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यूपी उपचुनावों में बीजेपी को लखीमपुर विधायक की पिटाई से कोई फर्क पड़ेगा क्या? | Opinion

हाल फिलहाल हो रही हर घटना को यूपी में होने जा रहे उप चुनावों से जोड़ कर देखा जा रहा है. पुलिस एनकाउंटर में जातीय राजनीति और लखीमपुर खीरी में बीजेपी की विधायक की पिटाई से लेकर बहराइच दंगे तक - ऐसी हर घटना का उप चुनावों पर असर पड़ना ही है.

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी विधायक की पिटाई के मामले में जातीय राजनीति बन रहा मुद्दा.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी विधायक की पिटाई के मामले में जातीय राजनीति बन रहा मुद्दा.

लखीमपुर खीरी में बीजेपी विधायक के साथ हुई मारपीट का मामला काफी तूल पकड़ रहा है. बीजेपी विधायक योगेश वर्मा की पिटाई का मामला यूपी की जातीय राजनीति में उलझी हुई नजर आ रही है. 

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9 अक्टूबर, 2024 को अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के चुनाव के दौरान अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश सिंह ने बीजेपी विधायक योगेश वर्मा की सरेआम पिटाई कर दी थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है - अब विवाद इस बात पर हो रहा है कि बीजेपी विधायक की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ अब तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है. 

इस मामले मामले में पुलिस के दिलचस्पी न दिखाने की वजह बीजेपी विधायका का उस जाति से न होना माना जा रहा है, जो यूपी में फिलहाल हावी बताई जा रही है. वैसे ये दलील तो ठीक ही लगती है कि सत्ताधारी दल के विधायक को सरेआम थप्पड़ मारे जाने के बावजूद एक FIR तक नहीं दर्ज हो पा रही है. 

ये बातें इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये सब यूपी में 10 सीटों के लिए होने जा रहे उप चुनावों से ठीक पहले हो रहा है - जाहिर, उप चुनावों पर कुछ न कुछ असर तो होगा ही.

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जातीय आधार पर बंट गई है यूपी की राजनीति?

उत्तर प्रदेश में जातीय राजनीति का खूब बोलबाला लगता है. हाल ही में सुल्तानपुर के सर्राफा व्यवसाई के यहां हुई डकैती के बाद ये मुद्दा काफी उछाला गया था - और उसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी मोर्चा संभाल लिया था. 

जैसे ही सुल्तानपुर डकैती के आरोपी मंगेश यादव को यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर देने का दावा किया, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तरफ से दावा कर दिया गया कि पुलिस जाति देखकर एनकाउंटर कर रही है - और तभी एक और आरोपी अनुज प्रताप सिंह को भी पुलिस ने एनकाउंटर के नाम पर मार गिराया. 

फिर चर्चा होने लगी थी कि यादव आरोपी के एनकाउंटर पर उठते सवालों को ठंडा करने के लिए यूपी पुलिस ने ठाकुर आरोपी को ठोक दिया है - ऐसी ही बात अनुज प्रताप सिंह के पिता ने भी कही थी,  वो भी अखिलेश यादव का नाम लेकर.

और अब वैसी ही बातें लखीमपुर खीरी में बीजेपी विधायक योगेश वर्मा को लेकर भी चल रही हैं - सोशल मीडिया पर भी लोग आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी विधायक का जाति विशेष से न होने से ही पुलिस आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट तक नहीं दर्ज कर रही है. 

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बीजेपी विधायक ओबीसी समुदाय से आते हैं, और विधायक को थप्पड़ मारने वाले आरोपी वकील ठाकुर समुदाय से. अब तो ये हो रहा है कि बीजेपी विधायक की जाति के लोग पंचायत कर रहे हैं. योगेश वर्मा के समर्थकों ने जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव भी किया है. 

डीएम ऑफिस से लोग तभी हटे जब पुलिस अधीक्षक गणेश साहा ने दो दिन के अंदर जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया - और फिर क्या था, देखते ही देखते सोशल मीडिया पर विधायक पर हमले के आरोपी अवधेश सिंह के समर्थन में सोशल मीडिया पर मोर्चा संभाल लिया.  

करणी सेना ने विधायक को पीटने वाले की तारीफ की है!

राजपूत करणी सेना की तरफ से सोशल मीडिया पर पोस्टर जारी कर दिया. पोस्टर के जरिये संदेश देने की कोशिश हुई कि अवधेश सिंह के सम्मान में करणी सेना लखीमपुर खीरी पहुंच रही है - हालांकि, बाद में करणी सेना ने यू-टर्न भी ले लिया. 

विधायक पर हमले के आरोपी अवधेश सिंह के घर पर पहुंचने के बाद करणी सेना के अध्यक्ष दीपू सिंह ने अपनी तरफ से सफाई दी कि वो सिर्फ हालचाल लेने पहुंचे थे, न कि किसी तरह के शक्ति प्रदर्शन का कोई इरादा था. 

लेकिन ये भी है कि करणी सेना के लोग अवधेश सिंह के सपोर्ट में 'शेर आया, शेर आया' जैसे नारे भी लगा रहे हैं. विजयदशमी के मौके पर शस्त्र पूजन के दौरान तो ऐसा ही नजारा देखने को मिला है. 

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एनकाउंटर और बीजेपी विधायक की पिटाई के मुद्दे पर यूपी में हो रही जातीय राजनीति के बीच बहराइच का दंगा भी तो उप चुनावों के लिए पॉलिटिकल मसाला ही है.  

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