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मराठी भाषा पर भैयाजी जोशी की टिप्पणी तो बीजेपी की मुश्किल बढ़ाने वाली है

सफाई देने से पहले भैयाजी जोशी ने मराठी भाषा को ज्यादा महत्व न दिये जाने की बात कही थी, जो महाराष्ट्र में बीजेपी के पांव जमाने की कोशिशों के खिलाफ जाती है. बीजेपी को तो महाराष्ट्र की राजनीति खुद को बाहरी होने के ठप्पे से अलग करना है, और ये सब तो मुश्किलें बढ़ाने वाला ही है.

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मराठी भाषा पर भैयाजी जोशी के बयान के बाद डैमेज कंट्रोल बीजेपी के लिए ना चैलेंज है.
मराठी भाषा पर भैयाजी जोशी के बयान के बाद डैमेज कंट्रोल बीजेपी के लिए ना चैलेंज है.

मराठी भाषा पर भैयाजी जोशी का बयान ने आरक्षण पर मोहन भागवत की सलाह की याद दिला दी है - बीजेपी की फजीहत के लिहाज से सोचें तो दोनो ने धधकती आग में घी एक ही स्टाइल में डाली है. 

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2015 के बिहार चुनाव में बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह आरक्षण पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान भी माना गया था. क्योंकि, उसके बाद लालू यादव जैसे नेताओं ने लोगों को समझा दिया कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है. हालांकि, ऐसी ही बात लोकसभा चुनाव 2024 के कैंपेन में भी चल रही थी. 

अपनी सफाई से पहले भैयाजी जोशी ने जिस तरह मराठी भाषा को ज्यादा महत्व न दिये जाने की बात समझाई थी, वो तो बीजेपी के महाराष्ट्र की राजनीति में पांव जमाने की कोशिशों के खिलाफ जाती है. बीजेपी को तो महाराष्ट्र की राजनीति खुद को बाहरी होने के ठप्पे से अलग करना है, क्योंकि बीजेपी के राजनीतिक विरोधी इसी बात को मुद्दा बनाते रहे हैं - और हालत ये है कि हाल के विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर बहुमत के करीब होने के बावजूद बीजेपी को डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के साथ सोच समझकर व्यवहार करना पड़ रहा है. 

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भैयाजी जोशी का देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे दोनो ने बचाव किया है, लेकिन उद्धव ठाकरे को उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किये जाने की मांग कर रहे हैं. 

मराठी भाषा पर भैयाजी जोशी का बयान और सफाई

मराठी के बारे में बात करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा है, 'मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है… इसलिए मुंबई आने या यहां रहने के लिए मराठी सीखने की जरूरत नहीं है.'

भैयाजी जोशी का कहना था, 'मुंबई के हर हिस्से की अपनी अलग भाषा है. घाटकोपर इलाके की भाषा गुजराती है… इसलिए, अगर आप मुंबई में रहते हैं या फिर यहां आना चाहते हैं तो ये जरूरी नहीं है कि आपको मराठी सीखनी पड़े.'

अपने बयान पर बवाल मचने पर भैयाजी जोशी ने विस्तार से सफाई दी है. कहा है, मेरे बयान से कुछ गलतफहमी हो गई है… मैं विविध भाषाओं के सह-अस्तित्व को लेकर बात कर रहा था, लेकिन मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है, और यहां रहने वाले सभी लोगों को मराठी भाषा सीखनी चाहिये.

ध्यान देने वाली बात ये है कि भैयाजी जोशी पहले मुंबई में रहने के लिए मराठी सीखने को गैर-जरूरी बता रहे थे, और अब कह रहे हैं, मराठी भाषा सीखनी ही चाहिये - समझ सकते हैं किसे गलतफहमी हुई है, और कैसे दूर की जा रही है. 

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आक्रामक हुए ठाकरे और पवार की पार्टी के नेता

शिवसेना (UBT) नेता उद्धव ठाकरे ने भैयाजी जोशी के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किये जाने की मांग की है. उद्धव ठाकरे का आरोप है कि ये सब मुंबई को लेकर संघ और बीजेपी के विभाजनकारी रवैये का हिस्सा है. लंबे अर्से से वे भारत-पाकिस्तान का मुद्दा उठाते रहे हैं, और अब ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर पहुंच चुके हैं.

उद्धव ठाकरे के विधायक बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा है, 'मुंबई हो या महाराष्ट्र, हमारी जमीन की पहली भाषा मराठी है… तमिलनाडु या किसी दूसरे राज्य में तमिल की तरह मराठी भी हमारा गौरव है… भैयाजी जोशी ने गुजराती को घाटकोपर की भाषा बताया है, लेकिन ये अस्वीकार्य है… मराठी हमारी मुंबई की भाषा है.'

शरद पवार वाली एनसीपी के विधायक तेंद्र आव्हाड का कहना है, भैयाजी जोशी ने हमारी मातृभाषा का अपमान किया है… एक स्टेशन का नाम लिया और दावा किया कि भाषा गुजराती है, लेकिन वो मुंबई को नहीं समझते… जो भी मुंबई आता है, और इसे अपनाता है, उसे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ता… पहले वे जाति के नाम पर बांटते थे, फिर धर्म के नाम पर और अब भाषा के नाम पर बांट रहे हैं.

बचाव में उतरे फडणवीस और शिंदे

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राजनीतिक समीकरण की मजबूरी कहें, या वक्त की जरूरत भैयाजी जोशी के बचाव में एकनाथ शिंदे तो देवेंद्र फडणवीस से भी दो कदम आगे नजर आते हैं. 

एकनाथ शिंदे की नजर में भैयाजी जोशी ने मराठी भाषा का अपमान नहीं किया है, और अपनी इस दलील के लिए वो भैयाजी जोशी के सफाई में दिये गये बयान को आधार बना रहे हैं. 

भैयाजी जोशी के बचाव के साथ साथ एकनाथ शिंदे कह रहे हैं, मराठी भाषा के सम्मान की परंपरा बालासाहेब ठाकरे ने शुरू की थी, और हम उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं… हम मराठी भाषा को उसका उचित सम्मान दिलाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, और राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता दिलाने की मांग कर चुके हैं… मैं इसके लिए प्रधानमंत्री जी का भी आभार व्यक्त करता हूं.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए ऐसे मौकों पर बचाव करना काफी मुश्किल हो जाता है, लेकिन मराठी के मामले में वो ज्यादा स्पष्ट और मजबूती से अपनी बात रखते हुए नजर आते हैं. चाहे वो कंगना रनौत की तरफ से मुंबई को PoK बताये जाने की बात हो, या फिर नारायण राणे की उद्धव ठाकरे पर टिप्पणी - हर बार देवेंद्र फडणवीस की उलझन महसूस की गई है.

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भैयाजी जोशी के बयान पर मचे बवाल के बीच देवेंद्र फडणवीस का कहना है, मुंबई में रहने वालों को मराठी सिखनी ही चाहिये… भैयाजी जोशी भी मेरे मत से सहमत होंगे… मैं फिर एक बार सरकार की तरफ से कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र की भाषा मराठी है… यहां सभी भाषा का सम्मान किया जाता है… जो खुद की भाषा से प्यार करता है,  वही दूसरों की भाषा का सम्मान करता है… शासन की भूमिका पक्की है, शासन की भूमिका मराठी है.

गुजरे जमाने की शिवसेना का कट्टर हिंदुत्व से कम कमिटमेंट मराठी को लेकर नहीं रहा है. बदले हालात में उद्धव ठाकरे मराठी मानुष और मराठी भाषा की बात कर रहे हैं, और एकनाथ शिंदे शिद्दत से भैयाजी जोशी का बचाव कर रहे हैं - घोर नाराजगी के बावजूद भैयाजी जोशी के मुकाबले एकनाथ शिंदे ज्यादा मददगार लगते हैं.

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