अरविंद केजरीवाल भी बीजेपी विरोध की ही राजनीति करते हैं, लेकिन उनका विरोध कांग्रेस जैसा नहीं होता. कांग्रेस राम मंदिर उद्घाटन का सीधे सीधे विरोध करती है, लेकिन अरविंद केजरीवाल बड़ी ही संजीदगी से रिएक्ट करते हैं.
22 जनवरी, 2024 के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने तो वो भी नहीं गये थे, लेकिन बयान तो संभल कर ही दिया था. व्यवस्था की बात करते हुए तब अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वो पूरे परिवार के साथ जाना चाहते हैं, लेकिन सुरक्षा वजहों से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. बाद में वो पूरे परिवार के साथ राम लला का दर्शन करने के लिए वो अयोध्या गये भी थे. अयोध्या में उद्घाटन के दिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता कीर्तन कर रहे थे.
पहले भी वो अयोध्या गये थे, और जय श्रीराम का नारा भी लगाते रहे हैं. वो दिल्ली के मंदिर में दिवाली समारोह भी करते हैं, और जेल जाने से पहले और आने के बाद भी दिल्ली के हनुमान मंदिर जाना नहीं भूलते.
जो नेता रुपये की कीमत बढ़ाने के लिए नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीरें लगाने की मांग करता हो, जो नेता चुनावों में घूम घूमकर लोगों को अयोध्या घुमाने और तीर्थयात्रा कराने के वादे करता हो - उसके मुंह से रामायण के मारीच प्रसंग में रावण का जिक्र किया जाना अजीब तो लगता ही है - और बीजेपी नेताओं के आरोपों को मजबूती भी देता है.
क्या कहा है अरविंद केजरीवाल ने?
अरविंद केजरीवाल ने एक चुनावी सभा में रामायण की कथा सुना रहे थे. बोले, रामचंद्र जी खाने का इंतजाम करने जंगल में गए… माता सीता को अपनी झोपड़ी में छोड़ गए… उन्होंने लक्ष्मण को कहा कि तू सीता मैया की रक्षा करेगा… इतने में रावण सोने का हिरण बन कर आया… सीता मैया ने लक्ष्मण को कहा कि मुझे यह हिरण चाहिए… लक्ष्मण ने श्रीराम की बात का हवाला देकर जाने से मना किया कि मुझे आपकी रक्षा करनी है… सीता ने कहा नहीं मैं तेरे को आदेश देती हूं कि तू जा और हिरण को पकड़ कर ला.
बीजेपी नेता इसी बात को लेकर अरविंद केजरीवाल पर हमला बोल देते हैं. क्योंकि, अरविंद केजरीवाल जिस प्रसंग की बात कर रहे हैं, उसमें रावण नहीं बल्कि मारीच होता है.
दिल्ली शराब घोटाले में जेल से आने के बाद वो सीता की तरह अग्नि परीक्षा दे रहे हैं. खुद को हनुमान भी बताते हैं और दिल्ली के बुजुर्गों को तीर्थ कराने के लिए उनके साथी उनको श्रवण कुमार कह कर भी बुलाते हैं.
हिंदुत्व की राजनीति में जिस तरह से अरविंद केजरीवाल बीजेपी के हिस्से में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं - ये वाकया तो नुकसान पहुंचाने वाला ही है.
क्या कह रहे हैं बीजेपी नेता?
बीजेपी नेताओं के साथ ही आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने भी अरविंद केजरीवाल के रामायण ज्ञान पर सवाल उठाया है.
अरविंद केजरीवाल का वीडियो शेयर करते हुए स्वाति मालीवाल सोशल साइट एक्स पर लिखती हैं, आप चुनाव आते ही हिंदू बन जाते हैं, आज आपसे रट्टा लगाने में थोड़ी गलती हो गई.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष विजेंदर गुप्ता का कहना है, चुनावों में मंदिर-मंदिर जाने का ढोंग करने वाले फर्जीवाल का रामायण पर अजब-गजब ज्ञान सुनिए… एक तरफ आप दिल्ली में विश्वस्तरीय शिक्षा मॉडल का ढोल पीटते हैं, और दूसरी तरफ आपको रामायण का ही ज्ञान नहीं… शर्म आनी चाहिए केजरीवाल जी, इस तरह सनातन का मखौल उड़ाते हुए.
2013 के दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के मैदान में उतरने के बाद बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें दिलाने वाले डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी अरविंद केजरीवाल को कठघरे में खड़ा किया है. कहते हैं, इतिहास याद रखेगा कि एक रामायण अरविंद केजरीवाल ने भी लिखी थी, जिसमें मां सीता का हरण करने के लिए हिरण का रूप मारीच ने नहीं बल्कि खुद रावण ने लिया था.
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने इस मुद्दे पर बीजेपी और अरविंद केजरीवाल दोनो
को एक ही कठघरे में खड़ा किया है. कहते हैं, चुनाव के समय बीजेपी नकली हिंदू, मुसलमान, सिख बन जाती है… उसी तरह अरविंद केजरीवाल भी नकली हो जाते हैं… रामायण तो हर घर में पढ़ी जाती है… अरविंद केजरीवाल शायद कोई नई रामायण लिखना चाह रहे होंगे.
जैसे केजरीवाल को कोई परवाह न हो
बीजेपी नेताओं के हमले पर अरविंद केजरीवाल ने ऐसे रिएक्ट किया है जैसे उनको कोई परवाह ही न हो. अरविंद केजरीवाल का कहना है, पूरी बीजेपी धरने पर बैठी है कि मैंने रावण का अपमान कैसे कर दिया… इनकी प्रवृत्ति राक्षसी है... झुग्गी वालों और आम लोगों से कहना चाहता हूं कि ये अगर सत्ता में आ गए तो राक्षसों की तरह आपको निगल जाएंगे.
अरविंद केजरीवाल भी जानते हैं कि गलती हुुई है, लेकिन वो बीजेपी पर पलटवार कर मामले को न्यूट्रलाइज करने की कोशिश कर रहे हैं. अपनी सफाई में भी केजरीवाल ने हमला ही बोला है, कोई माफी नहीं मांगी है, जबकि माफी मांगने में उनको कोई दिक्कत नहीं होती है. कई बार मांग चुके हैं.
लगता है अरविंद केजरीवाल मान कर चल रहे हैं कि दिल्ली चुनाव में हिंदू मुस्लिम बहस नहीं चल पाती, 2020 मिसाल है. शाहीन बाग को लेकर बीजेपी की तरफ से अरविंद केजरीवाल को घेरने की खूब कोशिशें हुई, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा.