दिल्ली में पैर जमाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पंजाब का रुख किया था. और, ऐसा करने की खास वजह भी थी. आम आदमी पार्टी बनने के बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में एक साथ चार सांसद जो मिल गये थे. वो भी तब जब अरविंद केजरीवाल खुद वाराणसी सीट पर बीजेपी के नरेंद्र मोदी से चुनाव हार गये थे.
2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों से काफी पहले ही अरविंद केजरीवाल वहां पहुंच गये थे. तब कहा था, अब यहीं खूंटा गाड़ के बैठूंगा. दिल्ली चुनाव की ताजा हार के बाद ऐसा कुछ कहा तो नहीं है, लेकिन काम वैसे ही कर रहे हैं.
पंजाब के साथ साथ अरविंद केजरीवाल की नजर गुजरात और उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति पर भी है, जिसकी अलग से खास वजह है. एक साथ तो नहीं, लेकिन तीनो ही राज्यों में एक ही साल में चुनाव होने हैं - 2027 में. पहले यूपी और पंजाब में, और बाद में गुजरात में.
पंजाब में केजरीवाल ने हाथ में ली कमान
आंदोलन कर रहे किसान नेताओं के साथ पंजाब सरकार के सख्ती से पेश आने को लेकर निशाने पर आये अरविंद केजरीवाल अब नशे के कारोबार के खिलाफ अभियान में जुटे हैं.
अरविंद केजरीवाल नशा तस्करों को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाले अंदाज में धमका रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने नशीले पदार्थों के तस्करों को साफ तौर पर चेतावनी दी कि अगर जान प्यारी है तो तुरंत पंजाब छोड़ दें. मुख्यमंत्री भगवंत मान 1 अप्रैल से नशीली दवाओं के खिलाफ पंजाब में जन आंदोलन चलाने की तैयारी कर रहे हैं.
पंजाब पुलिस पहले से ही एक्टिव है, और योगी स्टाइल में ही नशा तस्करों के ठिकानों पर बुलडोजर भी चलाया जाने लगा है. पंजाब के डीजीपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा था, 'नशे के खिलाफ हमारी जंग तेज हो गई है... 1 मार्च, 2025 से पंजाब सरकार के नशा-विरोधी अभियान के तहत 2248 एफआईआर दर्ज की गईं, 4,000 लोग गिरफ्तार हुए... और भारी मात्रा में नशीले पदार्थ जब्त किये गये.
पंजाब डीजीपी की पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए अरविंद केजरीवाल लिखते हैं, पंजाब में हमारी सरकार ने नशे के खिलाफ जबरदस्त युद्ध छेड़ा हुआ है... अब अगले चरण में नशे के बड़े सप्लायर्स पर वार किया जाएगा... नशे का एक भी विक्रेता या सप्लायर बख्शा नहीं जाएगा... कांग्रेस, अकाली दल और बीजेपी की सरकारों में पंजाब को 'उड़ता पंजाब' के नाम से बदनाम किया था... अब लोग मिलकर 'बदलता पंजाब' बना रहे हैं.
ये सब इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है - और अरविंद केजरीवाल तारीख की घोषणा से पहले ही उम्मीदवार घोषित करने के साथ साथ कैंपेन भी शुरू कर चुके हैं.
AAP को मिला यूपी के मैदान में उतरने का मौका
दिल्ली शराब नीति केस में फंसी आम आदमी पार्टी को यूपी में विरोध प्रदर्शन का बड़ा मौका मिल गया है. और, मौका देखकर आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह के नेतृत्व में 29 मार्च को यूपी के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है.
असल में, यूपी की नई एक्साइज पॉलिसी की वजह से शराब विक्रेताओं ने स्टॉक को खत्म करने के लिए भारी डिस्काउंट वाली स्कीम निकाली है. कई जगह तो ग्राहकों को एक बोतल खरीदने पर एक बोतल शराब फ्री का भी ऑफर चल रहा है.
ये भी मालूम हुआ है कि आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. 2022 में भी ऐसी कोशिशें देखी गई थीं, लेकिन अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं हो सका था. दिल्ली चुनाव में अखिलेश यादव के सपोर्ट के बाद आने वाले चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की अपेक्षा स्वाभाविक लगती है.
उपचुनावों से अरविंद केजरीवाल को काफी उम्मीदें
आम तौर पर विपक्षी दल उपचुनावों पर पैसा, समय और ऊर्जा खर्च नहीं करते, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि नतीजे सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में भी आते हैं. हालांकि, ऐसा हमेशा नहीं होता.
पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट की ही तरह गुजरात में भी विसावदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. और, आम आदमी पार्टी मान कर चल रही है कि ये उपचुनाव बिहार विधानसभा चुनाव के साथ हो सकते है, लिहाजा अरविंद केजरीवाल अभी से तैयारियों में जुट गये हैं. विसावदर के लिए गोपाल इटालिया को उम्मीदवार भी घोषित किया जा चुका है.
गुजरात में आने वाले छह महीनों में पंचायत और स्थानीय निकाय के भी चुनाव होने हैं. बताते हैं कि उपचुनाव की घोषणा होते ही अरविंद केजरीवाल गुजरात के दौरे पर जाएंगे.
जल्दी ही गुजरात के सह प्रभारी दुर्गेश पाठक के गुजरात जाने के बारे में बताया गया है. उसके बाद आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रभारी गोपाल राय भी गुजरात चले जाएंगे. आम आदमी पार्टी की तरफ से प्रभारी नेताओं को चुनाव होने तक अपने इलाके में डेरा जमाने की हिदायत पहले ही दे दी गई है.
देखा जाये तो उपचुनावों के नतीजे से बहुत कुछ बदल सकता है. अभी तो एक भी जीत अरविंद केजरीवाल के लिए तिनके जैसा सहारा होगी, और बाउंसबैक की कोशिश में बड़ी मदद मिलेगी. आम आदमी पार्टी तो साफ साफ इनकार कर रही है, लेकिन अरविंद केजरीवाल के राजनीति विरोधियों की माने तो लुधियाना उपचुनाव का नतीजा अगर पक्ष में आ गया, तो बहुत कुछ बदल सकता है. दावों की कड़ियों को देखें तो लगता है कि अगर लुधियाना उपचुनाव आम आदमी पार्टी जीत जाती है, तो संजीव अरोड़ा की राज्यसभा सीट खाली हो जाएगी - और फिर अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ हो जाएगा और वो राष्ट्रीय राजनीति में जुट जाएंगे.