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केजरीवाल जो बिल माफ करने की बात कर रहे हैं, वो बढ़े तो उनके ही कार्यकाल में हैं | Opinion

अरविंद केजरीवाल की हर बात निराली होती है, देश से भ्रष्टाचार मिटा डालने जैसे वादे से लेकर जेल से सरकार चलाने तक. हद तो तब हो जाती है जब आम आदमी पार्टी की ही सरकार में बढ़े हुए मौजूदा बिल को वो सत्ता में वापसी के बाद मार्च, 2025 तक ठीक कराने का वादा कर डालते हैं.

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पानी के बढ़े हुए बिल पर अरविंद केजरीवाल का वादा गुमराह करने वाला है.
पानी के बढ़े हुए बिल पर अरविंद केजरीवाल का वादा गुमराह करने वाला है.

अरविंद केजरीवाल देश भर में लोगों से दिल्ली मॉडल की सरकार देने का वादा करते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में वो 10 गारंटी भी दे रहे थे, नतीजे आये तो दिल्ली के लोगों ने वैसा ही फैसला सुनाया जैसा अभी अभी हरियाणा की जनता ने सुनाया है. 

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लोकसभा चुनाव की ही तरह अब वो आने वाले दिल्ली चुनाव के लिए आगे बढ़ कर वादे कर रहे हैं, और तौर तरीके भी मिलते जुलते ही हैं. बीजेपी को लेकर वैसे ही लोगों को डरा रहे हैं, जैसे बीजेपी बिहार में लोगों को 'जंगलराज' के नाम पर डराती है. कह रहे हैं, अगर बीजेपी दिल्ली की सत्ता में आई तो लोगों को मिल रही मुफ्त की सारी सुविधाएं खत्म कर देगी. वही सुविधाएं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'रेवड़ी' करार दे चुके हैं. 

चाहे वे चुनावी वादे हों, या केजरीवाल की गारंटी. आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल गवर्नेंस के दिल्ली मॉडल के साथ ही पेश करते हैं, लेकिन कई बार वो अपनी ही सरकार के कामकाज को लगता है ठीक से समझ नहीं पाते. 

भूल सुधार भी चुनावी वादा होता है क्या?

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आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल दिल्ली में पदयात्रा कर रहे हैं. हर गली और कॉलोनी में पहुंचकर लोगों से मिल रहे हैं और बात कर रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले चल रही केजरीवाल की पदयात्रा में मुख्यमंत्री आतिशी, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह सहित आम आदमी पार्टी के कई नेता बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.

दिल्ली पदयात्रा के दौरान अरविंद केजरीवाल के निशाने पर बीजेपी का होना स्वाभाविक है. वो लोगों के सामने अपनी सरकार के अब तक का कामकाज का ब्योरा पेश कर रहे हैं - और लगे हाथ आगाह भी कर रहे हैं कि अगर आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं बन पाई, तो बीजेपी सत्ता में आने पर लोगों को मिल रही मुफ्त की मौजूदा सुविधाएं खत्म हो जाएंगी. कहते हैं, ‘अगर आप बीजेपी को वोट देते हैं, तो आपको ये देखना होगा कि अपने बिलों का भुगतान करें - या अपने बच्चों की देखभाल करें.’

ऐसे ही वो लोकसभा चुनाव कैंपेन के दौरान भी आम आदमी पार्टी और बीजेपी की जीत होने पर क्या फायदे नुकसान होंगे, समझाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन, लोगों को उनकी बात बिलकुल भी समझ में नहीं आई. चुनाव नतीजे तो यही बताते हैं.

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एक खबर ये भी है कि दिल्‍ली में पानी का बिल बढ़ा हुआ आया है. दिल्‍ली के कई इलाकों के लोगों की ऐसी ही शिकायत है, और अरविंद केजरीवाल को भी लगता है ये बात अपनी सरकार की तरफ से नहीं बल्कि लोगों की ओर से ही सुनाई पड़ी है, तभी तो वो अजीब सी दलील और चुनावी वादे कर रहे हैं. 

अपनी दिल्ली पदयात्रा के तहत अरविंद केजरीवाल अपने साथियों के साथ वजीरपुर पहुंचे थे, और लोगों को बता रहे थे कि अगर उनका बिजली बिल बढ़ा हुआ आया है, तो भरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि चुनाव बाद वो ऐसी चीजें माफ करा देंगे. 

अरविंद केजरीवाल का कहना था, 'फरवरी में चुनाव होने हैं... मैं मार्च में ये बिल को माफ करवा दूंगा.'

लेकिन ऐसा करने के लिए  उनको चुनाव का इंतजार क्यों करना पड़ रहा है? क्या ये काम अभी नहीं हो सकता?

और जो काम अभी नहीं हो सकता, वो चुनाव बाद हो ही जाएगा, कोई कैसे यकीन कर ले?

बड़ा सवाल तो ये है कि पानी का बिल किसने बढ़ाया? क्या बढ़े हुए पानी के बिल मुख्यमंत्री आतिशी नहीं कम करा सकतीं? 
या फिर, आम आदमी पार्टी की सरकार में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाई गईं आतिशी ऐसा करना नहीं चाहतीं, और अरविंद केजरीवाल को ऐसे वादे करने पड़ रहे हैं?
अरविंद केजरीवाल की बातों से तो ऐसा लगता है, जैसे आतिशी पानी के बिल को लेकर उनकी बात को अनसुना कर रही हों, और मजबूरन उनको लोगों से कहना पड़ रहा है कि वे वोट दें ताकि चुनाव जीत कर वो खुद फिर से दिल्ली के मुख्यमंत्री बन सकें और उनके पानी का बिल माफ करा सकें. 

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जब जेल से भी वो सरकार चला रहे थे. और कहते हैं कि जेल से सरकार चलाकर दिखा दिया है - तो, वो कौन सा नया काम कर रहे हैं. अरे, वही बिल माफ करने की बात कर रहे हैं, जो उनकी सरकार रहते लोगों के पास पहुंचे हैं. 

ये क्या वादा हुआ कि पहले बढ़ा दो, फिर कहो कि वोट दो, तो कम कर देंगे - समझ में नहीं आ रहा है कि अरविंद केजरीवाल चुनावी वादा कर रहे हैं, या सोशल मीडिया के लिए रील बना रहे हैं? 

ये काम तो वो अभी करा सकते हैं. उनकी ही सरकार है, आतिशी मुख्यमंत्री हैं - और अभी न तो चुनावों की घोषणा हुई है, न दिल्ली में कोई आचार संहिता लागू है. 

केजरीवाल आखिर कहना क्या चाहते हैं?

एक तरफ वो दावा करते हैं कि जेल से सरकार चलाकर दिखा दिया है, और ऐन उसी वक्त वो ये भी समझाने लगते हैं कि जो काम उनके जेल में होने के कारण बीजेपी ने नहीं करने दिया, जमानत पर छूटने के बाद वो कहने लगते हैं कि वो सब ठीक कर देंगे. दिल्ली सड़कों की हालत दिखा कर वो ऐसी ही बातें समझा रहे थे.

सवाल है कि जो काम वो करा सकते हैं, वो तो कर भी सकते थे - लेकिन वे काम हुए क्यों नहीं जबकि सरकार तो उन्हीं के लोग चला रहे थे. सबसे ज्यादा विभाग पहले उनकी सरकार की मंत्री रहीं, आतिशी के पास ही थे जो अब दिल्ली की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं. 

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दिल्ली में पानी के बढ़े हुए बिल को लेकर लोगों से अरविंद केजरीवाल हाल फिलहाल जो कह रहे हैं, उससे ये नहीं समझ में आ रहा है कि वो खुद कन्फ्यूज हैं या लोगों को गुमराह करने की कोशिश हो रही है?

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