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'भुवन बाम, कैरी मिनाटी, मुनव्वर फारुकी, एल्विश, इलाहाबादिया'... गजब ट्रेंड है भाई, गालियों से हो रही करोड़ों की कमाई!

भुवन बाम, कैरी मिनाटी, मुनव्वर फारुकी, एल्विश यादव, आशीष चंचलानी, हर्ष गुजराल, मधुर विरली, गौरव कपूर, स्वाति सचदेवा, श्रीजा चतुर्वेदी, समय रैना, अपूर्वा मुखीजा, और लेटेस्ट एडिशन रणबीर इलाहबादिया जैसे कॉमेडियन्स/यूट्यूबर गालियों को अपनी कॉमेडी का 'स्पाइस' बनाकर लाखों-करोड़ों कमा रहे हैं.

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गालियां अब सिर्फ लड़ाई-झगड़े तक सीमित नहीं हैं. रोजमर्रा में बकी जाने वाली इन गालियों का कॉमेडी में इस्तेमाल करके एक नया मार्केट तैयार किया गया है. (Photo: Aajtak Graphic Team)
गालियां अब सिर्फ लड़ाई-झगड़े तक सीमित नहीं हैं. रोजमर्रा में बकी जाने वाली इन गालियों का कॉमेडी में इस्तेमाल करके एक नया मार्केट तैयार किया गया है. (Photo: Aajtak Graphic Team)

आपको पता है स्टैंड-अप कॉमेडी में फिलहाल सबसे बड़ा जोक क्या चल रहा है? एक स्टैंड-अप कॉमेडियन अपने शो की शुरुआत इसी बात से करते हुए बता रहे हैं, 'आजकल एक स्कैम चल रहा है, क्राउड वर्क. आप लोगों को मेरे सिर की कसम, अगर कभी किसी कॉमेडियन के शो में जाओ और कोई कॉमेडियन तुमसे पूछे, तुम्हारा नाम क्या है?, तुम क्या करते हो?, तो उससे कहना, '#&%$###%&' जोक सुना...' (अब आप मानोगे थोड़े, यूट्यूब पर इस जोक को देखोगे जरूर!!)

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ऑडियंस में बैठे लड़के-लड़कियां इसे सुनकर तालियां पीट रहे हैं. हंस-हंसकर लहालोट हुए जा रहे हैं. कई तो मारे खुशी के मूर्च्छित टाइप हुए जा रहे हैं. एक दो तो प्रसन्नता के मारे अपनी कुर्सियों से गिरने ही वाले थे, लेकिन बाजूवाले ने उन्हें संभाला. वापस बैठाया. कुछ की आंखों से तो मारे खुशी के आंसू निकल रहे हैं. गालियां सुनकर जो भयंकर स्तर का आनन्द प्राप्त हुआ है, वो अवर्णनीय है. यही नए तरह की कॉमेडी है. इस पर पैसे लुटाए जा रहे हैं. हम गालियां सुन रहे हैं. उनके अकाउंट भर रहे हैं.   

आजकल इसी तरह की कॉमेडी का जमाना है. लोग हंसने के लिए पैसे देने को तैयार हैं, बशर्ते कॉमेडी में 'फिल्टर' न हो. और ये फिल्टर क्या है? वही, जो हमारे बड़े-बुजुर्ग हमें लगाने की सलाह देते आए हैं, गालियां जी हां, गालियां अब सिर्फ गुस्से का इजहार नहीं, बल्कि करोड़ों की कमाई का जरिया बन गई हैं. 

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भुवन बाम, कैरी मिनाटी, मुनव्वर फारुकी, एल्विश यादव, आशीष चंचलानी, हर्ष गुजराल, मधुर विरली, गौरव कपूर, स्वाति सचदेवा, श्रीजा चतुर्वेदी, समय रैना, अपूर्वा मुखीजा, और लेटेस्ट एडिशन रणबीर इलाहबादिया जैसे कॉमेडियन्स/यूट्यूबर गालियों को अपनी कॉमेडी का 'स्पाइस' बनाकर न केवल लाखों-करोड़ों कमा रहे हैं, बल्कि एक नया ट्रेंड भी सेट कर रहे हैं. इलाहाबादिया तो बेचारा अपनी सीमा पार करके कॉमेडी जोनर में दाखिल हो गया. वहां ओवर करने के चक्कर में पिट गया. अनफिल्टर्ड टाइप की चार बातें करके फंस गया. कूल लगने की कोशिश में माफी मांगने की नौबत आ गई. इनकी तो खैर जाने दीजिए. अपन जरा मुद्दे पर आते हैं. इस नए ट्रेंड पर बिना गालियों के बात करते हैं- गुरु! गालियों से कैसे हो रही करोड़ों की कमाई...

कॉमेडी की गली में कैसे घुस गईं गालियां..

गालियां अब सिर्फ लड़ाई-झगड़े तक सीमित नहीं हैं. रोजमर्रा में बकी जाने वाली इन गालियों का कॉमेडी में इस्तेमाल करके एक नया मार्केट तैयार किया गया है. भुवन बाम की 'सन ऑफ गॉड' वाली स्टाइल से लेकर कैरी मिनाटी के '#&%$###%&' तक, गालियों ने कॉमेडी को एक नया आयाम दिया है. लोग इसे 'रॉ' और 'अनफिल्टर्ड' कॉमेडी कहते हैं, लेकिन असल में यह 'गालियों का कॉमर्शियलाइजेशन' है. करोड़ों कमाने का जरिया है. वॉइस मॉड्यूलेशन के साथ बकी जाने वाली गालियां तो अतिरिक्त मजा देती हैं. उस बंदे की कीमत बढ़ा देती हैं. घोषणा होने से पहले ही शो हाउसफुल हो जाते हैं. भुवन बाम, कैरी मिनाटी, एल्विश यादव, मुनव्वर फारुकी जैसों की कमाई तो करोड़ों में है. रणबीर इलाहाबादिया हालांकि कॉमेडियन नहीं है, लेकिन उसकी भी कमाई 60 करोड़ से ऊपर है. फोर्ब्स ने अपनी 30 अंडर 30 रिचेस्ट पर्सन की लिस्ट में उसका नाम रखा है. 

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कैसे आपका अनफिल्टर्ड हंसना वहां, बरसा देता है पैसा? 

•     यूट्यूब, सोशल मीडिया- गालियों वाले कॉमेडी शो यूट्यूब पर वायरल होते हैं. जितनी ज्यादा गालियां, उतने ज्यादा व्यूज. उतना ही ज्यादा पैसा. उतनी ज्यादा पॉपुलैरिटी. भुवन बाम और कैरी मिनाटी के वीडियोज लाखों बार देखे जाते हैं, जिससे उनकी कमाई बढ़ती है. हम गालियां सुन रहे हैं. उन पर हंस रहे हैं. वे पैसे कमा रहे हैं. As simple as that! 

•     लाइव शो, टिकट बुकिंग- जितनी ज्यादा गालियां, उतना बड़ा शो, पॉपुलैरिटी की उतनी ज्यादा गुंजाइश. उतने ज्यादा शो मिलने की गारंटी. ऊपर से गालियों वाले कॉमेडी शो के टिकट महंगे होते हैं. लोग इन्हें देखने के लिए हजारों रुपए खर्च करने को तैयार हैं. मुनव्वर फारुकी, हर्ष गुजराल, समय रैना के लाइव शो हाउसफुल होते हैं. वहीं, रणबीर इलाहाबादिया अपने पॉडकास्ट से करोड़ों कमा रहे हैं.  

•     ब्रांड एंडोर्समेंट- गालियों वाले कॉमेडियन्स को ब्रांड्स एंडोर्स करते हैं. उनकी 'बोल्ड' इमेज ब्रांड्स को अपील करती है. ये एक तरह का नया ट्रेंड है जिसमें पॉपुलैरिटी ही बिकने की गारंटी होती है. यानी आप पॉपुलर होने चाहिए. किस बात पर पॉपुलर हैं इससे ज्यादा मतलब नहीं होता है. ब्रान्ड इसलिए आपके पास आएंगे क्योंकि आपका क्रेज है. यंगस्टर आपके दीवाने हैं. आपके साथ सेल्फी लेते हैं. आपका नाम शो हाउसफ़ुल कर सकता है. ब्रान्ड बिकने की गारंटी बन सकता है.  

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•     वेब सीरीज और फिल्में- गालियों वाले कॉमेडियन्स को वेब सीरीज और फिल्मों में काम मिलता है. उनकी 'रॉ' कॉमेडी स्टाइल डायरेक्टर्स को पसंद आती है. ओटीटी को सब्सक्राइबर चाहिए. लोगों की जेब से पैसा निकालना है. बाकी ओटीटी ब्रान्ड से कॉम्प्टिशन करना है. जो दिखेगा सो बिकेगा, जो चल रहा है सो हमें भी चलेगा....यही आजकल का मूलमंत्र है. यानी सब्सक्राइबर आने चाहिए. नैतिकता-अनैतिकता का बाद में देख लेंगे. पहले दुकान देखना है. ज्यादा विरोध होगा तो कंटेंट हटा देंगे. लेकिन जब तक तो चला ही लेंगे. सब्सक्राइबर पा ही लेंगे. तो सब चलेगा.   

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गालियां इतनी पॉपुलर क्यों होती हैं. कई साइकॉलोजिकल कारणों को इसके पीछे वजह माना जा सकता है.

•     रिवोल्ट फैक्टर- जो मना है उसे करने में यंग जेनरेशन को मजा आता है. जो टैबू है उसे करना फैशन होता है. गालियां समाज में 'निषिद्ध' हैं, इसलिए उन्हें सुनने-सुनाने में मजा आता है. रिबेलियन होना फैशन स्टेटमेंट है. बदलाव का संकेत है. दकियानूसी सोच से बाहर आने का अहसास है.   

•     रिलीफ का अहसास- गालियां सुनकर लोगों को तनाव से रिलीफ मिलता है. गालियों वाली कॉमेडी का सामाजिक प्रभाव भी है. भाषा का बदलता स्वरूप. गालियां अब आम बोलचाल का हिस्सा बन गई हैं. गालियों के बढ़ते इस्तेमाल से लोगों में संवेदनशीलता भी कम हो रही है. 

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•     बच्चों पर प्रभाव- बच्चे भी गालियों वाली कॉमेडी देख रहे हैं, जो उनके व्यवहार को प्रभावित कर रहा है.  

•     युवाओं का कनेक्ट फैक्टर- युवा वर्ग गालियों वाली कॉमेडी को 'कूल' मानता है. उन्हें लगता है बजरिये इस तरह से एक दूसरे के साथ बेहतर कनेक्ट हो सकता है. बात आसानी से कम्युनिकेट हो सकती है. दूरियां घटती हैं. अनफिल्टर्ड पर्सनैलिटी नजर आती है. दोहरा चेहरा नहीं दिखता है. आदि-आदि.  

क्या गालियां कॉमेडी का हिस्सा होनी चाहिए?  

•    यह सवाल बहस का विषय है. कुछ लोग मानते हैं कि गालियां कॉमेडी को 'रियल' और 'रिलेटेबल' बनाती हैं, जबकि दूसरों का मानना है कि गालियों के बिना भी कॉमेडी मजेदार हो सकती है. गालियां कॉमेडी को 'अनफिल्टर्ड' और 'बोल्ड' बनाती हैं. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि गालियों का अत्यधिक इस्तेमाल कॉमेडी की क्वालिटी को खत्म करता है. वैसे देखा जाए तो फिलहाल गालियों वाली कॉमेडी का ट्रेंड बना हुआ है, लेकिन इसे भविष्य में ओवर एक्सपोजर का खतरा हो सकता है. गालियों का अत्यधिक इस्तेमाल लोगों को बोर कर सकता है. 

•     नए फॉर्मेट्स की जरूरत- कॉमेडियन्स को गालियों के अलावा नए कॉन्टेंट पर फोकस करना होगा. या इन गालियों के इस्तेमाल में सावधानी रखनी होगी. या गालियों के बिना कैसे साफ सुथरी कॉमेडी की जा सकती है. इस पर काम करना होगा. कई कॉमेडियन्स इसीलिए फ़ेमस हैं कि उनकी कॉमेडी बहुत साफ सुधरी और पारिवारिक टाइप की होती है. 
 
•     सेंसरशिप का खतरा- पब्लिक और पेरेन्टस का दबाव बढ़ा तो सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स गालियों वाले कॉन्टेंट पर रोक लगा सकते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कोई पॉलिसी लानी पड़ सकती है. जिससे किसी खास ऐज ग्रुप के बच्चों के लिए इनकी पहुंच सीमित की जा सकती है. फिल्मों का उदाहरण इस मामले में बेहतरीन है जहां, राजकुमार हिरानी अपनी साफ-सुथरी सोशल मैसेज की फिल्मों के साथ करोड़ों कमाते भी हैं. और लंबा प्रभाव छोड़ने में सफल भी होते हैं. बड़ी से बड़ी बात या टैबू सब्जेक्ट को बहुत सहजता और सरलता के साथ कह भी देते हैं. कुछ इसी तरह के प्रयास करने की ज़रूरत कॉमेडी में भी है.  

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•     बच्चों पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव- गालियों का उपयोग करने से बच्चों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. वे गालियों का उपयोग करना सीख सकते हैं. क्योंकि वे इन कॉमेडियन्स से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. उनकी पंच लाइंस को अपने पीयर ग्रुप्स में बोलते हैं. अपनी भाषा और व्यवहार में वे इन्हें आत्मसात कर लेते हैं. इससे उनके व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसे लेकर सावधानी बरतने की ज़रूरत है.

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कुल मिलाकर देखा जाए तो गालियों से करोड़ों की कमाई करने वाले कॉमेडियन्स ने एक नया ट्रेंड सेट किया है. यह ट्रेंड जहां एक ओर लोगों को हंसा रहा है, वहीं दूसरी ओर समाज और भाषा को प्रभावित भी कर रहा है. गालियों वाली कॉमेडी का भविष्य क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा. लेकिन इतना तो तय है कि फिलहाल आपको गालियां नहीं आतीं तो स्टैंड-अप कॉमेडी में आपका फ्यूचर कुछ नहीं है. तो अगली बार जब कोई कॉमेडियन मंच पर गालियां बकता हुआ दिखे, तो समझ जाइए कि वह सिर्फ हंसा नहीं रहा, बल्कि कमा रहा है. और हां, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसके नीचे बिना गालियों के एक प्यारा सा कमेंट लिख सकते हैं. पसंद नहीं आया हो तो इसे संसदीय तरीके से कोसा जा सकता है. हां, इसे शेयर भी कर सकते हैं लेकिन बिना गालियों के! 

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