अरविंद केजरीवाल और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ही अपने अपने तरीके से काम कर रहे हैं. 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद अरविंद केजरीवाल अब लोक सभा चुनाव 2024 की तैयारी कर रहे हैं, और प्रवर्तन निदेशालय पेशी के लिए एक के बाद एक समन भेजे जा रहा है.
दिल्ली विधानसभा में बतौर वित्त मंत्री बजट तो आतिशी ने पेश किया, लेकिन अरविंद केजरीवाल की भी व्यस्तता तो रही ही. अरविंद केजरीवाल ने खुद ही ये वजह कोर्ट में पेश न हो पाने के लिए बताई भी थी. बजट की पॉलिटिकल लाइन तो अरविंद केजरीवाल ने ही तय किया है, राम राज्य के बजट के रूप में ही तो प्रचारित भी किया जा रहा है. अब तो दिल्ली में भी मध्य प्रदेश जैसी लाडली योजना की एंट्री हो चुकी है. आतिशी के बजट पेश करने के बाद अरविंद केजरीवाल बता रहे हैं कि महिलाओं के बड़ी संख्या में फोन आ रहे हैं. खूब आशीर्वाद मिल रहा है. महिलाएं पूछ रही हैं कि कैसे रजिस्ट्रेशन कराना है?
दिल्ली शराब पॉलिसी केस में तीन समन के बावजूद पेश न होने पर ED ने कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की तरफ से समन को जानबूझकर नजरअंदाज़ करने को लेकर अर्जी दायर की है. वैसे अब तक अरविंद केजरीवाल को ईडी की ओर से 8 समन भेजे जा चुके हैं - और अरविंद केजरीवाल के रुख में बस थोड़ा सा बदलाव देखा गया है.
झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन तो ईडी के 10 समन के बाद पेशी के लिए तैयार हुए थे, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ये काम दो कदम पहले ही उठाया है. हेमंत सोरेन तो ईडी अधिकारियों के सामने साक्षात पेश हुए थे, लेकिन अरविंद केजरीवाल का कहना है कि वो वर्चुअल माध्यम से ही पूछताछ के लिए उपलब्ध हो सकते हैं.
अरविंद केजरीवाल इससे पहले ईडी से जुड़े एक मामले में कोर्ट में भी वर्चुअल तरीके से पेश हो चुके हैं. ये तब की बात जब अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया था. कोर्ट को अरविंद केजरीवाल ने बताया था कि वो अदालत पहुंचने ही वाले थे कि विश्वास प्रस्ताव आ गया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने उनको 16 मार्च को साक्षात मौजूद रहने का आदेश दिया है.
अब ईडी के सामने भी अरविंद केजरीवाल वैसे ही पेश होना चाहते हैं, जैसे कोर्ट के सामने पेश हुए थे. जाहिर है, अरविंद केजरीवाल ने ये कदम भी अपने कानूनी सलाहकारों की राय के बाद ही उठाया होगा. क्योंकि ये सवाल तो उठता ही कि अगर कोर्ट के सामने वर्चुअल पेशी के लिए वो राजी हैं तो ईडी से क्या दिक्कत है, भला?
12 मार्च के बाद पेशी के लिए तैयार होने की कोई खास वजह है क्या?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से जारी अब तक के सभी समन को गैरकानूनी करार दिया है. अरविंद केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखकर सभी समन को खारिज करने की भी मांग की है.
एक और खास बात, जिसका अरविंद केजरीवाल बार बार और विशेष रूप से उल्लेख करते आ रहे हैं. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि ईडी ने अब तक उनको ये जानकारी नहीं दी है कि उनको किस हैसियत से दफ्तर में पेश होने के लिए बुलाया जा रहा है - आरोपी रूप में, चश्मदीद के रुप में, दिल्ली के मुख्यमंत्री या फिर आम आदमी पार्टी के प्रमुख के तौर पर?
अरविंद केजरीवाल को मिल रहे ईडी के समन को लेकर आम आदमी पार्टी नेताओं की तरफ से भी स्टैंड साफ किया जाता रहा है. अरविंद केजरीवा की गिरफ्तारी की भी आशंका जताई जा चुकी है - और अरविंद केजरीवाल की संभावित गिरफ्तारी की सूरत में एहतियाती इंतजामों की भी विस्तार से चर्चा हो चुकी है.
आम आदमी पार्टी तो ये सर्वे भी करा चुकी है कि ईडी द्वारा अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिये जाने की स्थिति में क्या जेल से दिल्ली की सरकार चलाई जा सकती है? दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने और बाकायदा अनुमति लेकर काम करने की बात भी कह चुकी हैं.
AAP नेता सौरभ भारद्वाज कह रहे हैं, 'हमारा स्टैंड वही है, समन गैर कानूनी है... दरअसल, इनका मकसद पूछताछ नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना है.'
और इसके साथ ही सौरभ भारद्वाज और उनके साथी AAP नेता दोहराते भी हैं, अगर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया जाता है तो वे लोग जेल से ही सरकार चलाएंगे. देखा जाये तो अब अरविंद केजरीवाल का मामला भी JMM नेता हेमंत सोरेन की तरह ही आगे बढ़ रहा है. वो ED के 10 समन के बाद पेशी के लिए तैयार हुए थे, और अरविंद केजरीवाल 8 समन के बाद, वो वर्चुअल माध्यम से पेश होने को तैयार हुए हैं - लेकिन वर्चुअल पेशी भी 12 मार्च के बाद ही चाहते हैं.
8वें समन के जरिये अरविंद केजरीवाल को 4 मार्च को बुलाया गया था, लेकिन वो पेश नहीं हुए. समन को लेकर आम आदमी पार्टी की तरफ से पहले भी कहा गया है कि ईडी को समन भेजने के बजाय कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिये. आठवां समन जारी करते वक्त ही प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल की उस दलील को खारिज कर दिया था कि पेश होने के लिए भेजा गया नया समन अवैध है, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है.
अदालत में केस की सुनवाई 16 मार्च को होनी है, और कोर्ट का आदेश है कि अरविंद केजरीवाल को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा. पिछली तारीख पर वर्चुअल पेशी के दौरान ही अदालत की तरफ से अरविंद केजरीवाल को ये बात साफ कर दी गई थी.
अब तो दिल्ली सरकार का बजट भी पास हो चुका है, और 8 मार्च को बजट सेशन भी खत्म हो रहा है - आखिर अरविंद केजरीवाल 12 मार्च के बाद ईडी के सामने वर्चुअल पेशी की तारीख क्यों चाहते हैं?
तब क्या होगा अगर ईडी एक दिन बाद ही वर्चुअल पूछताछ के लिए तैयार हो जाये, और अदालत की तरह व्यक्तिगत पेशी के लिए अगले दिन की तारीख दे दे?
12 मार्च के बाद कोर्ट की तारीख से पहले तीन दिन बचते हैं. हो सकता है, अरविंद केजरीवाल कुछ और कानूनी रास्तों की तलाश में हों, लेकिन क्या 16 मार्च की सुनवाई से पहले ईडी के अफसर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना चाहेंगे?
क्या गिरफ्तारी से बचा पाएगी वर्चुअल पेशी?
आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि ईडी का असली मकसद अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना है, और पूछताछ तो बहाना भर है. हेमंत सोरेन का केस देखें तो सौरभ भारद्वाज की आशंका बिलकुल सही लग रही है.
सवाल ये उठता है कि क्या वर्चुअल पूछताछ से गिरफ्तारी से बचा जा सकता है? ये तो ईडी के अफसरों पर ही निर्भर करता है कि वो अरविंद केजरीवाल की पेशकश पर वे कैसे रिएक्ट करते हैं?
जहां तक कोर्ट में पेशी और जांच एजेंसी की पूछताछ की बात है, तो दोनों में बड़ा फर्क है. जांच एजेंसी न्यायिक हिरासत में भी पूछताछ कर सकती है, लेकिन तब भी वो कोर्ट से कस्टडी की मांग करती है, और एक निश्चित अवधि के लिए कस्टडी मिलती भी है.
आम आदमी पार्टी नेता आतिशी ने कुछ दिन पहले ईडी पर पूछताछ की फुटेज डिलीट करने का आरोप लगाया था. ईडी को सफाई देनी पड़ी थी, और आरोपों को खारिज कर दिया गया था. ये तो है कि अरविंद केजरीवाल के साथ अगर वर्चुअल पूछताछ होती है तो फुटेज को कोई डिलीट भी नहीं कर सकता है. अरविंद केजरीवाल भी तो यही चाहते हैं.
लेकिन अरविंद केजरीवाल के ईडी से ये सब कहने से तो कुछ होने से रहा. ये सब तभी संभव है जब अरविंद केजरीवाल ये मांग कोर्ट से करें - और हां, कोर्ट उसे मंजूर भी कर ले.
आम आदमी का मामला होता तो कुछ भी संभव था, ये तो आम आदमी पार्टी के नेता का केस है - मतलब, कुछ भी संभव तो नहीं ही है.