अरविंद केजरीवाल राजनीतिक लड़ाई पूरी हो चुकी है. प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ कानूनी लड़ाई आम आदमी पार्टी की लीगल टीम सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में लड़ रही है - चुनाव अभियान अब AAP के बाहर बचे हुए नेताओं के हवाले है.
जब ईडी की टीम अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची तो सौरभ भारद्वाज, आतिशी और दिल्ली विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल बाहर मोर्चा संभाले हुए थे - गोपाल राय की भी जिम्मेदारी बढ़ गई है क्योंकि बाकियों के मुकाबले उनका राजनीतिक अनुभव ज्यादा है. अरविंद केजरीवाल की जगह मुख्यमंत्री बनाये जाने की बीती चर्चाओं में रेस में गोपाल राय का नाम ऊपर ही दर्ज किया गया है. हालांकि, अभी तो यही बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी 'जेल से सरकार चलाने' के अपने पुराने स्टैंड पर ही बनी रहेगी.
अरविंद केजरीवाल के कार्यकर्ता और समर्थक यथाशक्ति विरोध भी कर रहे हैं. सड़क पर भी और सोशल मीडिया पर भी - लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण विपक्षी खेमे से मिलने वाला साथ ही है.
INDIA ब्लॉक के तकरीबन सभी नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का विरोध किया है. दिल्ली में कांग्रेस नेताओं को पहली बार अरविंद केजरीवाल के समर्थन में खड़ा देखने को मिल रहा है.
साथ देने वालों में संदीप दीक्षित का खड़े होना अरविंद केजरीवाल के लिए आत्मबल और विश्वास बढ़ाने वाला है. संदीप दीक्षित, कांग्रेस की बड़ी नेता और लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बेटे हैं. अरविंद केजरीवाल ने अपने पहले ही चुनाव में शीला दीक्षित को हरा दिया था. 2019 के आम चुनाव में शीला दीक्षित के हाथ में ही दिल्ली कांग्रेस की कमान रही, और वो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के चुनावी गठबंधन के खिलाफ डट कर खड़ी हो गई थीं.
संदीप दीक्षित और अरविंदर सिंह लवली तो सड़क पर भी मीडिया को बयान देते नजर आये. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सोशल साइट X पर बयान जारी किया है, और राहुल गांधी के अरविंद केजरीवाल के घर जाकर सपोर्ट जताने की भी खबर है.
जैसे चुनाव सोशल मीडिया पर नहीं लड़े जा सकते, ये लड़ाई भी नहीं लड़ी जा सकती. ये लड़ाई सड़क पर लड़ी जाने वाली है, जेल भरो आंदोलन चलाने वाली है - लेकिन अभी तक न तो आम आदमी पार्टी की तरफ से, न ही INDIA ब्लॉक के नेताओं की तरफ से ही ऐसा कोई संकेत मिला है.
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में INDIA ब्लॉक के नेता वैसे ही समर्थन जता रहे हैं, जैसे अन्ना आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा लोग वीकेंड पर रामलीला मैदान पहुंचते देखे गये थे, जैसे तफरीह पर निकले हों.
उस दौर का एक वाकया फिलहाल काफी प्रासंगिक लग रहा है. तब धरना और अनशन कर रहे अन्ना हजारे बीच बीच में उठ कर लोगों को संबोधित भी करते थे. आंदोलन में शामिल और समर्थन दे रहे लोगों का हौसला बनाये रखने के लिए सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करते थे, और किसी भी तरह की हिंसा के लिए साफ मना करते थे - और उसी दौरान एक बार बोलते बोलते अन्ना हजारे बोल गये कि अगर सरकार ने बात नहीं सुनी और मानी तो जेल भरे जाएंगे. अन्ना के मुंह से ये निकलते ही अरविंद केजरीवाल और साथियों का चेहरा देखने लायक था. जैसे तब आंदोलन के लिए कोई जेल जाने को तैयार नहीं दिखा, अब भी नहीं दिखाई पड़ रहा है - और अरविंद केजरीवाल के सपोर्ट में चल रही मुहिम की सबसे कमजोर कड़ी यही है.
INDIA ब्लॉक पर तात्कालिक प्रभाव और चुनाव पर असर
1. पंजाब तो नहीं, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन ED के रडार को पैमाना बना कर देखें तो दोनों साझेदार एक ही कश्ती के सवार हैं. अरविंद केजरीवाल के तीन साथी, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल में हैं - और कांग्रेस में तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कई नेता ईडी के सामने पेश हो चुके हैं. थोड़ा हट कर देखें तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा भी उसी दायरे में हैं - और पूछताछ के दौरान तो राहुल गांधी की गिरफ्तारी तक की भी आशंका जतायी जा चुकी है.
2. लोकसभा की सात सीटों पर काबिज होने के साथ साथ बीजेपी को तो दिल्ली विधानसभा में भी थोड़ा बहुत एक्सेस मिला हुआ है, लेकिन कांग्रेस को दो दाखिला ही नहीं मिल सका है. 2019 के चुनाव नतीजों को देखें तो कांग्रेस ही दूसरे स्थान पर रही, और आम आदमी पार्टी तीसरे पायदान पर. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से कांग्रेस के पास अपनी खोई जमीन पाने का अवसर भी बन गया है. दिल्ली में कांग्रेस तीन सीटों पर जबकि आम आदमी पार्टी चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
3. दिल्ली के कांग्रेस नेता क्या केजरीवाल के प्रति सहानुभूति जुटा पाएंगे? ये बड़ा सवाल है. कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का तभी फायदा मिल पाएगा जब कांग्रेस अरविंद केजरीवाल के प्रति वोटर की सहानुभूति का फायदा उठा सके. मुश्किल ये है कि बीजेपी अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस को एक ही तराजू पर बैठा हुआ पेश करती है, ऐसे में कांग्रेस को अपने साथ साथ आम आदमी पार्टी के नेता का भी बचाव करना होगा - और दिल्ली के लोगों को ये भी समझाना होगा कि दोनों ही दलों के नेताओं को राजनीतिक रूप से टारगेट किया जा रहा है.
INDIA गुट के बाकी नेताओं में केजरीवाल के प्रति सहानुभूति का लेवल क्या है?
विपक्षी खेमे से अरविंद केजरीवाल के समर्थन में कड़ी प्रतिक्रिया आई है, और राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक एक सुर में बोल रहे हैं कि INDIA (गठबंधन) जीतेगा - हां, ममता बनर्जी इस मुहिम में भी अलग नजर आ रही हैं. करीब करीब वैसे ही जैसे राम मंदिर उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के मामले में सबसे पहले और सख्त स्टैंड लिया था. ध्यान देने वाली बात ये भी है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ रही हैं. INDIA ब्लॉक के लिए अगर चुनावी गठबंधन ही पैमाना है तो तृणमूल कांग्रेस के समाजवादी पार्टी के साथ यूपी में एक सीट पर चुनाव लड़ने की खबर काफी पहले ही आई थी - वरना, ममता बनर्जी ने तो खुद को INDIA ब्लॉक से पहले ही अलग कर रखा है.
ममता बनर्जी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए, कहा है कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल के परिवार के साथ भी खड़ी हैं, और उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से बात भी की है. ममता बनर्जी ने मौजूदा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर बड़ा हमला बताया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, INDIA ब्लॉक का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलकर अपनी बात रखेगा और ये सवाल उठाया जाएगा कि ऐसे में जब देश में आचार संहिता लागू है आखिर जानबूझ कर विपक्ष के नेताओं को निशाना क्यों बनाया जा रहा है. ममता बनर्जी ने प्रतिनिधिमंडल में डेरेक ओ'ब्रायन और मो. नदीमुल हक को तृणमूल कांग्रेस की तरफ से भेजा है.
टीएमसी नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में आम चुनाव कराये जाने की मांग की थी, और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद फिर से कहा है कि अगर मौजूदा मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव से थोड़ा पहले गिरफ्तार किया जाता है, तो हम निष्पक्ष चुनाव कीा उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन की प्रतिक्रिया है, ये कार्रवाई चुनाव प्रक्रिया के स्तर पर विपक्ष की आवाज बंद करने की कोशिशों का हिस्सा है... इससे मालूम होता है कि ये उन लोगों की कायरता है जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया से डरते हैं.
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर राहुल गांधी ने कहा है, 'INDIA इसका मुंहतोड़ जवाब देगा.' अपनी X पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा है, डरा हुआ तानाशाह, एक मरा हुआ लोकतंत्र बनाना चाहता है.
और करीब करीब उसी अंदाज में अखिलेश यादव कहते हैं, ये गिरफ्तारी एक नयी जन-क्रांति को जन्म देगी. शरद पवार और तेजस्वी यादव के साथ साथ पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.
ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये 'नयी जन-क्रांति' किस रूप में सामने आ रही है? क्या ये क्रांति सड़क पर भी देखने को मिलेगी, या सिर्फ सोशल मीडिया तक सिमट कर रह जाएगी?
बड़ा सवाल ये भी है कि क्या ये क्रांति चुनाव नतीजों को भी प्रभावित करने जा रही है?
अभी तक विपक्ष की तरफ से कोई साझा बयान जारी नहीं हुआ है, जैसा सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के दौरान और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद देखने को मिला था. ये भी ध्यान रहे कि सोनिया गांधी वाले में अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए थे, और मनीष सिसोदिया की बारी आई तो कांग्रेस ने भी दूरी बना ली थी.
INDIA गुट में अरविंद केजरीवाल मजबूरी में शामिल हुए थे, और कांग्रेस के भी राजी होने की मजबूरी ही थी - आगे तो मजबूरियां ही मजबूरियां हैं!