के अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली जल बोर्ड केस में भी समन भेज कर तलब किया है. लेकिन अरविंद केजरीवाल की एक और मांग मंजूर कर कोर्ट ने आगे की कार्रवाई के लिए ईडी का इंतजार बढ़ा दिया है.
अरविंद केजरीवाल की मांग थी कि उनको ईडी से वे दस्तावेज चाहिये, जिनके आधार पर पूछताछ होनी है. अदालत ने अरविंद केजरीवाल की ये मांग मंजूर करते हुए ईडी को आदेश भी जारी कर दिया है, लिहाजा ईडी को अब बिलकुल ऐसा ही करना पड़ेगा.
ये एक तरीके से अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीतिक कामयाबी है. पहला समन मिलने के समय से ही अरविंद केजरीवाल का सवाल रहा है कि उनको किस हैसियत से बुलाया जा रहा है - आरोपी के रूप में, गवाह के रूप में, दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में या फिर आम आदमी पार्टी के नेता के रूप में.
अब तो ईडी को ये सब अरविंद केजरीवाल को लिखित तौर पर बताना भी पड़ेगा, और अरविंद केजरीवाल जो भी करेंगे वाया अदालत ही करेंगे - और अदालत से जो आदेश जारी होगा ईडी को भी मानना ही पड़ेगा.
मोटे तौर पर केस को समझें तो अरविंद केजरीवाल अपने कानूनी दांव-पेचों में ईडी को फिलहाल उलझा तो लिया ही है. हमेशा के लिए न सही, अभी तो ईडी की तरफ से गिरफ्तारी की आशंका तो टाल ही दी है - लेकिन सीबीआई तो अलग जांच एजेंसी है, और अरविंद केजरीवाल को उसे अलग से फेस करना है.
गिरफ्तारी की आशंका से घिरे नेताओं की कतार में अरविंद केजरीवाल सबसे आगे हैं?
1. भले ही ED ने के. कविता को गिरफ्तार कर लिया हो, भले ही ED ने शराब केस के साथ साथ DJB केस में भी अरविंद केजरीवाल को समन भेजा हो, लेकिन अब प्रवर्तन निदेशालय तत्काल तो गिरफ्तार नहीं कर सकता - क्योंकि कोर्ट में वो केजरीवाल को दस्तावेज देने की बात मान चुका है. और प्रक्रिया में वक्त तो लगेगा ही.
2. ऐसी सूरत में सीबीआई के कोर्ट में दाखिल बयान से ये संकेत मिल रहा है कि अरविंद केजरीवाल का केस भी मनीष सिसोदिया की लाइन पर ही आगे बढ़ रहा है - और ईडी की जगह सीबीआई उनको गिरफ्तार कर सकती है.
3. आम आदमी पार्टी नेताओं की आशंका के हिसाब से भी देखें तो अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का मामला तेजी से मनीष सिसोदिया वाले रास्ते पर ही बढ़ रहा है - और वो रास्ता अब बहुत ज्यादा बचा हो, ऐसा तो नहीं लगता.